एक पोलीटिशियन के किरदार में खुद ढालना कितना आसान रहा?
आसान तो नहीं रहा, क्योंकि इस तरह का किरदार इससे पहले मैंने कभी निभाया ही नहीं था। इस किरदार को निभाने के लिए मैंने सुषमा स्वराज, ममता बनर्जी और सोनिया गांधी से प्रेरणा ली। मैंने इन तीनों को बहुत बारीकी से ऑब्जर्व कर उनके मैनेरिज्म को अपनाने का प्रयास किया है। इसके अलावा निर्देशक सौमिक सेन की मदद से मैं अपने किरदार को निभा पाई।
फिल्म' गुलाब गैंग' के निर्देशक सौमिक सेन की यह पहली फिल्म है। उन पर आपको यकीन कैसे हुआ?
सौमिक सैन ने इस फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी है। इसके संवाद लिखे हैं। इस फिल्म को संगीत से भी संवारा है। इसके अलावा उन्हें फिल्मों की बहुत अच्छी जानकारी है। जिन्होंने फिल्मों को निचोड़कर अपने अंदर रख लिया है, वह अच्छा निर्देशक न हो, यह तो हो ही नहीं सकता है। उन्होंने नारी सशक्तिकरण को लेकर काफी कुछ सोचा है। काफी रिसर्च किया है।
माधुरी दीक्षित के साथ काम करने के अनुभव कैसे रहे?
माधुरी दीक्षित मेरी सर्वश्रेष्ठ सह-कलाकार हैं। वंडरफुल अनुभव रहे। हम दोनों एक-दूसरे से परिचित भी रहे हैं। शुरू से ही लोगों ने हमारे बीच तुलना की थी जबकि उन्हें किसी बात की परवाह नहीं थी। आज भी वे किसी बात की परवाह किए बगैर सिर्फ अपने काम पर ही ध्यान देती हैं।
लोग माधुरी दीक्षित के साथ आपकी तुलना करेंगे, आप इसे कैसे लेंगी?
कोई तुलना नहीं होगी। मैं तो यहां विलेन हूं।
इन दिनों भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ आंदोलन के जरिए यानी कि बिना हथियार के लड़ाई हो रही है, जबकि आपकी फिल्म 'गुलाब गैंग' में डंडा उठाकर लड़ाई हो रही है?
हम अपनी फिल्म में दिखा रहे हैं कि सिस्टम से लड़ने के लिए आपको सिस्टम का हिस्सा बनना होगा।
अब आप किस हिसाब से फिल्में चुनती हैं?
मुझे अच्छी फिल्मों का हिस्सा बनना है। मैं यह नहीं देखती कि फिल्म में मैं हीरोइन हूं या नहीं।
आपके पसंदीदा निर्देशक कौन से रहे हैं?
यश चोपड़ा, अजीज मिर्जा, महेश भट्ट जैसे निर्देशकों के साथ काम करते हुए मैंने हमेशा एंजॉय किया है।