अमिताभ से ली प्रेरणा आने वाली फिल्म ‘रब्बा मैं क्या करूं’ में अपने किरदार की चर्चा करते हुए आकाश कहते हैं ‘इस फिल्म में मैं अरशद वारसी के साथ हूं और मेरा किरदार कॉमिक है। लेकिन इसमें मैंने सिर्फ कॉमेडी करने के लिए ही कॉमेडी नहीं की है। यह फिल्म सिचुएशनल कॉमेडी है और परिस्थितियों से उपजा हास्य ही ज्यादा बेहतर माना जाता है। इस रोल के लिए मैंने काफी मेहनत की है। दो महीने की वर्कशॉप की। ‘चुपके-चुपके’ में अमिताभ बच्चन द्वारा निभाए गए किरदार का बारीकी से अध्ययन किया। मेरा किरदार बेहद भोला है, लेकिन बेवकूफ नहीं है जैसा कि आम फिल्मों में भोले किरदार को दिखाया जाता है। मैं खुश हूं कि मुझे अपनी पहली फिल्म में ही ऐसा बेहतरीन किरदार निभाने को मिला।‘
दर्शक हुए समझदार ‘रब्बा मैं क्या करूं’ में स्टार नहीं है, लेकिन अब फिल्मों के चलने के लिए स्टार जरूरी नहीं रह गए हैं। पिछले दिनों कई ऐसी फिल्में भी सफल रही हैं, जिनमें कंटेंट मजबूत था। इस बारे में आकाश कहते हैं ‘ये दौर बहुत अच्छा है। दर्शक समझदार हो गए हैं। वे कंटेंट की अहमियत समझने लगे हैं। यही कारण है कि स्टार्स के बिना भी फिल्में अच्छा व्यवसाय कर रही है।‘
बनाना है अपनी पहचान रामानंद सागर के पोते होने के बावजूद उन्होंने चोपड़ा सरनेम क्यों लगाया? पूछने पर आकाश कहते हैं ‘हमारे सरनेम चोपड़ा ही है। मेरे दादा लाहौर में उर्दू साहित्य ‘सागर’ नाम से लिखते थे, यही बाद में हमारा सरनेम हो गया। उन्होंने सागर नाम को लोकप्रिय किया। मैं अपने दम पर कुछ बनना चाहता हूं इसलिए मैंने चोपड़ा सरनेम अपनाया है।‘
2 अगस्त को रिलीज होने वाली ‘रब्बा मैं क्या करूं’ से आकाश को बेहद आशाएं हैं।