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8 रुपए में पूरा दिन गुजार देती थीं नुसरत भरूचा, भूख लगने पर पी लेती थीं पानी

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WD Entertainment Desk

, शुक्रवार, 25 अप्रैल 2025 (12:13 IST)
नुसरत भरूचा ने अपनी दमदार अदाकारी से इंडस्ट्री में एक अलग पहचान बनाई है। नुसरत बॉलीवुड की उन चुनिंदा एक्ट्रेस की लिस्ट में शामिल है, जिन्होंने आउटसाइडर होते हुए भी अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने अपने करियर में कई हिट फिल्मों में काम किया है। 
 
नुसरत भरूचा हाल ही में हॉरर फिल्म 'छोरी 2' में नजर आईं। इसी बीच नुसरत ने कॉलेज टाइम के अपने संघर्ष को याद किया। उन्होंने बताया कि कॉलेज के दिनों में सिर्फ 8 दिनों में वह पूरा दिन निकाल देती थीं। वह पैसे बचाने के लिए पानी पी-पीकर पेट भरती थीं। 
 
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बॉलीवुड बबल संग बात करते हुए नुसरत भरूचा ने कहा, मैं फाइनेंस मैनेज करने में बहुत अच्छी नहीं हूं, लेकिन बहुत खराब भी नहीं हूं। बहुत पहले ही मैंने तय कर लिया था कि मैं एक महीने में कितना खर्च करूंगी। मेरी बुनियादी जरूरतें और उसके बाद जो कुछ भी बचता है, वह ऑटोमैटिकली इन्वेस्टमेंट और सेविंग्स में चला जाता है। 
 
एक्ट्रेस ने कहा, मैं कोई सुपरड्यूमन नहीं हूं। मुझे डर लगता है। मेरे पापा अब 70 साल के करीब है, मम्मी 62 की है और मेरी दादी 92 साल की हैं। वो सभी मुझ पर निर्भर हैं। मुझे बैकअप की ज़रूरत है, पैसे की ज़रूरत है जो भगवान न करे, जब कुछ हो जाए।
 
कॉलेज के दिनों को याद करते हुए नुसरत ने कहा, परिवार ने बहुत ही आर्थिक तंगी झेली है, और वह खुद भी इसे झेल चुकी हैं। जब मैं जुहू से जय हिंद कॉलेज जाती थी... उस समय मेरे पिताजी आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे, क्योंकि उन्हें अपने बिजनेस में धोखा मिला था। इसलिए, मैं उनके पैसे खर्च करवाने से बचती थी।
 
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नुसरत ने कहा, मैंने अपने पूरे कॉलेज के 90 प्रतिशत दिन सिर्फ 8 रुपए में गुजारे हैं। मैं हर रोज केवल 8 रुपए खर्च करती थी। और वह भी ट्रैवल करने में खर्च हो जाते थे। मैं घर से निकलती थी, 231 नंबर की बस पकड़ती थी जुहू से सांताक्रूज स्टेशन तक, इसका किराया 4 रुपए था। 
 
उन्होंने कहा, पापा ने रेलवे पास बनवा दिया था, इसका खर्चा नहीं देना पड़ता था। चर्चगेट उतरती, कॉलेज पैदल जाती, पूरा दिन वहीं रहती। शाम को वही रूट वापस। जाने में 4 रुपए और आने में 4 रुपए, टोटल 8 रुपए। जय हिंदी कॉलेज में सिर्फ पानी ही मुफ्त था, इसलिए जब भी मुझे भूख लगती, मैं पानी पी लेती। और ऐसा नहीं था कि मेरे पिता मुझे पैसे नहीं देते थे, लेकिन यह मेरी चेतना थी।
 
नुसरत ने बताया कि जब भी वह दोस्तों के साथ बाहर जाती थीं और वो खाना ऑर्डर करते थे, तो वह पैसे बचा लेती थीं। वह खुद खाना ऑर्डर नहीं करती थीं। नुसरत भरूचा ने बताया कि वह वहां भी सिर्फ पानी ही पीती थीं और किसी को पता नहीं चलता था कि वह भूखी हैं। 

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