घई के 'हीरो' से सलमान के 'हीरो' तक

समय ताम्रकर
संजय दत्त की हरकतों के कारण सुभाष घई 'विधाता' बनाते समय इतने परेशान हो गए कि उन्होंने कसम खा ली कि वे स्टार सन्स को लेकर फिल्म नहीं बनाएंगे। उस समय मनोज कुमार, सुनील दत्त, राजेन्द्र कुमार, धर्मेन्द्र सहित कई छोटे-मोटे कलाकार अपने बेटों को लांच करने में लगे हुए थे। 
 
सुभाष घई अपनी कसम पर कायम नहीं रह पाए और बाद में उसी संजय को लेकर उन्होंने 'खलनायक' बनाई थी। खैर, जैसे-तैसे घई ने 'विधाता' (1982) को पूरा कर रिलीज किया और उसके बाद उन्होंने जैकी श्रॉफ और मीनाक्षी शेषाद्रि जैसे गुमनाम कलाकारों को लेकर 'हीरो' घोषित कर दी। जैकी श्रॉफ को देव आनंद की 'स्वामी दादा' में विलेन के चमचे के महत्वहीन रोल में देखा गया था। जैकी तो फिल्म की शूटिंग देखने पहुंचे थे और देव आनंद ने उनकी शख्सियत से प्रभावित होकर उन्हें छोटा-सा रोल थमा दिया था। मीनाक्षी शे‍षाद्रि भी एक-दो ‍फ्लॉप फिल्म दे चुकी थीं। तो, जैकी-मीनाक्षी को लेकर घई ने 'हीरो' पूरी की। फिल्म प्रदर्शित हुई और बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई। 
सुभाष घई जानते थे कि उनके हीरो-हीरोइन गुमनाम होने के अलावा अभिनय में भी कमजोर हैं इसलिए उन्होंने संजीव कुमार, शम्मी कपूर, अमरीश पुरी, मदन पुरी, भारत भूषण जैसे सशक्त अभिनेताओं को चरित्र भूमिकाएं दी। 'हीरो' की कामयाबी के पीछे बड़ा हाथ लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का भी था। इन दोनों ने इतना मधुर संगीत रचा कि लोग गाने सुनने और देखने के लिए फिल्म को देखने दोबारा गए। डिंग डांग, लम्बी जुदाई, प्यार करने वाले कभी डरते नहीं, तू मेरा हीरो, मोहब्बत ये मोहब्बत, निंदिया से जागी बहार जैसे फिल्म में 6 गाने थे और सभी सुपरहिट रहे। आज भी सुने जाते हैं। 
 
इस फिल्म के बाद जैकी और सुभाष घई के बीच प्रगाढ़ संबंध बन गए। घई की फिल्मों में जैकी ने महत्वहीन भूमिकाएं भी खुशी-खुशी निभाईं। जब जैकी के यहां बेटे टाइगर ने जन्म लिया तो उसे देखने सुभाष घई गए और उसी वक्त उन्होंने टाइगर को यह कह कर साइन कर लिया कि इसको हीरो लेकर पहली फिल्म मैं ही बनाऊंगा। लगा कि घई टाइगर को लेकर 'हीरो' का रीमेक बनाएंगे, परंतु यह बात हकीकत नहीं बन पाई। टाइगर को लेकर साजिद नाडियाडवाला ने 'हीरो पंती' बनाई। टाइगर इस बात से खुश हो सकते हैं कि उनकी पहली फिल्म के शीर्षक में भी 'हीरो' शब्द है। 
 
हीरो को युवाओं ने बेहद पसंद किया था। उस समय सलमान खान की उम्र लगभग 18 वर्ष के आसपास होगी और उन्होंने भी हीरो देखी होगी। उनके मन में यह फिल्म बसी होगी तभी उन्होंने 'हीरो' का रिमेक बनाने की सोची। सूरज पंचोली को लेकर जब सलमान ने फिल्म बनाने का निश्चय किया तो उन्हें 'हीरो' ही याद आई। चार फोन कॉल्स उन्होंने लगाए और 'हीरो' के रीमेक का काम शुरू हो गया। 
 
सबसे पहले उन्होंने सुभाष घई से इजाजत ली कि क्या वे 'हीरो' का रीमेक बनाने की इजाजत देंगे? घई ने तुरंत हां कहा और सलमान ने उन्हें अपनी फिल्म में सह निर्माता बना लिया। दूसरा फोन उन्होंने सूरज पंचोली को लगाया और खबर दी कि तुम मेरी फिल्म कर रहे हो। तीसरा फोन अथिया शेट्टी के पिता सुनील शेट्टी को लगाया कि यदि अथिया फिल्म करना चाहे तो 'हीरो' का रीमेक बनने जा रहा है। सलमान की ओर से इतना आकर्षक प्रस्ताव मिला कि सुनील के मुंह से भी हां ही निकला। चौथा फोन निखिल आडवाणी को किया गया और सलमान ने उन्हें फिल्म निर्देशित करने की बागडोर सौंप दी। 
 
'हीरो' का रीमेक 32 वर्ष बाद बनाया गया है। 1983 में रिलीज हीरो ने जैकी श्रॉफ और मीनाक्षी शेषाद्रि को बॉलीवुड में स्थापित कर दिया और वे वर्षों तक दर्शकों का मनोरंजन फिल्मों के जरिये करते रहे। क्या 2015 में प्रदर्शित 'हीरो' भी ऐसा कर पाएगी? 
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