देखिए जब आप पहली बार में छक्का मार देते हैं तो आपके ऊपर एक दबाव बन जाता है कि बाकी की 5 गेंदों में कैसे खेलेंगे? मेरे साथ भी वही है पहली फिल्म लोगों को बड़ी अच्छी लगी गुड न्यूज़ और इस बात का प्रश्न भी हमेशा रहेगा कि गुड न्यूज़ फिल्म देने के बाद मेरी अगली फिल्म में अच्छा कर रहा हूं या नहीं कर रहा हूं। वह जिम्मेदारी हमेशा मेरे कंधों पर रही है। लेकिन यह जिम्मेदारी या यह प्रश्न हमेशा तभी तक रहेगा जब मैं कोई फिल्म लिख रहा हूं। जैसे ही लिखना शुरु कर दिया, उसके बाद मेरे पास क्या कहानी है मेरे पास कौन एक्टर हैं। इस कहानी को यहां से शुरू यहां से अंत करना है। फिर वह दबाव लोगों के एक्सपेक्टेशन साइड में रखने पड़ते हैं और काम करना शुरू कर देना पड़ता है।
यह कहना है राज मेहता का, जो कि जुग जुग जीयो के निर्देशक हैं। अपनी बातों को आगे बढ़ाते हुए राज कहते हैं कि आज के समय में लोग फिल्म देखने जाने और फिल्मों के पर टिकट पर खर्चा करने के पहले सोच रहे हैं कि यह देखी जाए या नहीं। ऐसे में मुझे नहीं लगता है कि वह मेरी पहली फिल्म के बारे में सोच कर फिर इस फिल्म को देखने के लिए कोई निर्णय लेंगे। फिल्म का ट्रेलर अगर लोगों को अच्छा लग रहा है। जुग-जुग जियो का प्रोमो लोगों को बहुत पसंद आया है तो इस बात को लेकर निश्चिंत हूं कि लोग सिनेमा हॉल तो पहुंच जाएंगे।
समय के साथ हर कोई परिपक्व होता जाता है। क्या निर्देशक के परिपक्व होने का असर फिल्मों पर भी पड़ता है?
बिल्कुल पड़ता है हम एक ही चीज को अलग-अलग नज़रिए से देखना शुरु कर देते हैं। मेरी पहली फिल्म जो प्रेग्नेंसी के बारे में थी और दूसरी फिल्म जो शादी के बारे में है और मजे की बात है कि ना तो मेरी शादी हुई है ना मेरा कोई बच्चा है। तो मेरी यह सोच कहां से आई? अच्छी बात है कि मैं एक जॉइंट फैमिली में पला बढ़ा हूं मुझे मालूम है कि जीवन के अलग-अलग पड़ाव पर कैसे रिएक्शन मिल सकते हैं?
जब धीरे-धीरे मैं परिपक्व होता जाता हूं, तो मेरी फिल्ममेकिंग कर पर भी उसका असर पड़ता है और इसका सबसे बड़ा असर लेखन और निर्देशन पर ही पड़ता है। कुछ साले बाद जब अगर मैं शादी करता हूं तो हो सकता है इसी कहानी को अलग नजरिए से पेश कर दूं आज नहीं जानता। लेकिन वह फिल्म में कुछ तो अलग रहेगा क्योंकि उस समय मैं नए अनुभव से गुजर चुका हूंगा।
इस दौरान करण और धर्मा के नाम पर भी बहुत ज्यादा नकारात्मक बाहर आई है। आप इसी ऑफिस में बैठकर काम किया करते थे। आपने क्या महसूस किया?
आप सही कह रही हैं इस दौरान हमने बहुत सारी नेगेटिविटी का सामना किया है। देख कर लगता क्यों कर रहे हैं और कभी-कभी यह सब चीजें पढ़कर सुनकर बहुत बुरा लगता था। गुस्सा भी आता था कि मत कीजिए, ऐसा कुछ नहीं है। उसी समय मैंने देखा करण जौहर अपने आपको बहुत ज्यादा बिजी कर चुके थे। जितनी नकारात्मक बातें लोगों के जरिए बाहर आ रही थी। वह उतना ही ज्यादा काम में डूबते जा रहे थे जो आमतौर पर हर कोई करता है। शायद करण भी वही कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने बहुत सारी स्क्रिप्ट पढ़ी सुनी और काम में मसरूफ रहे।
ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जाने की आपकी कोई तमन्ना?
बिल्कुल, मुझे तो बड़ा अच्छा लगता है। ओटीटी प्लेटफार्म का फायदा ही होता है कि आपको किसी भी कैरेक्टर के दिल में उसके जेहन में घुस जाने के लिए एक बड़ा प्लेटफार्म मिल जाता है। आप आठ या दस एपिसोड ऐसे बना सकते हैं जिसमें आप उस कैरेक्टर उस से जुड़े लोगों के कैरेक्टर को बता सकते हैं। कहानी को अलग अलग तरीके से लोगों के सामने ला सकते हैं। यह बहुत बड़ी बात है इस प्लेटफार्म की। मुझे मौका मिलेगा तो मैं बिल्कुल करने वाला हूं।
लेकिन उसके पहले मुझे लगता है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए मेरे पास ऐसी कोई कहानी होनी चाहिए। हर चीज की शुरुआत जो होती है, वह होती कि उस कहानी को कैसे लिखा गया है। अगर आप की कहानी पेपर पर बहुत मजबूत है तो मान कर चले कि वह ओटीटी प्लेटफॉर्म हो या फिल्म हो या कोई भी मीडियम हो वह बहुत अच्छा ही लगने वाला है। इसलिए जिस दिन कहानी मुझे मिलेगी, मैं बिल्कुल ओटीटी पर भी काम कर लूंगा।
इन दिनों ओटीटी प्लेटफॉर्म पर के ड्रामा या कोरियन ड्रामा भी बहुत हीट हो रहे हैं। आपकी क्या सोच है?
कोरियन ड्रामा मैंने बहुत ज्यादा नहीं देखे। एक या दो या कुछ देखे होंगे, लेकिन इसमें भी एक ही बात कहूंगा, इमोशन को इतनी खूबसूरती से लिखा गया है कि वह आपका मन जीत ले। कोरियन ड्रामा में भी उनकी स्क्रिप्टिंग या उनकी कहानी पर इतना ध्यान दिया जाता है कि वह बहुत खूबसूरत बनकर लोगों के सामने आती है। बहुत छोटे से इमोशन को बहुत तरीके से लोगों के सामने लाया जाता है। शायद इसी वजह से कोरियन ड्रामा को बहुत पसंद किया जा रहा है।