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निर्देशक के सामने ओवरस्मार्ट बनने की कोशिश नहीं करता : अक्षय कुमार

हमें फॉलो करें निर्देशक के सामने ओवरस्मार्ट बनने की कोशिश नहीं करता : अक्षय कुमार

रूना आशीष

जब ये बात देश के भरोसेमंद अभिनेता, पद्मश्री से सम्मानित हीरो और करा में सिक्स्थ डिग्री ब्लैक बेल्ट जीत चुके अक्षय कह रहे हों तो मानना मुश्किल हो जाता है। अक्षय इन दिनों अपनी फिल्म 'जॉली एलएलबी' के प्रोमोशन में लगे हुए हैं। वे ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि उनका मानना है कि निर्देशक आपके रोल के बारे में आपसे ज्यादा जानता है।


 
अक्षय कहते हैं कि मैं अपने करियर में पहली बार किसी वकील की भूमिका को निभा रहा हूं और मैंने इसके लिए कोई भी तैयारी नहीं की है, क्योंकि मेरा पक्का यकीन है कि मेरा निर्देशक मुझसे ज्यादा तैयारी करता है और मैं किसी भी सूरत में अपने निर्देशक से अच्छी तैयारी तो नहीं कर सकता। मैं तो उससे कॉंम्पिटिशन भी नहीं लगा सकता, क्योंकि वो 1 साल में 1 ही फिल्म करता है और मैं 3 से लेकर 4 फिल्में करता हूं। तो बेहतर यही होगा कि मैं उसके कहे अनुसार काम करूं और कॉमन सेंस भी यही कहता है कि मैं वहीं करूं, जो उसमें मुझे करने को कहा गया है और उसने मेरे रोल के लिए सोचा है। वो जानता है कि कोर्टरूम में क्या होगा और कैसी भाषा होनी चाहिए, तो ओवरस्मार्ट बनने की कोशिश मत करो।
 
आपने फिल्म इंडस्ट्री में 26 साल पूरे किए हैं, कैसा रहा ये सफर? 
हां, ये सफर ही है। मैंने करियर के पहले 8 से 10 साल में रोज एक्शन फिल्में ही कीं। एक्शन के अलावा मुझे कोई रोल भी ऑफर नहीं करता था। मुझे ये आज भी याद है कि एक बार मैं अपने घर की लिफ्ट से शूट के लिए बाहर जा रहा था और लिफ्ट में लगे आईने को देखा। मुझे लगा, जैसे आईना पूछ रहा हो कि आज भी वही करने जा रहा है तू- 2 किक, 3 पंच, 4 बार गिरना और घर आ जाओ। उस दिन मैंने सोचा कि कुछ तो नया करना ही होगा और फिर प्रियदर्शन साहब से बात की। उन्होंने मुझे यकीन दिलाया कि मैं कॉमेडी कर सकता हूं। नीरज वोहरा, राजकुमार संतोषी ने बहुत कुछ सिखाया।


 
आपको अपनी कौन-सी फिल्म बहुत अच्छी लगती है? 
मुश्किल है कहना फिर भी मुझे मेरा रोल 'संघर्ष' फिल्म में बहुत पसंद आया था।
 
आपकी फिल्म 'रुस्तम' ने ज्यादा तारीफें और पैसे बटोरे जबकि 'हाउसफुल 3' जैसी फिल्म पीछे रह गईं, तो क्या आज दर्शकों को नया कंटेट चाहिए है? क्या कहना है आपका?
बिलकुल, कंटेट तो हर फिल्म में चाहिए है। लोगों को कुछ अच्छा देखने की चाह है। वे 150 या 250 रुपए देकर खुश होना चाहते हैं। उनको लगना चाहिए कि उन्होंने एक कहानी को देखा है। 'एक था राजा, एक थी रानी और खत्म कहानी' अब नहीं चलेगा। अब उनको राजा की जिंदगी में ट्विस्ट चाहिए या फिर रानी का कहीं अफेयर था, ऐसी कहानी चाहिए।

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आप अपनी पत्नी ट्विंकल से स्क्रिप्ट डिस्कस करते हैं? 
नहीं, उसके पास टाइम नहीं है इतना। वे लिखती रहती हैं। वे अपने कामों में मसरुफ रहती हैं।
 
अक्षय, आपके पहले 'जॉली एलएलबी' में अरशद ने काम किया था, तो क्या कोई बातचीत हुई है आपकी?
हां, मैं तो शुक्रगुजार हूं अरशद का कि उन्होंने मेरे सामने ऐसी फिल्म करने का एक उदाहरण दिया है। मुझे लगता है कि उस फिल्म को इतना पसंद किया गया तो मेरे कंधों पर अब एक जिम्मेदारी लगती है। अभी किसी ने कहा था कि अरशद मेरे से छोटे एक्टर हैं तो मैं उनको बता देना चाहता हूं कि वे भी मेरी ही तरह एक एक्टर हैं। कोई छोटा या बड़ा एक्टर नहीं होता। वे मेरे बड़े अच्छे दोस्त हैं। मेरी उनसे इस फिल्म को लेकर बातचीत भी हुई है।


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