Aamir Khan Interview: सरफरोश में मेरा जो काम था एक पुलिस वाले का था और वह सिनेमा में उस समय जितने भी पुलिस वाले थे, उससे कुछ अलग हटकर रहा। खुशी होती है कि मैंने सरफरोश ने काम किया। फिल्म आने के बाद कई सारे लोग जो पुलिस डिपार्टमेंट के हैं या पुलिस इंस्पेक्टर है, सिपाही हैं आकर मुझे कहते थे कि मैंने सच्चाई की करीब जाकर इस रोल को दिया है तो अच्छा लगता है कि मैं ऐसे किसी फिल्म का हिस्सा बन सका।
यह कहना है आमिर खान का जो हाल ही में अपनी फिल्म सरफरोश के 25 साल पूरे होने के लिए एक इवेंट में पूरी स्टार कास्ट के साथ मौजूद थे। अपनी बातों को आगे बढ़ाते हुए आमिर खान ने कहा कि यह पूरी फिल्म मुझे बहुत अच्छी लगती है। लेकिन एक बात का रंज हमेशा मेरे दिल में बना रहेगा। वह यह कि जब मैं पुलिस का रोल कर रहा था तब मुझे मेरे बालों की कटिंग कर देनी चाहिए थी।
मेरा हेयरकट मैं जितना चाहता था, इतना छोटा नहीं कर पाया और उसका कारण यह था कि उसमें मैं कुछ फिल्म एक साथ ही साथ शूट कर रहा था। इतना बड़ा लुक का बदलाव नहीं ला सकता था। इसलिए जब भी मैं वह फिल्म देखता हूं या कोई सीन आ जाता है तो ऐसा लगता है कि अरे यार ऐसा नहीं हो सकता है कि यह वाला सीन है और यह वाला जो रोल है, मैं एक बार फिर कर सकूं और बालों की लंबाई है मैं अपने हिसाब से रख सकूं। हां, यह बात जरूर है कि उसमें मेरे एकदम सीधे सादे कपड़े थे तो शायद थोड़ा मदद कर गया।
फिल्म के बारे में बात करते हुए फिल्म की एक्ट्रेस सोनाली बेंद्रे ने कहा कि मुझे जब यह वाला रोल ऑफर किया। तब मेरे करियर में मुझे कई सारी ऐसी फिल्में दी जा रही थी जिसमें मुझे ग्लैमर डॉल का रोल निभाया था या फिर मुझे एकदम बहुत ज्यादा स्किन शो करने की डिमांड की जा रही थी। ऐसे में जॉन ने जब मेरे सामने फिल्म रखी तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाई मैं तो धन्यवाद ही कहूंगी। जॉन ने ऐसी फिल्म के लिए मुझे याद किया गया।
सोनाली ने कहा, मुझे वैसे भी फिल्म के बारे में ज्यादा नहीं बताया। जॉन ने कहा, आमिर है और नसीरुद्दीन शाह है और मैंने कहा नसीर साहब है और उनके लिए कहानी में या प्लॉट में कोई ट्विस्ट नहीं होगा। पहले तो जॉन ने मुझे कुछ भी नहीं बताया लेकिन जब मैं बहुत पीछे पड़ गई तब जाकर उन्होंने मुझे पूरा प्लॉट सुनाया और मैंने तब यकीन किया कि देखिए इतने महान नसीर साहब काम कर रहे हैं और कहानी में कुछ ना कुछ तो ट्विस्ट होगा ही।
अपने रोल के बारे में बात करते हुए मुकेश ऋषि बताते हैं कि मैं उस में आमिर के साथ ही फिल्म कर रहा था और बाजी के कुछ आखिरी सीन के शूट हम लोगों के पिक्चराइज किए जा रहे थे। आमिर खान ने मुझसे पूछा कि एक ऐसी फिल्म बन रही है तुम इसमें कोई रोल निभाना चाहोगे और मैं मन ही मन सोचने लगा अब आमिर मुझे एक रोल ऑफर कर रहे हैं तो मेरी जुर्रत कि मैं उसे मना कर दूं, लेकिन यह सब बातचीत हो रही थी और पीछे से एक बड़ी जोर से आवाज आई लुक टेस्ट देना पड़ेगा। मैंने देखा तो आशुतोष गोवारीकर थे।
मैंने फिर मन में सोचा और कहा कि मैंने अपनी जिंदगी में भी पाया ही क्या है जो मैं लुक टेस्ट ना दूं, मैं तो दे दूंगा। बजाय इसके अगर सिलेक्ट नहीं भी हुआ तो कुछ ना कुछ पा लिया है मैं ऐसा सोच लूंगा और कह दिया बिल्कुल लुक टेस्ट भी दे दूंगा। मैं सच कहूं तो बाजी ने मुझे गिफ्ट में सरफरोश दी और सरफरोश ने गिफ्ट की मेरी जिंदगी की एक ऐसी फिल्म जो मुझे अभी भी दिल के बहुत करीब है।
मुकेश ऋषि आगे बताते हैं कि जब मैं इसका लुक टेस्ट देने के लिए गया तो मुझे कुछ डायलॉग दिया गया। मैं याद करके उसे परफॉर्म करने के लिए पहुंचा और मैंने देखा कि कैमरा तो है लेकिन कैमरा के पास आंखें गड़ाए जॉन साहब और कैमरामैन खड़े हैं। मैंने अपना रोल निभाया और फिर हल्के से कैमरा के ऊपर की तरफ देखा, जॉन साहब और कैमरामैन ने आंखें मिलाई और मुझे महसूस हुआ कि चलो लगता है कि मेरा काम बन जाएगा। जॉन साहब मैं आज भी आपको धन्यवाद देता हूं। मुझे चुनने के लिए।
फिल्म के बारे में बातें करते हुए जॉन मैथ्यू जो फिल्म के निर्देशक हैं, वह बताते हैं कि हमने इस फिल्म के प्लॉट के बारे में किसी को कुछ भी नहीं बताया था और ऐसा हमने जानबूझकर किया था। यह हमारी सरवाइल ट्रिक थी। इसके बारे में आमिर खान और नसीर साहब के किसी को नहीं बताया। बाद में सोनाली को बताना पड़ गया था और वह समझ भी गई थी। दरअसल बात यह है कि इसके पहले कभी भी फिल्मों में पाकिस्तान को इस तरीके से चित्रित नहीं किया गया ना कभी दिखाया गया था और हम सोच रहे थे कि यह कितना सही होगा।
इस बात को और ज्यादा समझाने के लिए आमिर बताते हैं कि हमें सबसे ज्यादा जो तनाव था वो इस बात का था कि सेंसर बोर्ड फिल्म पास करेगा या नहीं करेगा क्योंकि तब होता यह था कि हम पाकिस्तान को सीधे तरीके से दुश्मन नहीं बता सकते थे। हमें बताना पड़ता था कि हमारे पड़ोसी मुल्क या पड़ोसी दोस्ताना मुल्क। पडोसी मित्र देश कुछ ऐसा जुमलों का इस्तेमाल करना पड़ता था और इस फिल्म में शायद पहली बार सीधे-सीधे तौर पर पाकिस्तान से आतंकवाद कैसे हो रहा है, वह दिखाया गया था इसी वजह से थोड़ा सा हम लोग पसोपेश में थे।
आमिर ने कहा, जब उस समय आडवाणी साहब संसद में पाकिस्तान पर सीधे-सीधे आरोप लगा सकते हैं तो भाई हमारी फिल्म ने क्या बुरा कर लिया तो फिर तो हम भी बता ही सकते थे। यानी सेंसर बोर्ड की वजह से हमें थोड़ा सा सोच समझ कर चलना पड़ रहा था। हालांकि फिल्म में ये सब कट नहीं हुआ और फिल्म पास कर दी गई।
बकरी वाले सीन के लिए नसीरुद्दीन शाह बताते हैं कि मेरा एक बहुत ही भयानक और राक्षसी स्वरूप दिखाया जाना जरूरी था कि आप जिस इंसान को इतना सीधा साधा सच्चा और कलाकार समझ रहे हैं, वह असल में है क्या? उसके दिमाग में चल क्या रहा है तो मुझे बताया गया था कि मैं अपने गाने की रियाज में हूं और बकरी की आवाज की वजह से मैं रियाज में खलल पड़ता है और मुझे इतना गुस्सा आता है कि मैं उसका कान काट खाता हूं। अब इस पर हुआ यह कि सेंसर बोर्ड ने आपत्ति ले ली। उनका कहना है जो करना है करो दिखाओ मत।