13 साल पहले 9 नवंबर 2007 को दिवाली वाले सप्ताह में दो बड़ी फिल्में एक साथ रिलीज हुई थीं। मुकाबला था सुपरस्टार शाहरुख खान और नए नवेले रणबीर कपूर के बीच। इस बात पर आपत्ति हो सकती है कि यह मुकाबला बराबरी का नहीं था क्योंकि रणबीर तो महज अपना करियर शुरू करने जा रहे थे। रणबीर कपूर की सांवरिया का मुकाबला सितारों से सज्जित शाहरुख खान की 'ओम शांति ओम' से था। लेकिन यह मुकाबला इसलिए 'मुकाबला' बन गया क्योंकि सांवरिया का निर्देशन संजय लीला भंसाली ने किया था, जिनकी गिनती बड़े निर्देशकों में होती है।
साथ ही रणबीर कपूर ऐसे खानदान से हैं जिसने हिंदी फिल्मों को कई बड़े स्टार्स दिए। सांवरिया में सलमान खान और रानी मुखर्जी भी थे, हालांकि उनके रोल ज्यादा बड़े नहीं थे। तब सलमान और शाहरुख खान के स्टारडम में थोड़ा फर्क भी था। शाहरुख उस समय आगे थे।
एक और खास बात यह थी कि इसी दिन तीन नए कलाकारों की पहली फिल्म रिलीज हुई। रणबीर के साथ अनिल कपूर की बेटी सोनम कपूर ने बॉलीवुड में कदम रखा तो शाहरुख के साथ दीपिका पादुकोण ने करियर शुरू किया। इन तीनों ने ही आगे चल कर बॉलीवुड में नाम कमाया।
इन फिल्मों की टक्कर को जोर-शोर से प्रचारित किया गया। शाहरुख ने अपनी आदत अनुसार धुआंधार तरीके से फिल्म का प्रचार किया। मेहमान कलाकार के रूप में उनकी इस फिल्म में धर्मेन्द्र, जीतेन्द्र से लेकर तो सलमान खान तक नजर आएं।
इधर संजय लीला भंसाली ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी और फिल्म का खूब प्रचार कर अपनी नए कलाकारों की फिल्म को शाहरुख की बराबरी पर ला खड़ा किया। प्रचार के दौरान कई बार गरिमा भी भंग की गई। थोड़ी बदजुबानी भी हुई।
बहरहाल फिल्में रिलीज हुईं। शाहरुख खान की 'ओम शांति ओम' ने बॉक्स ऑफिस पर ऐतिहासिक ओपनिंग ली। मसाले और मनोरंजन से भरपूर इस फिल्म को दर्शकों ने हाथों-हाथ लिया।
दूसरी ओर सांवरिया की ओपनिंग भी अच्छी रही, लेकिन फिल्म दर्शकों को पसंद नहीं आई और नकारात्मक प्रतिक्रिया के कारण जल्दी ही दर्शकों ने इस फिल्म से दूरी बना ली। रणबीर कपूर और सोनम कपूर तो पसंद किए गए, लेकिन फिल्म नहीं। फिल्म की असफलता का सारा दोष भंसाली के निर्देशन को दिया गया। सलमान और रानी भी फिल्म को बचा नहीं पाए।
बॉलीवुड में इस टक्कर को जोर-शोर से प्रचारित किया गया और ऐसा शोर पहले शायद ही कभी सुना हो।