सुरैया : अभिनय व पार्श्व गायन दोनों क्षेत्रों में कामयाब

(सुरैया के जन्मदिवस 15 जून पर विशेष)

Webdunia
हिंदी फिल्मों में अपार लोकप्रियता हासिल करने वाली सुरैया उस पीढ़ी की आखिरी कड़ी में से एक थीं जिन्हें अभिनय के साथ ही पार्श्व गायन में भी निपुणता हासिल थी और इस वजह से उन्हें अ पन ी समकालीन अभिनेत्रियों से बढ़त मिली।

अविभाजित पंजाब में 15 जून 1929 को पैदा हुई सुरैया का मूल नाम जमाल शेख था और वे अपने माता-पिता की इकलौती संतान थीं। सुरैया के नाम से मशहूर हुई बहुमुखी प्रतिभा की धनी यह कलाकार फिल्मी दुनिया से अपरिचित नहीं थी। उनके चाचा जहूर फिल्मों से जुड़े हुए थे और बतौर विलेन काफी लोकप्रिय थे।

स्कूल में छुट्टियों के दौरान एक बार सुरैया अपने चाचा के साथ फिल्म की शूटिंग देखने गई थीं। वहीं नानूभाई वकील ने अपनी फिल्म ताजमहल में मुमताज महल के बचपन की भूमिका के लिए सुरैया को चुन लिया।

सुरैया ने संगीत की विधिवत शिक्षा नहीं ली थी। चर्चित संगीतकार नौशाद ने आकाशवाणी पर बच्चों के एक कार्यक्रम में सुरैया की आवाज सुनी। इस आवाज से वे काफी प्रभावित हुए और उन्होंने कारदार की फिल्म शारदा में सिर्फ 13 साल की उम्र में सुरैया को पार्श्व गायन का मौका दिया।

ताजमहल से शुरू अभिनय सफर करीब दो दशक तक चला और इस दौरान उन्होंने एक समय लोकप्रियता की चरम ऊँचाई को छुआ। शुरू में सुरैया ने दर्द के अलावा के. आसिफ की फूल, महबूब खान की अनमोल घड़ी जैसी फिल्मों में सहायक भूमिकाएँ की। बतौर नायिका उनकी पहली फिल्म तदबीर थी।

कुंदनलाल सहगल भी सुरैया की प्रतिभा से काफी प्रभावित थे। सुरैया ने उनके साथ उमर खय्याम और परवाना जैसी फिल्मों में अभिनय किया। 1940 के दशक के आखिरी वर्षों के अलावा 1950 के शुरुआती वर्षों में सुरैया चोटी की अदाकारा थीं। इस दौरान उनकी कई फिल्मों में प्यार की जीत, बड़ी बहन, दिल्लगी आदि काफी हिट रहीं।

बाद के दिनों में सुरैया और देव आनंद की जोड़ी काफी चर्चित हुई और दोनों ने छह फिल्मों में एक साथ काम किया। परदे के साथ निजी जीवन में भी दोनों एक दूसरे के काफी करीब आ गए और उनका इरादा परिणय सूत्र में बँधने का था, लेकिन सुरैया के घर वालों के प्रबल विरोध के कारण ऐसा संभव नहीं हो सका और सुरैया आजीवन अविवाहित ही रहीं।

अभिनय के अलावा सुरैया ने कई यादगार गीत गाए, जो अब भी काफी लोकप्रिय है। इन गीतों में - सोचा था क्या मैं दिल में दर्द बसा लाई, तेरे नैनों ने चोरी किया, ओ दूर जाने वाले, वो पास रहे या दूर रहे, तू मेरा चाँद मैं तेरी चाँदनी, मुरली वाले मुरली बजा आदि शामिल हैं।

सुरैया बहुत अधिक समय तक लोकप्रियता के शिखर पर नहीं रह सकीं और उनकी फिल्में असफल होने लगीं। लेकिन हार नहीं मानने वाली सुरैया ने वापसी करते हुए वारिस, मिर्जा गालिब, शमा, रुस्तम सोहराब में बेहतरीन भूमिका की। मिर्जा गालिब में सुरैया की भूमिका की तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी सराहना की थी।

बाद के दिनों में सुरैया ने अपने को फिल्मी माहौल से अलग कर लिया और वे कभी-कभी ही फिल्मी समारोहों में शामिल हुईं। उनका 31 जनवरी 2004 को मुंबई में निधन हो गया।

( भाषा)


Show comments

बॉलीवुड हलचल

वेस्टर्न ही नहीं ट्रेडिशनल लुक में भी कहर ढाती हैं मानुषी छ्ल्लिर, देखिए एक्ट्रेस का ट्रेडिशनल साड़ी लुक

लंदन एयरपोर्ट से चोरी हुआ उर्वशी रौतेला का 70 लाख के गहने से भरा बैग

महावतार नरसिम्हा को मिल रहा दर्शकों का खूब प्यार, छठे दिन किया इतना बॉक्स ऑफिस कलेक्शन

सुपर डांसर चैप्टर 5 : मां-बेटी की मुलाकात देख भावुक हुईं शिवांगी जोशी, जानें कैसे किया रिएक्ट

अनुराग कश्यप की क्राइम ड्रामा फिल्म निशांची का फर्स्ट लुक पोस्टर आया सामने, इस दिन सिनेमाघरों में देगी दस्तक

सभी देखें

जरूर पढ़ें

सैयारा रिव्यू: गहरे जज्बात, रोमांस और संगीत की नई उड़ान

37 साल छोटी एक्ट्रेस संग बिग बॉस में एंट्री करके अनूप जलोटा ने मचा दिया था तहलका, अब बताया रिश्ते का सच

सैयारा देख थिएटर्स में ही क्रेजी हुए युवा, कोई छाती पीट चीख रहा तो कोई दहाड़े मारकर रो रहा

अहान पांडे-अनीत पड्डा की सैयारा देख करण जौहर की आंखों से निकले आंसू, बोले- पूरे देश को प्यार में डुबो दिया

क्या इस कोरियन मूवी की कॉपी है अहान पांडे-अनीत पड्डा की सैयारा? यूजर्स ने निकाला कनेक्शन