Dharma Sangrah

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

महान संगीतकार खय्याम हमेशा के लिए हो गए 'खामोश'

Advertiesment
हमें फॉलो करें Khayyam

समय ताम्रकर

, मंगलवार, 20 अगस्त 2019 (01:48 IST)
संगीतकार खय्याम बॉलीवुड के ऐसे संगीतकार थे, जिन्होंने कम फिल्मों में संगीत दिया, मगर उनके गीत और धुनें अमर हैं। उनके गीत रोजाना आकाशवाणी अथवा टेलीविजन पर किसी न किसी रूप में सुनाए-दिखाए जाते हैं। अपने 6 दशक के बॉलीवुड सफर में शानदार राज करने वाले खय्याम साहब 19 अगस्त 2019 को 92 बरस की उम्र में नहीं रहे। 
 
जन्म और परिवार : खय्याम का पूरा नाम है मोहम्मद जहूर खय्याम हाशमी। 18 फरवरी 1927 को उनका जन्म पंजाब के जालंधर जिले के नवाब शहर में हुआ था। पूरा परिवार शिक्षित-दीक्षित था। 4 भाई और 1 बहन। सबसे बड़े भाई अमीन परिवार का ट्रांसपोर्ट बिजनेस देखते थे। दूसरे भाई मुश्ताक जनरल मैनेजर के पद से रिटायर हुए। तीसरे भाई गुलजार हाशमी शायरी करते थे, लेकिन छोटी उम्र में इंतकाल हो गया। 
 
खय्याम अपने पिता के चौथे बेटे थे, जो संगीत के शौक के कारण पांचवीं तक पढ़ाई कर घर से भाग आए थे। संगीत तथा एक्टिंग के शौक के चलते परिवार वाले इतना नाराज थे कि उन्हें घर से भागना पड़ा। सिर्फ खय्याम के मामाजी को गीत-संगीत से लगाव था। उन्होंने ही मुंबई (पहले बम्बई) में खय्याम को बाबा चिश्ती से मिलवाया, जो बीआर चोपड़ा की फिल्म 'ये है जिन्दगी' का संगीत तैयार कर रहे थे। बाबा ने उन्हें अपना सहयोगी तो बना लिया, मगर कहा कि पैसा-टका कुछ नहीं मिलेगा।
 
- संगीतकार खय्याम ने फिल्म रोमियो एंड जूलियट में एक्टिंग भी की थी। 
- खय्याम ने शर्माजी नाम से कुछ फिल्मों में संगीत भी दिया। 
- जौहराबाई अम्बालेवाली के साथ खय्याम ने युगल गीत भी गाया था।  
 
बाबा चिश्ती और चोपड़ा साहब : फिल्म के सेट पर खय्याम और चोपड़ा सही समय पर पहुँचते। बाकी लोग देरी से आते थे। महीने के आखिरी दिन सबको वेतन दिया गया। केवल खय्याम खाली हाथ रहे। यह देख चोपड़ा ने बाबा से पूछा इन्हें पैसा क्यों नहीं? जवाब मिला- 'ट्रेनिंग पीरियड में यह मुफ्त में काम कर रहा है।'

चोपड़ा को यह बात रास नहीं आई। उन्होंने फौरन अकाउंटेंट से 125 रुपए खय्याम को दिलवाए। अपनी हथेली पर इतने रुपए देखकर खय्याम की आँखों में आंसू आ गए। चोपड़ा साहब की इस मेहरबानी को उन्होंने हमेशा याद रखा। 
 
दोस्त करते थे पेमेंट : बाबा चिश्ती ने खय्याम को सहायक तो बनाया, मगर सिर्फ खाना-खुराक और खोली का किराया अदा करते थे। खय्याम दोस्तों के साथ जब कभी होटल-रेस्तराँ में जाते, उनकी जेबें खाली रहती थीं। हर बार पेमेंट दोस्त करें, यह उनके जैसे खुद्दार व्यक्ति को नागवार गुजरता था। 
 
भाई ने तड़ातड़ चांटे जड़े : एक बार खय्याम बड़े भाई के पास पैसे मांगने गए। भाई ने पूछा- 'काम करते हो, तो कितना मिलता है?' खय्याम ने जैसे ही कहा कि फोकट में काम करते हैं, वैसे ही भाई ने तड़ातड़ चांटे जड़ दिए और कहा कि फोकटिए नौकर को वे फूटी कौड़ी नहीं देंगे। 
 
सेना में सिपाही : भाई के रूखे व्यवहार से दुःखी होकर उन्होंने सेना में सिपाही बनने का सोचा। अखबार में विज्ञापन पढ़ा कि ट्रेनिंग के बाद युवा सिपाहियों को आकर्षक तनख्वाह मिलेगी। 2 साल तक खय्याम ने सिपाही की नौकरी की। काफी पैसा जमा किया। संगीत का शौक फिर मुंबई खींच लाया।
 
सुकूनभरा संगीत : फिल्म एवं टीवी इंस्टीट्यूट के डॉयरेक्टर पंकज राग अपनी पुस्तक 'धुनों की माया' में खय्याम के संगीत के बारे में लिखते हैं- 'संगीत में सुकून की बात हो तो खय्याम याद आते हैं। भागदौड़, परेशानी, शोर-शराबे के बीच भी खय्याम का संगीत एक शांत, स्निग्ध महक की आगोश में ले लेता है। खय्याम की अपनी एक खास शैली रही है। परंपरागत रिद्‍मिक पैटर्न से अलग उनके रिद्‍म का क्रम मौलिक होता है।
 
एक्टिंग का भी शौक : खय्याम को एक्टिंग का भी शौक रहा है। संगीतकार हुस्नलाल की मदद से उन्होंने फिल्म रोमियो एंड जूलियट में अभिनय भी किया था। गायिका जौहराबाई अम्बालेवाली के साथ एक युगल गीत गाने का मौका भी दिया था- 'दोनों जहान तेरी दुनिया से हार के'। कुछ फिल्मों में खय्याम ने शर्माजी के नाम से संगीत भी दिया था। यह पता नहीं चल पाया कि उन्हें छद्मनाम रखने की जरूरत क्यों कर हुई?
 
6 दशक में सिर्फ 57 फिल्मों में संगीत दिया : खय्याम ने बॉलीवुड के 6 दशक में सिर्फ 57 फिल्मों में संगीत दिया। फिल्में चली या नहीं चलीं, लेकिन उसके गीत सुपर हिट रहे। 
 
खय्याम की पसंदीदा फिल्म : मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'बाजारे-ए-हुस्न' पर आधारित फिल्म '1918 : ए लव स्टोरी' खय्याम की पसंदीदा फिल्म रही। इस फिल्म में एक दरोगा की बेटी हालात से मजबूर होकर नाच-गाने के धंधे में आ जाती है। इस फिल्म में संगीत देकर एक तरह से उन्होंने मुंशी प्रेमचंद को आदरांजलि दी थी। आज के संगीत पर उनकी राय रहती थी- शोर-ए-बद्तमीजी।
 
खय्याम : सदाबहार नग़मे
- शामे गम की कसम/तलत/फुटपाथ
- है कली-कली के लब पर/रफी/लाला रुख
- वो सुबह कभी तो आएगी/मुकेश-आशा/फिर सुबह होगी
- जीत ही लेंगे बाजी हम तुम/रफी-लता/शोला और शबनम
- तुम अपना रंजो-गम अपनी परेशानी मुझे दे दो/जगजीत कौर/शगून
- बहारों, मेरा जीवन भी सँवारो/लता/आखरी खत
- कभी-कभी मेरे दिल में खयाल आता है/साहिर/कभी-कभी
- मोहब्बत बड़े काम की चीज है/येसु दास-किशोर-लता/त्रिशूल
- दिल चीज क्या है आप मेरी जान लीजिए/आशा/उमराव जान
- ये क्या जगह है दोस्तो/आशा/उमराव जान

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

लता मंगेशकर को छोटी बहन मानते थे महान संगीतकार ख़य्याम साहब