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पैडमैन के बिजनेस के बारे में तो मैं सोच भी नहीं रहा : अक्षय कुमार

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रूना आशीष

'जब मैं अपनी पिछली फिल्म 'टॉयलेट' बना रहा था तो ये बहुत ही रिस्की प्रोजेक्ट था। अब जो फिल्म आ रही है वो भी 'टॉयलेट' जैसी समस्या पर ही आधारित है और वो भी एक लव स्टोरी है। मैंने सोचा नहीं था कि 'टॉयलेट' लोगों पर इस कदर प्रभाव डालेगी कि लोग अब अपनी पत्नी, मां या बहन के लिए टॉयलेट बनाने की बात करेंगे। वैसे ही 'पैडमैन' कितना बिजनेस करती है, उसके बारे में तो मैं सोच भी नहीं रहा। सोशल मीडिया जैसे सशक्त माध्यम पर दो मर्द आपस में बातें कर रहे हैं। पूछ रहे हैं एक-दूसरे से कि तूने 'पैडमैन' का ट्रेलर देखा क्या? सैनिटरी पैड की बात कर रहे हैं। मेरे लिए फिल्म की कामयाबी वहीं तय हो गई। देखो, आज हम सब मिलकर एक साथ बैठकर सैनिटरी पैड की बातें कर रहे हैं। मेरे लिए ये एक कामयाबी है। देखते हैं कि फिल्म कितनी कामयाब होगी।'
 
अक्षय की इन बातों पर आपको भी यकीन हो जाता है, जब वे अपने पूरे दिल से ये बात करते हैं। उनकी फिल्म 'पैडमैन' 9 फरवरी को रिलीज हो रही है। अक्षय इन दिनों अपनी फिल्म के प्रमोशन में लगे हुए हैं। उनसे बात कर रही हैं 'वेबदुनिया' संवाददाता रूना आशीष।
 
पैड मुफ्त कर दो 
मेरा सोचना अलग है। मुझे लगता है कि किसी तरह का कोई टैक्स ही नहीं बनना चाहिए इन पैड्स पर। ये तो रोजमर्रा की चीजें हैं, जो घर में महिलाओं के काम आती हैं। उन पर टैक्स से कहीं आगे बढ़कर हमें इसे मुफ्त कर देना चाहिए। अब लड़ाई या जंग का तो कोई जानता नहीं है लेकिन फिर भी हथियार तो हम इकट्ठा करके रखते हैं ना! तो बस मेरा कहना है कि उसी बजट में से 1 प्रतिशत इन मुफ्त के सैनिटरी नैपकिन के लिए रख लो। एक पैड कितने का आता होगा? उसमें से भी हमारे देश में केवल 10% महिलाएं ही सैनिटरी पैड खरीदने की हैसियत रखती हैं बाकी की तो इतना खरीद पाने में भी अक्षम हैं। उन्हीं महिलाओं का लक्ष्य बना लो और उनके लिए पैड को मुफ्त कर दो। थोड़े बम कम खरीद लो। उन पैसों में से मुश्किल से एक प्रतिशत भी पैड्स खरीदने में लगा दिए तो बहुत हो जाएगा।
 
मां या बेटी के साथ फिल्म देखो 
इस फिल्म के लिए जितनी भी स्टडीज या रिसर्च करनी थी, वो सब बाल्की ने की। फिल्म उन्होंने लिखी। मैं तो सिर्फ बाल्की से मिला और उन्होंने जो कहा वो कर लिया। अरुणांचलम यानी रियल 'पैडमैन' के बारे में मैं ये कह सकता हूं कि वे तो बहुत ही कमाल का काम कर गए। जिन पैड्स को बनाने में करोड़ों की मशीनें लगती हैं, उन्होंने 60 हजार में बना दीं। उन्होंने ये काम अपनी पत्नी के लिए किया था। वे नहीं चाहते थे कि उनकी पत्नी को ये परेशानी भी उठानी पड़े। आप जानते ही होंगे कि जब महिलाओं को पीरियड्स आते हैं तो वो राख, गंदा कपड़ा और भूसे जैसी चीजें इस्तमाल करती हैं। मैं तो कहता हूं कि आप अपनी मां या पिता या अपनी बेटी को साथ में ले जाकर फिल्म देखें। ये कोई टैबू ना रहे। लोग पीरियड्स या सैनिटरी पैड के बारे में खुलकर बातें करें। 
 
इस सोच से लड़ना है 
अक्षय आगे बताते हैं कि 'पीरियड्स के बारे में इतनी खुलकर बातें हों कि लोगों को कोई झिझक ही न बचे। मसलन एक लड़का और एक लड़की सड़क पर टहल रहे हों और लड़की कह दे कि अरे मेरे पीरियड शुरू हो गए। हाल ही में मैं अपनी एक दोस्त से मिला। उसने कहा कि मैंने तुम्हारी नई फिल्म का ट्रेलर देखा और फिल्म का नाम लेते समय फुसफुसाई कि 'पैडमैन' का ट्रेलर। मुझे लगा कि ये नाम क्यों जोर से नहीं ले रही? बस मुझे लोगों की इस सोच से लड़ना है।
 
अक्षय की साल की पहली फिल्म 'पैडमैन' में उनके साथ सोनम कपूर और राधिका आप्टे भी काम कर रही हैं। ये कहानी असली 'पैडमैन' अरुणांचलम मुरुगदासम से प्रेरित है। पिछले साल रिलीज हुई 'फुल्लू' के अलावा ये दूसरी ऐसी फिल्म है जिसमें महिलाओं के पीरियड्स या सैनिटरी पैड की बात कही गई हो।

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