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Laxmii में ट्रांसजेंडर का किरदार निभाने वाले शरद केलकर बोले- ‘फिल्म के बाद उनके प्रति मेरा नजरिया बदला’

हमें फॉलो करें Laxmii में ट्रांसजेंडर का किरदार निभाने वाले शरद केलकर बोले- ‘फिल्म के बाद उनके प्रति मेरा नजरिया बदला’
, गुरुवार, 12 नवंबर 2020 (16:22 IST)
(Photo : Instagram/Sharad Kelkar)
अक्षय कुमार की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘लक्ष्मी’ डिज्नी हॉटस्टार पर रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म तमिल की हिट फिल्म ‘कंचना’ क रीमेक है, जिसकी कहानी अक्षय कुमार के किरदार आसिफ के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे ट्रांसजेंडर लक्ष्मी का भूत लग जाता है। लोगों को यह हॉरर कॉमेडी तो ज्यादा पसंद नहीं आई, लेकिन असली लक्ष्मी का किरदार निभाने वाले शरद केलकर की जमकर तारीफ हो रही है।



हाल ही में एक इंटरव्यू में शरद केलकर ने बताया कि उन्हें ये फिल्म कैसे मिली। उन्होंने ये भी बताया कि कैसे इस फिल्म ने ट्रांसजेंडर लोगों के प्रति उनके नजरिए को बदला है। शरद ने कहा, “यह बहुत अच्छा अनुभव रहा। अक्षय सर के साथ यह मेरी दूसरी फिल्म है। वह मेरे साथ बहुत अच्छे थे। निर्माता इस रोल के लिए एक एक्टर की तलाश कर रहे थे। कुछ एक्टर्स ने ये ऑफर ठुकरा दिए तो वहीं कुछ को निर्माताओं ने ही मना कर दिया। फिर अक्षय सर ने मेरा नाम सुझाया। वह हाउसफुल 4 में मेरे काम से खासे प्रभावित थे। तो अक्षय सर और राघव ने मेरा नाम फाइनल कर दिया।”



राघव लॉरेंस से पहली मुलाकात को याद करते हुए शरद कहते हैं, “मुझे याद है कि जब मैं पहली बार राघव सर से मिला तो उन्होंने सीधे मुझे इस रोल के लिए तैयार हो जाने को कहा। मुझे थोड़ा अजीब लगा पर मैं तैयार हो गया। मुझे किरदार के कपड़ों में देखते ही उन्होंने मुझे फाइनल कर दिया। वह बहुत खुश थे और बोले कि मुझे ये रोल देकर उन्होंने बिलकुल सही फैसला किया है।”
 

शरद ने पहली बार एक ट्रांसजेंडर का रोल निभाया है। इस रोल ने किस तरह उनके विचार बदले हैं, इस पर शरद कहते हैं, “यह फिल्म आंखें खोलने वाली है। मैंने खुद भी इस फिल्म से बहुत कुछ सीखा है। फिल्म के शुरू होने से लेकर अब तक मुझमें काफी परिवर्तन आया है। पहले मुझमें भी ट्रांसजेंडर लोगों के लिए पूर्वधारणाएं थीं। सिर्फ मैं ही नहीं हमारा समाज भी सालों से उनके साथ अलग व्यवहार करता आ रहा है। यह फिल्म करने के बाद मेरे मन में उनके लिए बहुत सम्मान है। पुरुष होते हैं, स्त्रियां होती हैं लेकिन ट्रांसजेंडर्स दोनों का मिश्रण होते हैं। इसलिए मुझे लगता है वे ज्यादा विकसित और सशक्त होते हैं। हमें उनका सम्मान करना चाहिए। इस समय लोग समानता की बात कर रहे हैं, पर मुझे लगता है वे हमसे बहुत बेहतर होते हैं। इस दुनिया को बेहतर करने में उनका योगदान लिया जाना चाहिए।”

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