कबीर खान द्वारा निर्देशित फिल्म '83' चौबीस दिसम्बर को रिलीज हो रही है। सभी जानते हैं कि यह फिल्म 1983 में भारतीय क्रिकेट टीम के विश्वकप जीतने की कहानी को सिल्वर स्क्रीन पर दर्शाएगी। कपिल देव के नेतृत्व में इंग्लैंड गई भारतीय क्रिकेट टीम से किसी को भी आशा नहीं थी, लेकिन इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और वेस्ट इंडीज जैसी टीमों को धूल चटाते हुए भारतीय टीम ने विश्वकप जीत कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। इसके बाद से भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता सौ गुना बढ़ गई। कबीर खान के निर्देशन में बनी इस फिल्म में रणवीर सिंह ने कपिल देव की भूमिका निभाई है जबकि सशक्त अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने टीम के साथ गए मैनेजर पीआर मान सिंह का रोल अदा किया है। पंकज ने हाल ही में पत्रकारों से इस फिल्म और अपने किरदार के बारे में बात की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश:
मान सिंह के किरदार के बारे में क्या कहेंगे?
1983 की भारतीय क्रिकेट टीम में 14 खिलाड़ी थे। मैं मानसिंह को 15वां खिलाड़ी कहूंगा। वे मैनेजर ही नहीं थे, बल्कि इससे ज्यादा योगदान उन्होंने टीम को दिया। मानसिंह के बारे में लोग ज्यादा भले ही नहीं जानते हो, लेकिन '83' रिलीज हो जाने दीजिए, सभी जानने लगेंगे।
क्या मानसिंह का किरदार आज की पीढ़ी को अपील करेगा?
बिलकुल करेगा। मुझे याद है कि मानसिंह के रूप में जब मेरा पहला शॉट लिया गया तो ओके होते ही मैंने पूछा कि कैसा रहा, तो जवाब आया कि आपकी एंट्री तो सीटीमार साबित होगी।
क्या आप शूटिंग शुरू होने के पहले मानसिंह से मिले थे?
जी हां, हैदराबाद में जाकर मैं मानसिंह से मिला था। वे बड़े अच्छे और सुलझे आदमी हैं। वे रंजी ट्रॉफी भी खेल चुके हैं। वे मैनेजर ही नहीं रहे बल्कि क्रिकेटर और कोच भी रह चुके हैं। फिल्म के जरिये मानसिंह के बारे में लोग जानेंगे।
83 के लिए यदि आपको अपना रोल पसंद करना होता तो किसका किरदार चुनते?
मैं मानसिंह का ही रोल करना चाहता था। मुझे अगर चुनाव का मौका मिलता तो भी यही रोल करता।
खेल पर आधारित फिल्म करना क्या मुश्किल होता है?
जी हां क्योंकि एक्टिंग भी करना है खेलना भी है। दोनों का कॉर्डिनेशन होना बहुत जरूरी होता है।
83 की शूटिंग को लेकर कुछ यादें साझा करना चाहेंगे?
जब हम 1983 विश्वकप के फाइनल की शूटिंग कर रहे थे तब जो माहौल था वो बहुत ही शानदार था। वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड भी आए हुए थे। मुझे इस फिल्म के जरिये कपिल देव, सुनील गावस्कर, मोहिंदर अमरनाथ जैसे खिलाड़ियों से मिलने का अवसर मिला। बचपन में कमेंट्री सुनते समय इन खिलाड़ियों के नाम सुनता था। तब कभी नहीं सोचा था कि इनसे मिलने का मौका मिलेगा। लॉर्ड्स के मैदान पर जाना, दिग्गज खिलाड़ियों से मिलना, ऐसी कई सुनहरी यादें हैं।