कंगना रनौट की फिल्म 'मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी' 25 जनवरी को रिलीज हुई है। इस फिल्म में कंगना रनौट ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का किरदार अदा किया है।
झांसी की रानी के किरदार ने सदैव ही फिल्म निर्माता-निर्देशकों को आकर्षित किया है। भारत के बड़े फिल्मकारों में से एक सोहराब मोदी ने 1953 में झांसी की रानी नामक फिल्म बनाई थी। यह भारत की पहली टेक्नीकलर फिल्म थी।
इस फिल्म में मोदी की पत्नी मेहताब ने टाइटल रोल निभाया था जबकि सोहराब मोदी राजगुरु की भूमिका में थे। इस फिल्म को 1956 में अंग्रेजी में डब कर 'द टाइगर एंड द फ्लेम' नाम से भी रिलीज किया गया था।
झांसी की रानी बड़े बजट की फिल्म थी, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर यह फ्लॉप रही। इस फिल्म से सोहराब मोदी को जबरदस्त नुकसान हुआ। कहा गया कि मोदी ने अपनी 35 वर्षीय पत्नी को लीड रोल देकर गलती की क्योंकि फिल्म में उन्हें उम्र से आधा दिखाया गया था। यह फिल्म भारत की बड़ी फ्लॉप फिल्मों में से एक है।
लगभग दस-बारह वर्ष बॉलीवुड की दो खूबसूरत हीरोइनों ने भी रानी झांसी की भूमिका निभाने की सोची थी। सुष्मिता सेन ने इस विषय पर काफी रिसर्च किया था और अपने रोल के लिए तैयारी भी शुरू कर दी थी। फिल्म का बजट बहुत ज्यादा था और महिला प्रधान फिल्म पर कोई भी इतना पैसा लगाने के लिए तैयार नहीं हुआ। इसलिए सुष्मिता ने अपना इरादा बदल दिया।
ऐश्वर्या राय को लेकर केतन मेहता ने झांसी की रानी पर फिल्म बनाने की योजना बनाई थी। ऐश्वर्या इस रोल को लेकर बेहद उत्सुक भी थी, लेकिन अंत में भारी भरकम बजट के कारण फिल्म को रद्द कर दिया गया। ऐश्वर्या और सुष्मिता सेन की इन फिल्मों की योजना साथ में बनी थी और तब खलबली मच गई थी कि इन दोनों सुंदरियों में से कौन बाजी मारता है।
ऐश्वर्या और सुष्मिता का सपना तो पूरा नहीं हो पाया, लेकिन कंगना रनौट फिल्म में झांसी की रानी बनने में कामयाब हुईं। जो काम सुष्मिता और ऐश्वर्या नहीं कर पाईं वो कंगना ने कर दिखाया है। अब देखना है कि कंगना की यह फिल्म दर्शकों को कितनी पसंद आती है।