रॉय के प्रमोशन से रणबीर इसलिए दूर : भूषण कुमार

Webdunia
मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015 (18:00 IST)
फिल्म निर्माता और टी-सीरिज संगीत कम्पनी के मैनेजिंग डायरेक्टर भूषण कुमार से खास बातचीत : 
आज टी-सीरिज को आप कहां पाते हैं?
मुझे लगता है कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। मैंने कभी यह नहीं सोचा था कि संगीत प्रधान फिल्में बनाकर बेचूं और सफल हो जाऊं। अपने आपको बेहतरीन रचनात्मक निर्माता साबित करने के लिए लोगों को समझना शुरू किया। मैंने अच्छी पटकथाओं को चुनने की कला सीखी। मेरे अंदर संगीत के साथ-साथ अच्छी स्क्रिप्ट का भी सेंस है। हमारी कम्पनी की फिल्में दर्शकों को पसंद भी आ रही है। रॉय और एक पहेली लीला रिलीज होने वाली है जिनके ट्रेलर को बेहतरीन रिस्पांस मिल रहा है। 
 
रॉय के बारे में क्या कहेंगे? 
रोमांचक, प्रेम-प्रधान फिल्म है। 
 
सुना है कि यह फिल्म इंडस्ट्री की पृष्ठभूमि पर आधारित है?
फिल्म की कहानी का बैकग्राउंड फिल्म है। यह एक रोमांटिक कहानी है। इमोशन भी है।
 
निर्देशक विक्रमजीत सिंह की यह पहली फिल्म है। उन पर यकीन कैसे हुआ? 
विक्रम ने जिस तरह से विज्युलाइज कर स्क्रिप्ट सुनाई उससे मुझे उन पर विश्वास हुआ। रणबीर, जैकलीन और अर्जुन को भी किरदार और स्क्रिप्ट अच्छी लगी तो मेरा भरोसा और बढ़ गया। मैं हमेशा कुछ नया करते हुए नई प्रतिभाओं को अवसर भी देता हूं। हम अलग तरह का सिनेमा बनाने की कोशिश करते हैं। फिल्म का चलना या न चलना दर्शकों पर निर्भर करता है। 
 
रणबीर कपूर के प्रमोशन न करने को लेकर कई कहानियां बन रही हैं? रॉय के आप निर्माता हैं। आप ही सच बता सकते हैं?
इन कहानियों का कोई आधार नहीं है। रणबीर का फिल्म में किरदार ही कुछ ऐसा है कि उसके बारे में बात करने पर फिल्म की पूरी कहानी सामने आ जाएगी। इसलिए रणबीर को प्रमोशन से दूर रखा गया है। 
 
रॉय के निर्माण में काफी समय लगा? 
ज्यादा नहीं। डेढ़ साल लगा। रणबीर 'बॉम्बे वेलवेट' कर रहे थे। बारिश के कारण उनका शेड्यूल गड़बड़ा गया और हमारी फिल्म की शूटिंग छ: माह के लिए टल गई। फिर उन्होंने 'जग्गा जासूस' के लिए एक महीना मांग लिया। इन कारणों से देरी हुई। 
 
कहा जा रहा है कि फिल्मों के संगीत का स्तर गिरता जा रहा है?
मैं इससे सहमत नहीं हूं। पिछले वर्ष कई ऐसी फिल्में रिलीज हुईं जिनका संगीत बहुत अच्छा था। जब फिल्म का संगीत अच्छा हो तो वो फिल्म को चलने में मदद करता है। गाने जरूरी हो, तो ही रखना चाहिए अन्यथा संगीत नुकसान भी कर देता है। 
 
क्या कारपोरेट कम्पनियों के आने से क्रिएटिविटी को नुकसान पहुंच रहा है?
मैं इससे सहमत नहीं हूं। हर रचनात्मक इंसान अपनी रचनात्मक अपने पास रखता है। हम अपने निर्देशक को पूरी छूट देते हैं। संगीत की हमें अच्छी समझ है इसलिए हम उसे सलाह जरूर देते हैं कि किस तरह का गीत-संगीत रखा जाए।  
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