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राजनीति के आकाश में चमक पाएंगे सनी देओल? मुक्के नहीं, जुबां चलाना होगी

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समय ताम्रकर

ज्यादातर फिल्म स्टार्स जब करियर के ढलान पर होते हैं तब राजनीति का दामन थामते हैं ताकि भीड़ से घिरे रहे और लाइमलाइट में बने रहे। सितारों के माथे पर चिंता की लकीरें तब उभर आती हैं जब वे तनहा होने लगते हैं। लोगों की सेवा का भाव लेकर राजनीति में शामिल होने वाले सितारों की संख्या बहुत कम है। सुनील दत्त जैसे बिरले ही होते हैं। 
 
धर्मेंद्र के सुपुत्र सनी देओल के राजनीति में शामिल होने की खबरें कई वर्षों से चल रही थीं, लेकिन सनी ने इस बारे में कभी ठोस जवाब नहीं दिया। वे कहते रहे कि इस बारे में आश्वस्त नहीं हूं। अभी ना कह रहा हूं, हो सकता है कि कुछ महीनों बाद शामिल हो जाऊं। उनके उत्तर में ईमानदारी झलकती है। अब वे भी राजनीति के अखाड़े में उतर आए हैं। 
 
बरसों पहले शत्रुघ्न सिन्हा के राजनीति के मैदान में उतरने की अटकलें थीं तब वे सीना ठोंक कर कहते थे कि वे नेता नहीं बनेंगे, अभिनेता बन कर ही खुश हैं, लेकिन चंद दिनों बाद वे नेतागिरी करते नजर आए। 

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एक अभिनेता के रूप में सनी ने सफल पारी खेली है। शायद ही कोई स्टार पुत्र इतना कामयाब रहा हो जितना कि सनी देओल रहे हैं। उनके पिता ने 'बेताब' फिल्म से सनी को लांच किया था और इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। लेकिन सनी को अपनी सफलता का डंका पीटते नहीं आया। उनसे कमतर सफल सितारों ने ऐसा माहौल रचा कि वे सनी से ज्यादा सफल माने गए जबकि फिल्म उद्योग से जुड़े लोग जानते हैं कि सनी की फिल्मों से उन्होंने कितना पैसा कमाया है। 
 
फिल्मों की चमक भरी दुनिया में रहते हुए भी सनी इससे दूर-दूर रहे। देर रात चलने वाली पार्टियां उन्हें कभी रास नहीं आई। शराब और सिगरेट को उन्होंने हाथ लगाना पसंद नहीं किया। हीरोइनों से वे जैंटलमैन की तरह पेश आए। 
 
मीडिया से उन्होंने दूरी बनाए रखी और कभी भी अपने बारे में चटपटी खबरें छपवाना पसंद नहीं किया। बहुत कम बोलते हैं और उन्होंने सदैव 'काम के बोलने' पर विश्वास किया। चमचों की फौज खड़ी नहीं की। 

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सनी ने ईमानदारी के साथ काम करना पसंद किया। उन्होंने उसी व्यक्ति के साथ काम करना पसंद किया जिसके साथ पटरी बैठी। जिसके साथ नहीं जमी तो फिर वो कितना ही बड़ा बैनर या फिल्मकार हो सनी ने फिल्म नहीं की। 
 
बॉलीवुड में तो सनी अपनी शर्तों पर काम करने में सफल रहे हैं, लेकिन राजनीति में यह सब करना आसान नहीं है। सनी को अपना मूल स्वभाव छोड़ कर मीडिया से बात करना पड़ेगी। तीखे और चुभने वाले सवालों के जवाब देना पड़ेंगे। लोगों के बीच जाकर उनसे घुलना-मिलना पड़ेगा। सनी को हमेशा यह कोशिश करना पड़ेगी कि वे लाइमलाइट में बने रहे। 
 
विरोधी गड़े मुर्दे उखाड़ कर सनी को परेशान करेंगे। उन पर कीचड़ उछाला जाएगा। प्रतिष्ठा को धूमिल करने की कोशिश होगी। झूठ बोलने का सनी पर दबाव भी बनाया जा सकता है। झूठे आश्वासन देना भी उन्हें सीखना होगा। मेनिपुलेशन करना उन्हें सीखना होगा। विरोधी को पस्त करना उन्हें आना होगा। यहां मुक्के नहीं जुबां चलाना होगी। 
सनी को जो मिजाज है उसके हिसाब से यह सब उनके लिए कठिन है। हालांकि सनी को चुनौतियों से खेलना पसंद है, लेकिन राजनीति की राहें बेहद फिसलन भरी हैं। इस पर टिकना आसान नहीं है। अमिताभ बच्चन जैसे सुपरस्टार भी राजनीति करने के लिए गए थे और बाद में उन्होंने माना कि यह चीज उनके लिए नहीं बनी है। 

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