पिछले 10 सालों के करियर में आपने एक हजार से ज्यादा लाइव कंसर्ट दिए व सैकड़ों गीतों में आवाज दी हैं। इन सब के बावजूद आज भी आप दोगुनी ऊर्जा से काम लगे हुए हैं। काम से कभी ऊबते नहीं हैं?
दरअसल 2004 में मैंने अपने करियर का आगाज किया था। इस दौरान मैंने भारत व विदेश में तकरीबन एक हजार से ज्यादा लाइव कंसर्ट किए व 500 से अधिक गीत गाए। इतना काम शायद मैं इसलिए कर पाया कि मुझे प्रशंसकों से हमेशा सकारात्मक परिणाम मिले। उन्होंने हमेशा मेरी आवाज की सराहना की। यही कारण है कि मैं आज फिल्मों में व्यस्त हूं। असल में देखा जाए गायकी मेरा जुनून है। इससे मुझे और अधिक कार्य करने का जज्बा मिलता है। थकान और ऊब का तो कोई सवाल ही नहीं है। सच कहूं तो गायकी ही मेरा प्राण है। इसके बिना कैलाश खैर का कोई वजूद नहीं है।
सुना है आप सलमान खान की तरह अपने फैन्स को गायकी में मौका दे रहे हैं?
मेरे लिए किसी इंसान से महज फैन्स का रिश्ता नहीं है। किसी नए कलाकार को उसकी प्रतिभा दिखाने का सुअवसर देना गौरव के साथ-साथ कलाकार का सच्चा धर्म है। हाल ही मैंने जिस नए गायक श्रीकांत को मौका दिया वह बेहद प्रतिभावान है। उसकी गायकी को सुन मैं क्या हर कोई प्रभावित हो सकता था। यही कारण है कि मैंने श्रीकांत को स्टेज दिया।
रियलिटी शो के जरिए क्या सच्चा गायक सामने आ सकता है। ज्यादातर देखने में आया है कि प्रतिभाएं रियलिटी शो पर अपना रोल अदा करने के बाद गायब हो जाती हैं?
रियलिटी शो से मोहम्मद रफी पैदा नहीं किए जा सकते हैं। देखा जाए तो खामी हमारे अपने नजरिए में ही है। रियलिटी शो के जरिए नए गायकों से ज्यादा आकांक्षाएं नहीं रखना चाहिए। कुछ गायक तो इसी आकांक्षा के बोझ तले आकर दब जाते हैं। नई प्रतिभाओं को पहले रियलिटी शो में आने की बजाय अपने काम पर ध्यान देना चाहिए। रियलिटी शो के जरिए प्लेटफार्म मिल सकता है प्रतिभाएं नही।
हर आदमी की सक्सेस के पीछे गुरु की अहम भूमिका होती है। आप किसे अपना गुरु मानते हैं?
सच कहूं तो मेरा कोई गुरु नहीं है, लेकिन फिर भी अनुभव ही मेरा रहनुमा रहा है। जो हर कदम मेरे साथ रहा है। मेरे सुख दुख, सफलता, असफलता में हमेशा मेरे साथ रहा है। इसी ने मुझे अंगुली पकड़ इस मुकाम तक पहुंचाया है। इसी ने संघर्ष के दिनों में सहारा दिया है।
अपने समकालीन गायकों में किससे आप बेहद प्रभावित हैं?
सोनू निगम मेरे पसंदीदा गायकों में से एक हैं। इसके अलावा शान और शंकर महादेवन भी मुझे पसंद है।
और संगीतकारों में...
संगीतकारों में परेश कामथ और नरेश कामथ मेरे पसंदीदा हैं। ये प्रतिभावान संगीतकारों में से एक हैं। इनके अलावा सलीम-सुलेमान, राम संपत का काम भी उम्दा है।
अनुराग कश्यप ने यथार्थवादी कहानियों को कमर्शियलाइज किया है। सूफी गायकी कभी इस तरह लाने की कोशिश रही है?
फिल्म बनाना और गायकी दोनों का कोई वास्ता नहीं है। जहां तक सूफी गायकी के कमर्शियलाइजेशन की बात है तो आज सूफी गानों की हर तरफ मांग है। सभी निर्माताओं की यह मांग रहती है कि उनकी फिल्म में कम से कम एक सूफी गीत शामिल हो।
सुना है आपके घर वाले आपकी गायकी के खिलाफ थे। आज आपने गायकी में एक मुकाम बनाया है। पहले और अब की स्थिति में क्या चैंजेस हैं?
मेरे पिता शौकिया तौर पर कबीर के दोहे गाते थे। उनका मानना था कि गायकी से पेट नहीं भरा जा सकता है। यही कारण है कि वह मेरी गायकी के खिलाफ थे। जाहिर सी बात है कि कोई भी पिता नहीं चाहेगा कि उसका बेटा ऐसा काम करे जिसका कोई नतीजा न निकले। ऐसे में यह मेरे लिए एक बड़ी चुनौती थी। यही कारण है कि मेरठ से आने के बाद कई छोटी-मोटी नौकरियां तलाशना पड़ी। हालांकि मेरी दीवानी गीत के बाद में मेरा जीवन ही बदल गया। यह बदलाव आज भी मुझे अट्रैक्ट नहीं करता है बल्कि लगता है कि अब मेरी चुनौतियां और बढ़ गई हैं।
अभी किस फिल्म के गा रहे हैं? सूफी गायकी में किसे अपना प्रतिद्वंदी मानते हैं?
देसी कट्टे सहित चार फिल्म अभी मैं कर रहा हूं। डायरेक्टर आनंद कुमार की इस फिल्म में मैंने म्युजिक के साथ साथ एक गाना भी गाया है। गायकी में मेरा कोई प्रतिद्वन्दी नहीं है। अभी मैंने राहत फतेह अली के साथ इसी फिल्म के लिए दोस्ती पर एक गीत गाया है। वैसे भी आवाज खुदा की नेमत है। यह रियाज के साथ ईश्वर की दी हुई है। इस पर इंसान का बस नहीं है। ऐसे में हर गायक का अपना एक मिजाज है।
अपने फैंस के लिए क्या कहना चाहेंगे? उनके लिए कोई खास मैसेज देना चाहेंगे?
बस यही कहना चाहूंगा :
ओ मस्जिद तोड़ो, तोड़ो वे,
मंदिर तोड़ो, तोड़ो वे
इसमें नहीं मुज़ाका है...
ओ दिल मत तोड़ो किसी का बन्दे
ये घर ख़ास खुदा का है
ये..ख़ास खुदा का...