कलियों का चमन के वीडियो अलबम से धूम मचाने वाली मेघना नायडू ने ‘हवस’ के जरिए बॉलीवुड में प्रवेश किया था। इसी तरह की फिल्में करने के बाद मेघना ने दक्षिण भारतीय फिल्मों की ओर रुख किया। अब मेघना की वापसी ‘रिवाज’ फिल्म के जरिए हो रही हैं, जिसमें वह अपनी सेक्स-सिम्बल की इमेज से हटकर एक नए रूप में नजर आएंगी। आइए इस बारे में पूछे मेघना से :
बहुत दिनों से आप हिंदी फिल्मों में नजर नहीं आई? मैं दक्षिण भारतीय फिल्मों में व्यस्त थीं इसलिए हिंदी फिल्मों में दिखाई नहीं दी। वहाँ पर काम खत्म किया और मुझे ‘रिवाज’ में काम करने का मौका मिल गया।
क्या ‘रिवाज’ औरतों के शोषण के बारे में हैं? हाँ। जब मुझे इस फिल्म के निर्माता-निर्देशक अशोक नंदा ने ‘रिवाज’ की कहानी सुनाई तो मैं सोच में पड़ गई। मैंने ऐसे किरदार के बारे में कभी सोचा भी नहीं था। अशोक को पूरा विश्वास था कि मैं यह रोल अच्छी तरह निभा सकूँगी। ‘रिवाज’ एक गाँव की कहानी है। इस गाँव में बेटियों को वेश्यावृत्ति की ओर धकेल दिया जाता है ताकि उनका घर खर्च चल सकें। इस रिवाज को फिल्म में दिखाया गया है।
पटकथा सुनने के बाद आपकी क्या प्रतिक्रिया थी? यह कहानी सुनने के बाद मुझे बहुत धक्का पहुँचा। मुझे नहीं पता था कि ऐसे रिवाज भारत में अभी भी है। मेरे निर्देशक ने इस विषय पर काफी रिसर्च किया है। उन्होंने मुझे अपना सारा काम दिखाया, जब मुझे विश्वास हुआ कि ये सब सच है। इसीलिए मैंने इस भूमिका को करने की हामी भरी।
आप किस तरह का किरदार इस फिल्म में निभा रही है? मैं चंदा नामक किरदार निभा रही हूँ जिसे उसके परिवार वालों ने वेश्यावृत्ति की ओर धकेला है। चूंकि चंदा सुन्दर नहीं है इसलिए उसकी ओर कोई आकर्षित नहीं होता। इसलिए वह इतना नहीं कमा पातीं कि उसके परिवार का घर खर्च चल सकें। यहीं उसकी समस्या है। इस फिल्म में मैंने कोई मेकअप नहीं किया है। मैंने जो किरदार निभाया है उसकी मेकअप में कोई रूचि नहीं है। वह एक गाँव की सीधी-सादी लड़की है।
क्या आपको चंदा का चरित्र निभाने में कोई हिचकिचाहट नहीं हुई? मैं इस भूमिका को करने के पहले जरूर घबरा रही थीं। मुझे लगा कि लोगों ने मुझे हमेशा ग्लैमरस भूमिकाओं में ही देखा है। क्या वे मुझे इस तरह की भूमिका में स्वीकार करेंगे, ऐसा मन में विचार भी आया। लेकिन आप एक जैसी चीज हमेशा नहीं कर सकते। कभी न कभी आपको जोखिम मोल लेना ही पड़ता है। मैंने और मेरे निर्देशक ने एक बड़ा खतरा उठाया है।
आपके इस रिवाज के बारे में क्या विचार है? यह बहुत ही बड़ा मुद्दा है। इस फिल्म के पूर्व मुझे इस बारे में कुछ भी नहीं पता था। इसके खिलाफ किसी न किसी को खड़ा होना पड़ेगा। इस तरह का रिवाज भारत के 353 जिलों में है। यह सब पिछले सौ वर्षों से हो रहा है। इस फिल्म के निर्देशक को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने इस पर फिल्म बनाने का फैसला किया।
इस फिल्म को न्यूयार्क फिल्म समारोह के लिए भी चुना गया है। इस समारोह में मेरी फिल्म को चुने जाने से मैं बहुत खुश हूँ। इसे वहाँ ज्यादा से ज्यादा लोग देखेंगे। यह फिल्म अगस्त में प्रदर्शित होगी।
क्या आपको अभी भी दक्षिण भारतीय फिल्मों के ऑफर आ रहे हैं? मैंने बॉलीवुड से ब्रेक लेकर दक्षिण भारतीय फिल्मों में काम किया क्योंकि मैं कुछ अलग हटकर करना चाहती थीं। वहाँ काम करने के बाद मुझे फिर ब्रेक की जरूरत पड़ी तो मैं यहाँ वापस आ गईं। यद्यपि मुझे वहाँ से ऑफर मिल रहे हैं लेकिन मैं फिलहाल अपना सारा ध्यान बॉलीवुड पर ही लगाना चाहती हूँ।