Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

वेब सीरीज नहीं फिल्म के रूप में पेश होने वाली थी 'फर्जी', शाहिद कपूर ने किया खुलासा

हमें फॉलो करें वेब सीरीज नहीं फिल्म के रूप में पेश होने वाली थी 'फर्जी', शाहिद कपूर ने किया खुलासा

रूना आशीष

, रविवार, 26 फ़रवरी 2023 (12:02 IST)
मुझे लगता है कि जब आप ओटीटी पर आते हैं तो आपका दर्शकों के साथ एक अलग तरीके का रिश्ता बनता है। आप एक अलग तरीके के लोगों से जुड़े हैं और यही सोच कर मैं ओटीटी के तरफ बढ़ने लगा था। मैंने अंतरराष्ट्रीय कई शोज देखे हैं और मुझे हमेशा से इच्छा थी। यह कहना है शाहिद कपूर का। शाहिद कपूर की हाल ही में पहली ओटीटी पेशकश लोगों के सामने आई है। इस वेब सीरीज का नाम 'फर्जी' है।

 
इस वेब सीरीज में शाहिद कपूर ने फर्जी नोट कैसे बनते हैं और मार्केट तक कैसे पहुंचते हैं इनके पीछे कैसा पूरी तरीके से कारोबार और जाल बिछा हुआ है, यह सब दिखाने की कोशिश की है। मीडिया से बात करते हुए शाहिद बताते हैं कि फर्जी के बारे में मेरी बात राज और डीके से बहुत पहले से चल रही थी। कोरोना की पहली लहर आई थी उसके भी पहले से। राज और डीके यही फिल्म बनाकर मेरे संग लेकर आ रहे थे। तब मैंने उनसे कहा, क्या हम कुछ तो कर सकते हैं? यह बात राज और डीके को थोड़ी सी चौंकाने वाली लगी थी क्योंकि कबीर सिंह करने के बाद उनके दिमाग में बिल्कुल भी नहीं आया कि मैं ओटीटी प्लेटफॉर्म की तरफ सोच रहा हूं। 
 
मैं आपको सच में बताता हूं। राज और डीके मुझे हमेशा से पसंद आए हैं। उनकी फैमिली मैन यह जो वेब सीरीज है, मुझे इतनी पसंद आई थी कि मैंने जैसे ही शुरु कि दो दिन के अंदर सारे के सारे एपिसोड खत्म कर लिए और तब तक तो फैमिली मैन टू लोगों के सामने आई भी नहीं थी।
 
यानी फर्जी पहले एक फिल्म का रूप ले रही थी?
जी हां, पहले राज और डीके फिल्म बनाने वाले थे और इसी। विषय को लेकर उन्होंने मुझसे बात कही थी। उन्होंने कहा था कि कहानी का प्लॉट इस तरीके से हैं और हम इसी प्लॉट को आगे बढ़ाने की सोच रहे हैं। फिर पता नहीं क्या हुआ बात उससे ज्यादा कुछ बढ़ी नहीं। बाद में मुझे मालूम पड़ा कि फर्जी की कहानी को देखने के बाद उन्हें ऐसा लगा कि यह कहानी दो या ढाई घंटे में बताने वाली नहीं है। इसे अलग-अलग रूप में दिखाना जरूरी है और बड़ा बना कर दिखाना जरूरी है ताकि हर पहलू को अच्छे से लोगों के सामने रखा जा सके। 
 
मैं खुद ही सोचता था कि मैं हमेशा ओटीटी पर अलग-अलग शोज देखता हूं तो फिर ऐसा क्यों हो रहा है कि मैं खुद यह शो नहीं कर रहा हूं? अब जब मैं इसके सारे एपिसोड भी देख चुका हूं तब लगता है कि बेहतर निर्णय यही रहा कि हमने इसे फिल्म न बनाकर सीरीज के तौर पर बनाया। एक 1 घंटे का एपिसोड है और बेहतरीन बात ये हो जाती है कि आप सिर्फ शो बनाइए लोगों को अगर वह चीज पसंद आ गई तो उस कहानी को आप नया रूप बनाकर फिर से लोगों के सामने नए सीजन के तौर पर ला सकते हैं।
 
webdunia
आप अपने काम को और अपने गति को किस तरीके से आते हैं। 
मुझे लगता है कि मैं सेल्फ मेड पर्सन हूं। मेरे पिताजी जरूर एक एक्टर है, लेकिन मैं घर का बड़ा बेटा हूं। अपनी मां के साथ पला बढ़ा हूं। मैंने जब भी कोई काम किया है वह अपने सोच के आधार पर ही किया है। एक इंस्टिंक्ट होती है उसके हिसाब से। वैसे भी कोई दस बार कह दे कि उसे नहीं छोड़ लेकिन जब तक आप खुद अपने हाथ ना जलाओ तब तक समझ में नहीं आता है। कि दर्द क्या होता है? 
 
मैंने अपने 20 साल के करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। कई हिट फिल्में देखी हैं तो कई फ्लॉप भी देखी है। मैंने वह दिन भी देखा है जब एक ही महीने में मेरी तीन फिल्में आई और तीनों फ्लॉप रहीं और यह तीनों फिल्में बड़े सितारों के साथ रही है। मैं आज भी देखता हूं कि एकदम से नए कलाकार आते हैं। एक या दो फिल्म के फ्लॉप हो जाती है तो वह दुखी हो जाते हैं हताश हो जाते हैं डिप्रेशन में चले जाते हैं। मुझे लगता है भाई मैं तो यह सब चीज देख चुका हूं। अब लगता है कि फिल्म में चलना या ना चलना मेरे हाथ में नहीं है। तो मेरे हाथ में क्या है वह मेहनत करना और अच्छी फिल्में चुनना वह मैं कर रहा हूं। 
 
पद्मावत के बाद क्या आपके करियर की दिशा में कोई बदलाव आया है? 
बहुत सारे बदलाव आए सबसे बड़ा बदलाव तो यह है कि अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी हिट देने के बाद हम सभी घर पर बैठ गए कोविड आ गया। सब कुछ बंद हो गया। पूरी दुनिया रुक गई। देखा जाए तो कोविड के बाद भी कुछ समय तक थिएटर नहीं खुले थे। पिछले 1 साल से फिर खुले हैं। आप उसके सात या आठ महीने के साथ कहा जा सकता है कि अब लोग थोड़े से आदि हो रहे हैं। 
 
वापस सिनेमा हॉल में जाने के लिए ऐसे में हम लोग जो पिछले बारह या तेरह साल से या बीस साल से काम कर रहे हैं, हम सभी के कंधों पर एक जिम्मेदारी आ जाती है कि हमें अच्छा काम करना है। मुझे 20 साल हो जाएंगे इस साल इंडस्ट्री में तो यह जिम्मेदारी हमारी कंधों पर आती है और हमें जिम्मेदारी उठानी ही पड़ेगी कि हम जो भी भी काम करें, दर्शकों तक एक बहुत उम्दा क्वालिटी के साथ जाए। हम उन्हें खुश कर सकें।
 
आप अलग-अलग रोल्स में ताजगी लाने के लिए क्या करते हैं 
देखिए, मैं इस मामले में लियोनार्दो डिकैप्रियो की बात को बहुत ही संजीदगी से लेता हूं। वह क्या करते हैं कि जब भी कोई फिल्म की स्क्रिप्ट सामने आती है और उन्हें लगता है कि इस कैरेक्टर को जो मुझे शायद पर्दे पर करना है। अगर मुझे वह कैरेक्टर समझ में आता है। तो वो कैरेक्टर फिर नहीं करते। लेकिन वो और क्या करते हैं कि जब कोई रोल उनके सामने आता है उस पर पढ़ते हैं। उनको समझ में नहीं आता है कि इस कैरेक्टर को मैं लोगों के सामने कैसे लेकर आऊंगा या पर्दे पर कैसे उसे निभाऊंगा तो वह यह ऑफर अपना लेते हैं। 
 
मुझे भी यही लगता है कि अगर मैं कोई रोल करने जा रहा हूं जो मुझे पहली बार पढ़ने में ही समझ में आ गया। इसका मतलब है कि मैं अपने कंफर्ट जोन में हूं मैं उसे मना कर देता हूं लेकिन जब कोई कैरेक्टर करने जाता हूं जो मुझे समझ में नहीं आता है कि इसे निभाने के लिए मुझे क्या-क्या परेशानी उठानी पड़ सकती है या किस तरीके से कैरेक्टर को आगे चलकर में लोगों के सामने पेश करने वाला हूं। और मुझे डर लगता है रोल निभाने में तो मैं वह कैरेक्टर वह ऑफर अपना लेता हूं क्योंकि तब मुझे मालूम है कि मैं अपने कंफर्ट जोन से बाहर जा रहा हूं। 
Edited By : Ankit Piplodiya

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' एक्टर सचिन श्रॉफ दूसरी बार शादी के बंधन में बंधे