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धड़क 2 को लेकर सिद्धांत चतुर्वेदी ने वेबदुनिया से की खास बातचीत, बताया खुद को किरदार में कैसे ढाला

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रूना आशीष

, शनिवार, 26 जुलाई 2025 (15:34 IST)
'धड़क 2' जब आ रही है तो हमने सोच कर रखा ही था कि इसका मुकाबला 'धड़क 1' से होने वाला है। उसमें इशान खट्टर रहे हैं और इधर मैं काम कर रहा हूं। लेकिन यह भी बात है कि अगर धड़क 2 बन रही है तो हम सिर्फ अगला सीक्वल बना रहे हैं या अगला भाग बना रहे हैं, ऐसा नहीं सोचा था। बहुत सोच विचार करके हमको समझ में आ गया था कि इसे बहुत ज्यादा इंटेंस बनाना होगा। 
 
अगर 'धड़क 1' में बहुत सारे रंग थे गाने थे बहुत सारी खुशियां और इन सबका मिलाजुला स्वरूप था। मेरी फिल्म 'धड़क 2' में बहुत ज्यादा इंटेंसिटी के साथ काम किया गया है। हमने सीक्वल बनाया है उस फिल्म का फ्लेवर इसमें भी मिलेगा लेकिन यह उस कहानी से एक स्टेप आगे कहीं जा सकती है ताकि जब कोई सोचे कि अब धड़कती बनानी है तो उन्हें हमारी फिल्म देखकर अपने मापदंड को तय करना पड़ेगी। अब धड़क टू से भी ज्यादा इंटेंसिटी वाली फिल्म हमें बनानी होगी।
 
यह कहना है सिद्धांत चतुर्वेदी का जो 'धड़क 2' के साथ एक बार फिर से लोगों के सामने आ रहे हैं। उनकी अभी तक जितनी भी फिल्में आई है सभी में लोगों को उनकी एक्टिंग पसंद आई है। और उनका काम करने का जो अंदाज है, वह लोगों को बहुत विश्वसनीय भी लगता है। धड़क 2 के प्रमोशन इंटरव्यू के दौरान सिद्धांत ने वेबदुनिया से बातचीत की। 
 
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सिद्धांत फिल्म के बारे में अपने कई इमोशंस को और अनुभवों को साझा करते हुए बताते हैं कि मैं कभी कॉलेज की लाइफ एंजॉय कर नहीं पाया जैसा कि मेरा रोल है धड़क 2 में। यह कॉलेज जाने वाला लड़का है जो पढ़ाई करने के लिए जा रहा है। लेकिन मैं अपनी असली जिंदगी में कभी भी कॉलेज के मजे नहीं लूट पाया। इसलिए क्योंकि मैं बीकॉम करने लगा और फिर साथ साथ में चार्टर्ड अकाउंटेंट की पढ़ाई कर रहा था तो हम जैसे लोग जो होते हैं उनके साथ बड़ा समय खेल खेलता है। सुबह क्लासेस होती है। फिर कॉलेज होता है। फिर उसके बाद थोड़ा सा समय बच जाता है तो मैं थिएटर करने चला जाया करता था और वहां पर थोड़ा सा स्ट्रेस निकल जाता था। 
 
लेकिन वह जो कॉलेज की मस्ती होती है, दोस्तों के साथ बैठना होता है या कॉलेज के अलग-अलग फेस्टिवल्स होते हैं वह सभी चीज मैंने मिस की है। मैं बहुत अच्छे से जानता था कि कॉलेज की लाइफ एंजॉय करनी है तो आपको कोई ना कोई ग्रुप ज्वाइन कर लेना चाहिए और मुझे बहुत अच्छे से मालूम था कि सुंदर और आकर्षक लड़कियां मुझे या तो आर्ट सेक्शन में और कॉलेज के डांस ग्रुप में मिलेंगी या फिर मुझे थिएटर ग्रुप में मिलेंगी। 12वीं तक पढ़ाई की फिर एंट्रेंस टेस्ट दी। सिलेक्शन हो गया था तो घर वाले भी चाहते थे कि मैं सीए करूं साथ ही साथ में भी पढ़ाई भी कर रहा था तो मेरे पास समय कहां था। 
 
तब ही मैंने सोच लिया था कि जिस दिन एक्टिंग करूंगा और मेरे सामने ऐसा कोई कॉलेज जाने वाले लड़के का रोल आया तो मैं झट से हां बोल दूंगा। धड़क 2 में ऐसा ही हुआ थोड़ा सा उम्र का भी तो ख्याल रखना पड़ता है ना मैं इस उम्र में हूं जहां कॉलेज जाने वाले लड़का दिखता हूं। 40 से 50 साल की उम्र मैं मैं कॉलेज जाता हूं। अजीब लगूंगा।
 
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सिद्धांत एक बात तो तय है कि अगर आप कहीं खड़े हो जाते हैं तो लड़कियां खुद ब खुद आपके पीछे आ जाएंगी। 
अरे! यह तो आज की बात है। कॉलेज करते टाइम मेरे ऐसे जलवे कहां थे इसलिए ना तो मेरी जिंदगी में कभी रोज डे हुआ, ना चॉकलेट डे, टेडी डे ना हग डे। लेकिन हां आने वाले समय में या कहीं इस साल में मेरी सिर्फ और सिर्फ रोमांटिक फिल्में ही आ रही है। एक तो संजय लीला भंसाली जी के साथ है जिसमें डाल के साथ और रवि उद्यान निर्देशित कर रहे हैं। फिर एक और फिल्म है विकास बहल के साथ कर रहा हूं जिसमें की वामिका है और जया बच्चन जी हैं। 
 
यह फिल्म जातिवाद के बारे में बात करते हैं आप खुद ब्राह्मण परिवार से है फिल्म निभाते समय आपने अपने आप को इस रोल के लिए कैसे ढाला या कोई होमवर्क किया? 
मेरे पिताजी बलिया के रहने वाले हैं। हमारा पुश्तैनी घर अभी भी वहां पर हमारे परिवार है। वहां पर मेरे कई दोस्त हैं। मेरे पिताजी के कई दोस्त हैं। मैं बचपन में जवाहर रहता था तो मुझे प्रिंस करके बुलाया जाता था। हम लोग जब खेलते भी थे अपने पास के मैदान में तो हम लोगों के बीच में कभी भी ऐसी कोई बात नहीं आई। जहां अपनी जाति के बारे में सोचा जब यह फिल्म कर रहा था तब समझ में आया कि यह सब बातें हमारे आसपास चलती रहती हैं। हम इन्हें नोटिस भी नहीं करते हैं और अपना लेते हैं कि हां ऐसा ही होता होगा। 
 
आपको मिसाल के तौर पर बताता हूं। जब मेरे पिताजी बलिया से निकलकर मुंबई के लिए आ रहे थे, हम सभी साथ में थे और वह समय था जब आप मूंछे नहीं मुंडवाते हैं। अगर आपके घर में पिताजी की मृत्यु हो तब जाकर आप मूंछ मुंडवाते हैं। और मेरे पिताजी और दादा जी दोनों ही खुले ख्याल के थे। पापा ने मूछ मुंडवा ली हमारे कई जान पहचान वाले घर आ पहुंचे और बोले कि मुछे मुंडवाना तो सही नहीं है और पिताजी के जिंदा रहते तो मुछे नहीं मुंडवाते हैं। तब मेरे दादाजी ने कहा कि वह जैसा देस वैसा भेस। मुंबई में जा रहा है और वहां के रहन-सहन के हिसाब से अब रहेगा। मैं पिताजी हूं और मुझे कोई तकलीफ नहीं है कि मेरे जिंदा रहते इसने मूंछ मुंडवा ली तो फिर आप लोगों को भी तकलीफ नहीं होनी चाहिए। 
 
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कई बार ऐसा होता था कि हमारे घर में लोग हमसे मिलने आ जाते थे और यही हम खटिया पर बैठे हैं। वह नीचे बैठ जाया करते थे और हमें लगा भी नहीं कि इस बात में कोई अंतर भी होता होगा। जब फिल्म कर रहा हूं तब समझ में आया कि हमने कितनी सारी चीजों के बारे में गहराई से सोचा ही नहीं कि जातिवाद का एक प्रमाण हो सकता है या उदाहरण हो सकता है। यह सब चीजें हैं समझने की ताकत आई इस फिल्म के दौरान। लेकिन मैं यह भी कहूंगा कि जब तक आप खुद इन सब बातों से नहीं गुजरते हैं तब तक वह दर्द और वह पीड़ा नहीं समझ सकते हैं। 
 
मैंने सोचा, मैं वही करूंगा जो मेरे निर्देशक कहेंगे। उनकी बातों को फॉलो किया और साथ ही साथ मैंने अपने लिए होमवर्क यह चुना कि शायद कहीं ऐसा कभी मेरे साथ हुआ हो कि मैं अपने कपड़ों की वजह से लोगों को पसंद नहीं आया। किसी ने मुझे नीची दृष्टि से देखा हो या कहीं इसे घर में चला गया हूं जहां पर इतना सब कुछ आलीशान है और मैं वहां उन सब लोगों से बहुत अलग लग रहा हूं या कहीं किसी ने मुझे छोटा दिखाने की कोशिश भी की हो तो तब क्या महसूस हुआ होगा। मैंने वही चीज अपने एक्टिंग में डालने का प्रयास की। 
 
आपका एक एड बहुत वायरल हो रहा था जिसमें आप कोरियन एक्टर चा सू बिन के साथ दिखाई दिए। कैसा रहा है पूरा अनुभव।
वह तो बहुत ही अलग तरीके का अनुभव रहा मेरे लिए। मैं कोरियन ड्रामा जरूर देखता हूं। मैं स्क्विड गेम को देख चुका हूं और वून लाइफ गिवज टैंजरीन यह सारीज मैंने हाल ही में देखी थी। कोरियाई फिल्में और ड्रामाज मैं देखता रहता हूं। पसंद भी करता हूं, लेकिन कभी सोचा नहीं था कि मैं कभी किसी भी रूप में उन लोगों से जुड़ सकूंगा। वैसे तो यह एड फिल्म है और एशिया के अलग-अलग भागों में दिखाई जाने वाली है। 
 
इसकी शुरुआत जापान से हुई थी और जापान से ही यह वायरल हो गया था। अभिनेत्री चा सू बिन के साथ काम करने में बहुत मजा आया और मैं तो चाहूंगा आगे भी कभी और कोई अंतरराष्ट्रीय से प्रोजेक्ट मिले। जहां पर मैं कोरियन समस्या कोरियन के ड्रामा में कोई रोल निभा सकूं। लेकिन हां, उसके लिए यह होगा कि या तो मैं कोरियन सीख लूं या फिर मैं उन लोगों को भोजपुरी सिखा कर आ जाऊं। 

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