संजू के सेट पर जब संजय दत्त आए तो मेरी हालत खराब हो गई थी: रणबीर कपूर

रणबीर कपूर से वेबदुनिया की विशेष बातचीत

रूना आशीष
'जब राजू सर ने मुझसे कहा था कि संजय दत्त पर बायोपिक बना रहे हैं, तो मेरा रिएक्शन था कि ये तो हो नहीं सकता। एक तो वे आज भी लोगों के चहेते सुपरस्टार हैं, तो ये फिल्म कैसे करेंगे? फिर मुझे लगा कि मैं कैसे कर लूंगा ये फिल्म? मैं कैसा दिखूंगा?'
 
अपनी अगली फिल्म 'संजू' के प्रमोशनल इंटरव्यू के दौरान 'वेबदुनिया' संवाददाता रूना आशीष से बात करते हुए रणबीर आगे बताते हैं कि 'लेकिन जब मैंने कहानी पढ़ी, तो मुझे बहुत कॉन्फिडेंस आया। वैसे भी रोल के लिए हमने बहुत काम किया। प्रोस्थेटिक्स का इस्तेमाल किया। हमने कपड़े भी वैसे ही चुने। फिर मुझे बॉडी बनानी थी। जब मैंने शुरू किया था, तो मैं 70 किलो का था। और मुझे 18 किलो बढ़ाने थे तो हमने इसके लिए रिवर्स में शूट किया।'
 
ऐसा लगा कि कोई भारी जिम्मेदारी कंधों पर आ गई हो?
एक तो ये राजकुमार हीरानी की फिल्म थी और फिर ये संजय दत्त के जीवन पर आधारित। वे एक ऐसे हीरो हैं जिनका फैन फॉलोइंग है, तो मुझे पर वो जिम्मेदारी भी थी। मैं चाहता था कि जो उनका असल कैरेक्टर है या रूह है, वो लोगों तक सही तरीके से पहुंचा सकूं। वैसे भी ऐसा कैरेक्टर करना हर एक्टर के लिए रोजाना की बात नहीं होती इसलिए मैंने बहुत मेहनत की है। कई बार हम 8 घंटे बैठे हैं लुक टेस्ट में, तो कई बार मुझे लगा कि मैं अच्छा नहीं कर रहा हूं या कई बार लगा कि मैं उनकी कुछ ज्यादा ही नकल उतार रहा हूं या कभी लगा कि मैं ठीक से नहीं कर पा रहा हूं।
 
कितने रीटेक्स लेने पड़े?
मैं एक ऐसा एक्टर हूं, जो इस बात पर संतुष्ट हो जाता है कि मेरा निर्देशक एक टेक लेकर खुश है या और टेक चाहता है। वैसे भी राजकुमार हीरानी गलत निर्देशन नहीं करेंगे। कुछ सीन्स एक टेक में हुए तो कुछ सीन रीटेक करने पड़े, कभी फोकस की वजह से तो कभी साउंड की वजह से। इस फिल्म में मुझे वैसे भी कई इमोशंस जीने को मिले, तो मेरा काम तो ये ही था कि मैं भी बह सकूं इमोशंस में।
 
इस पूरे दौरान आपको किसी सीन में रोना आया या आप इमोशनल हुए?
कई सीन्स थे। लेकिन दो सीन्स में बहुत इमोशनल हुआ। एक तो 'रॉकी' के प्रीमियर के 2 दिन पहले उनकी मां गुजर गई थी, तो वे प्रीमियर की जगह के बाहर सीढ़ियों पर बैठकर अपने पिता से कह रहे थे कि मैं ड्रग्स की चपेट में आ गया हूं। मुझे नहीं पता कि असली क्या है और क्या काल्पनिक है? दूसरा सीन वो जब उनके पिता की मौत हो गई है, तो उन पर क्या गुजर रही है। एक बहुत ही अच्छा सीन अभिजीत सर और राजकुमार सर ने लिखा है कि जब वे अपने पिता की अर्थी को कंधा दे रहे थे, तो वे मन ही मन अपने पिता को धन्यवाद कह रहे थे। 
 
संजय दत्त तो सेट पर भी आए थे?
मेरी तो हालत खराब हो गई थी, जब वे सेट पर आए थे। फिल्म में वो पहला सीन था, जब 60 साल का संजय दत्त अपने बचपन वाले संजय दत्त से बातें कर रहा होता है। स्क्रीन पर मैं था और पीछे वे मुझे देख रहे थे। तब भी मैं ये देख रहा था कि वे कैसे हाथ हिला रहे हैं या कैसे हंस रहे हैं। कैसे झुकते हैं या हंसते समय गर्दन कैसी रहती है? मैं तो पूरा दीवाना हो गया था।
 
सोचा तो दर्शकों ने भी नहीं था कि आप इतने समान दिखेंगे?
मेरे लिए एक बड़ी मुसीबत पर विजय पाने जैसा था। टीजर के समय हमें ये ही लग रहा था कि कैसे लेंगे दर्शक मेरे इस लुक को? मेरे लिए दर्शकों का रिएक्शन बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि पहले तो लोगों को यकीन दिलाना कि रणबीर ये रोल करने वाला है, दूसरा ये कि रणबीर नहीं, फिल्म में ये संजय दत्त हैं जिनका जीवन हम दिखाने वाले हैं। जब लोग फिल्म देखेंगे, तब मालूम पड़ेगा असल में क्या है, कैसी है फिल्म? लेकिन टीजर के रिस्पॉन्स को लेकर खुश हूं।

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