दरअसल, सुपर्ण वर्मा निर्देशित तथा कुमात मंगत पाठक एवं अभिषेक पाठक निर्मित फिल्म ‘आत्मा’ में बिपाशा का किरदार काफी भावुक किस्म का है।
इस किरदार से न्याय करने के लिए तथा किरदार में घुसने के लिए बिपाशा ने सेट पर यह फरमान जारी कर दिया था कि न कोई जोर से बात करेगा और ना चिल्लाएगा। सेट पर मौजूद यूनिट मेंबर के अनुसार फिल्म में किरदार के अनुरूप बिपाशा को काफी रोना और अपसेट नजर आना था, सो बिपाशा का यह फरमान था कि फिल्म की तरह सेट का माहौल भी काफी गंभीर रहे।
इसके लिए बिपाशा ने सख्त हिदायत भी दे रखी थी। उनके सेट पर आते ही सभी इस कदर खामोश हो जाते थे जैसे कोई सांप सूंघ गया हो। इस सिलसिले में खुद बिपाशा के दोस्त कहते हैं कि जिस तरह का किरदार बिपाशा आत्मा में निभा रही हैं वह काफी गमगीन किस्म का है।
उसके लिए उन्हें काफी कॉन्सनट्रेशन की जरूरत थी। मजे की बात तो यह है कि सेट पर जब वे किसी को चिल्लाते या ज़ोर ज़ोर से हंसते देखती तो उनका दिमाग खराब हो जाता था। फिर भी वे संयम बरतते हुए अपना किरदार निभातीं और ज़रूरत पड़ने पर झूठ-मूट डांट भी देती थी।