मेरा सपना साकार हुआ : सोनू सूद

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यह वर्ष सोनू सूद के लिए अब तक बेहतर रहा। ‘जोधा अकबर’ में ऐश्वर्या के भाई की भूमिका और ‘सिंह इज़ किंग’ में किंग बने सोनू ने सशक्त अभिनय किया। जिस पहचान की वे तलाश में थे, उसमें कुछ हद तक वे सफल रहे। हीरो के रूप में उनकी फिल्म ‘एक विवाह ऐसा भी’ प्रदर्शित होने जा रही है। इस फिल्म का निर्माण राजश्री प्रोडक्शन ने किया है। पेश है सोनू से बातचीत :

फिल्म में अपने किरदार के बारे में बताइए।
मेरे किरदार का नाम प्रेम है। वह नैतिक मूल्यों और वचनबद्धता वाला व्यक्ति है। गायक बनने की चाह रखने वाला प्रेम अपने ही शहर भोपाल की चाँदनी नाम की लड़की से प्यार करता है। उनकी प्रेम कहानी परवान चढ़ती है और प्रेम, चाँदनी की कठिन परीक्षा की घड़ी में उसके साथ बड़ी दृढ़ता और मोहब्बत से खड़ा रहता है।

यह किरदार निभाते हुए कोई बंधन और दायरा महसूस किया जैसा कि चरित्र प्रेम ठेठ राजश्री की पहचान है?
कोई बंधन नहीं क्योंकि दर्शक जानते हैं कि प्रेम का वजूद है। वे उसके चरित्र को पहचानते हैं और सबसे बड़ी बात उससे प्यार करते हैं। माँ उसमें अपने बेटे की छवि देखती है जबकि कुछ महिलाएँ अपने आदर्श साथी को देखती हैं। मेरे लिए चुनौतीपूर्ण था कि सबकी उम्मीदों पर खरा उतरते हुए मुझे इस ‍चरित्र के दायरे में रहना था।

आपको यह प्रस्ताव किस तरह मिला?
मैं तब पंजाब में था, मुझे राजश्री के दफ्तर से फोन आया। 15 दिन बाद राजश्री दफ्तर गया। कहानी पहली बार में ही पसंद आ गई। यह मानी बात है कि वे लोग पारदर्शी नजरिए से कार्य करते हैं। सूरजजी ने मुझे एक फाइल दिखाई जिसमें प्रेम की वेशभूषा, हावभाव आदि का विवरण था। इस तरह की टीम के साथ काम करके ऐसा महसूस हुआ कि मेरा कोई बड़ा सपना साकार हो गया।

ईशा के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
हम एक-दूसरे को पिछले 8-10 सालों से जानते हैं। एक तमिल फिल्म से हम दोनों ने करियर की शुरुआत की थी। उसमें कुछ सीन एक साथ किए थे। मुझे लगा कि वे अच्छी अभिनेत्री हैं। सोचा था कि एक अच्छी फिल्म की उन्हें जरूरत है और एक विवाह ऐसा भी से वे यह साबित कर देंगी। वे अपना होमवर्क अच्छी तरह करती हैं। मेहनती और समर्पित हैं।

भोपाल में शूटिंग करना कैसा रहा?
भोपाल एक छोटा शहर है। इस फिल्म की कहानी मुंबई के बजाय भोपाल के ज्यादा करीब है। इस शहर की अपनी बनावट और अपना इतिहास है। यही वह परिवेश था जिसे निर्माता फिल्म के लिए चाहते थे। लोकेशन अच्छी थी और वहाँ शूटिंग करना बड़ा अच्छा और मजेदार रहा। मैं बचपन में भोपाल गया था ‍इसलिए शहर मेरे लिए नया नहीं था।

राजश्री बैनर के साथ काम करने का कैसा अनुभव रहा?
यह किसी सपने के साकार होने जैसा था। हर अभिनेता को एक बार उनके साथ काम करना चाहिए। पारिवाहिक माहौल मिलता है। वे अभिनेताओं और तकनीशियनों की पूरी देखभाल और ख्याल रखते हैं। काम के प्रति वे लोग स्पष्ट और पारदर्शी हैं। मुझे याद है कि हर रात सूरजजी का एसएमएस आता था, जिसमें वे दिनभर के काम और मेरे अभिनय का जिक्र और तारीफ किया करते थे। वहाँ कोई राजनीति नहीं है।

कौशिक घटक के बारे में?
वे बेहतरीन तकनीशियन हैं। उन्होंने डेढ़ वर्षों तक स्क्रिप्ट पर काम किया इसलिए कोई उलझन और संदेह नहीं था। भविष्य में भी उनके साथ काम करने की इच्छा है।

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