वे सभी मरने के लायक थे : प्रियंका चोपड़ा

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प्रियंका चोपड़ा अभिनीत फिल्म ‘सात खून माफ’ का फिल्म प्रेमी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। 18 फरवरी को रिलीज होने वाली इस फिल्म में प्रियंका ने ऐसी स्त्री की भूमिका‍ निभाई है जो सात शादियाँ करती है। जिसके पतियों की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो जाती है। कहा जा रहा है कि प्रियंका का जो रोल है वो हीरोइन को अपने करियर में बड़ी मुश्किल से निभाने को मिलता है। आइए जानें कि क्या कहती है ं प्रियंका इस फिल्म के बारे में :

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क्या सुसाना के किरदार में कोई खासियत भी है?
बहुत सारी। वह बहुत ही सकारात्मक है। जब आप फिल्म देखकर बाहर निकलेंगे तो सोचेंगे कि ‘बेचारी सुसाना! उसके पति मरने के ही लायक थे।‘ सात खून माफ एक ब्लैक कॉमेडी है। यह कोई गंभीर, थ्रिलर या रोमांटिक किस्म की मूवी नहीं है। इसे हम व्यंग्यात्मक फिल्म कह सकते हैं। सुसाना को तो सच्चे प्यार की तलाश है।

‘सात खून माफ’ की आप हीरो हैं, ये बात पुरानी हो गई है कि हीरोइन लीड रोल नहीं कर सकती हैं।
मैं इस बात का श्रेय नहीं लेना चाहूँगी। मैं तो फिल्म अपने लिए करती हूँ। मैं वही फिल्में करती हूँ जिनमें मुझे कुछ अलग करने को मिलता है। जो मुझे प्रभावित करती है। वरना एक जैसे रोल कर मैं तो बोर हो जाऊँगी। भगवान की कृपा से फिल्मकारों ने मुझ पर विश्वास कर कई अलग-अलग रोल निभाने के लिए दिए हैं। मुझे भी जोखिम उठाना पसंद है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि मैं मसाला फिल्में नहीं करना चाहती हूँ।

स्किन पर झुर्रियाँ देख कैसा महूसस हुआ?
बहुत मजा आया। इस उम्र में ही मुझे पैंसठ वर्षीय वृद्ध महिला का किरदार निभाने को मिला। फिल्म में सुसाना की उम्र 21 से 65 वर्ष तक की दिखाई गई है। तीस तक तो ठीक था, लेकिन चालीस, पचास और साठ की उम्र का किरदार निभाना कठिन था। यह कठिन चुनौती थी जो मेरे करियर में बहुत जल्दी आ गई।

इतने सारे पतियों में किससे आपको डर लगा?
नसीर साहब और इरफान से। शूटिंग शुरू होने के पहले मैंने उनके साथ वर्कशॉप भी की थी। दोनों जबरदस्त अभिनेता हैं।

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जब आपको विशाल भारद्वाज ने पहली बार कहानी सुनाई थी तो क्या आप परेशान हो गई थी?
बिलकुल नहीं। मुझे तो पहली बार कहानी सुन बहुत मजा आया था। मुझे कहानी बड़ी मजेदार लगी। हर महिला सुसेन से अपने आपको जोड़ेगी और हर पुरुष कहेगा कि पुरुष इतने बुरे नहीं होते, तभी तो सुसेन बार-बार प्यार कर बैठती थी।

सुसाना से प्रियंका ने क्या सीखा?
मैं नहीं जानती कि मैंने क्या सीखा क्योंकि जो किरदार मैं निभाती हूँ वे का‍ल्पनिक होते हैं। मेरा तो मानना है कि हर फिल्म या किरदार में मेरा भी एक हिस्सा शामिल रहता है क्योंकि जब फिल्म खत्म होती है तो मैं एक किस्म का खालीपन महसूस करती हूँ। वह किरदार मेरे जीवन का हिस्सा बन जाता है।

इस फिल्म में आपके साथ विवान भी है। उनके बारे में क्या कहेंगी?
विवान बेहद प्रतिभाशाली है। यह उसकी पहली फिल्म है, लेकिन उसने बेहतरीन काम किया है। नसीर साहब का बेटा है इसलिए अभिनय उसे विरासत में मिला है। अरुण के रूप में विवान का चयन परफेक्ट है। आप भी फिल्म देखकर मेरी बात का यकीन करेंगे।

माधुरी दीक्षित का कहना है कि प्रियंका के रूप में हमें बेहतरीत अभिनेत्री मिली है।
उनकी इस बात ने तो मेरे दिल को छू लिया है। मुझे नहीं पता कि मैं अच्छी एक्ट्रेस हूँ या नहीं। लोगों का प्यार मुझे हमेशा मिला है। मैं तो सिर्फ इतना चाहती हूँ कि जो भी करूँ बेहतरीन करूँ। मेरी किसी से प्रतिद्वंद्विता नहीं है। मुझे अच्छे रोल मिलते रहे, यही मेरा सपना है।

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