भारतीय संस्कार और मुस्लिम लड़कियाँ

अनहद
IFM
लड़कियों में जब भारतीय संस्कार की बात की जाती है, तो हमारी कल्पना में क्या कभी कोई मुस्लिम लड़की आती है? मुस्लिम लड़कियाँ भी सलीके और शालीनता के साथ कपड़े पहनती हैं, मुस्लिम लड़कियाँ भी शर्म-लिहाज और संकोच में हिन्दू लड़कियों जैसी ही होती हैं। मुस्लिम लड़कियों को भी खाना-पकाना सिखाया जाता है ताकि ससुराल में जाकर मायके का नाम चौपट न करें।

सास-ससुर और पति की सेवा हिन्दू लड़की के लिए यदि धर्म है, तो मुस्लिम लड़कियों के लिए भी है। खान-पान और पहनावे के ढंग में जरा-सा अंतर यदि भुला दिया जाए तो मुस्लिम लड़की के संस्कार भी हिन्दू लड़की की तरह ही होते हैं। हिन्दू लड़कियाँ यदि तरह-तरह के व्रत रखती हैं, तो मुस्लिम लड़कियाँ रोज़े रखती हैं। सब कुछ समान होने के बावजूद जब भारतीय संस्कारों की बात आती है, तो हमारे मन में हिन्दू लड़की ही आती है।

रॉबी ग्रेवाल की फिल्म "आलू-चाट" यूँ तो असफल फिल्म है, पर इस फिल्म में पहली बार जाने-अनजाने यह ध्यान दिलाया गया है कि भारतीय संस्कार मुस्लिम लड़की में भी बहुतायत में पाए जाते हैं। फिल्म की नायिका आमना शरीफ (वास्तविक नाम भी यही) एक मुस्लिम लड़की है। नायक (आफताब शिवदासानी) के माता-पिता घोर मुस्लिम विरोधी हैं। दोस्तनुमा चाचा तरकीब सुझाता है कि नायक किसी तरकीब से नायिका को घर बुलाए और नायिका अपनी सेवा और संस्कारों से घर वालों को प्रभावित करे। सो "दिलवाले दुल्हनिया" फिल्म की तर्ज पर खेल रचा जाता है।

नायक अँगरेज लड़की से शादी का बहाना करता है और आमना को उसकी सहेली बताकर घर बुलाता है। अँगरेज लड़की के खिलाफ आमना को खड़ा करके जब यह बताया जाता है कि देखिए अँगरेज लड़की के मुकाबले आमना में किस कदर भारतीय संस्कार हैं, तब ध्यान आता है कि अरे भारतीय संस्कारों की बात करते समय हम मुस्लिम लड़कियों को तो भूल ही जाते हैं।

" आलू चाट" में एक अच्छी कॉमेडी फिल्म की संभावना थी। मनोज पाहवा, संजय मिश्रा "ऑफिस-ऑफिस" से पहचान बना चुके हैं। कुलभूषण खरबंदा की रेंज पर कोई शक नहीं कर सकता। कहानी अच्छी थी। मेहनत पटकथा पर की जानी चाहिए थी। एडिटिंग टेबल पर भी फिल्म का ढीलापन दूर किया जा सकता था। कई जगह फिल्म बरबस हँसाती है, तो कई जगह खिजाती भी है।

एक अच्छा संदेश देने की संभावना फिल्म के साथ जाया हो गई। नई तारिका आमना की सुंदरता भी ठीक तरह से सामने नहीं आ पाई। आफताब शिवदासानी में अभिनय क्षमता बहुत ज्यादा नहीं है। अच्छा निर्देशक भले ही उनसे कुछ काम ले ले, पर छोटे-मोटे निर्देशक तो आफताब से अभिनय करा ही नहीं सकते। कुल मिलाकर यह फिल्म देखने लायक बनने से रह गई।

( नईदुनिया)


Show comments

बॉलीवुड हलचल

बेटे संजय दत्त संग रेखा का नाम जुड़ने पर भड़क गई थीं नरगिस, एक्ट्रेस को बताया था 'चुडैल'

करिश्मा कपूर के एक्स हसबैंड संजय कपूर की मां के आरोपों पर सोना कॉमस्टार ने दिया जवाब

Bigg Boss 19 में होगी इस फेमस सिंगर की एंट्री, डिप्रेशन के बाद फैमिली से तोड़ दिया था रिश्ता!

अश्लील कंटेंट की वजह से सरकार ने ALTT पर लगाया बैन, एकता कपूर ने पोस्ट कर दी सफाई

Kargil Vijay Diwas: कारगिल युद्ध को दर्शाती बॉलीवुड फिल्में

सभी देखें

जरूर पढ़ें

सैयारा रिव्यू: गहरे जज्बात, रोमांस और संगीत की नई उड़ान

37 साल छोटी एक्ट्रेस संग बिग बॉस में एंट्री करके अनूप जलोटा ने मचा दिया था तहलका, अब बताया रिश्ते का सच

सैयारा देख थिएटर्स में ही क्रेजी हुए युवा, कोई छाती पीट चीख रहा तो कोई दहाड़े मारकर रो रहा

अहान पांडे-अनीत पड्डा की सैयारा देख करण जौहर की आंखों से निकले आंसू, बोले- पूरे देश को प्यार में डुबो दिया

क्या इस कोरियन मूवी की कॉपी है अहान पांडे-अनीत पड्डा की सैयारा? यूजर्स ने निकाला कनेक्शन