कहीं दूर जब दिन ढल जाए, जिंदगी कैसी है पहेली, रिमझिम गिरे सावन, ना बोले तुम ना मैंने कुछ कहा जैसे गाने आज भी सुने जाते हैं। ये किन फिल्मों से हैं, किसने इन्हें गाया है, किसने संगीतबद्ध किया है, ये तो ज्यादातर जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इन मधुर गीतों को शब्द देने वाले गीतकार का नाम योगेश है। योगेश का 29 मई की दोपहर को निधन हो गया। वे 77 वर्ष के थे।
शायद दुर्भाग्य इसे ही कहते हैं कि योगेश ने एक से बढ़ कर एक गीत लिखे। उनकी लेखनी से लिखे गीत मिली, छोटी सी बात, आनंद, बातों बातों में, रजनीगंधा, मंजिल, प्रियतम, शौकीन, अपने पराए जैसी फिल्मों का हिस्सा रहे। अधिकांश हिट रहे। ये गीत अर्थपूर्ण भी हैं, लेकिन योगेश को कभी लोकप्रियता नहीं मिली। कई लोगों को तो यह भी नहीं मालूम था कि आज से पहले तक योगेश हमारे बीच में हैं।
लता मंगेशकर ने योगेश को श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया- मझे अभी पता चला कि दिल को छूने वाले गीत लिखने वाले कवि योगेशजी का आज स्वर्गवास हुआ। ये सुनके मुझे बहुत दु:ख हुआ। योगेशजी के लिखे कई गीत मैंने गाए। योगेशजी बहुत शांत और मधुर स्वभाव के इंसान थे। मैं उनको विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।
19 मार्च 1943 को लखनऊ में जन्मे योगेश काम की तलाश में अपने रिश्तेदार से मिले जो कि स्क्रीनप्ले डायरेक्टर थे। इस तरह से योगेश का फिल्मों में आना हुआ।
ऋषिकेश मुखर्जी जैसे काबिल निर्देशक से योगेश का परिचय हुआ और उनकी पारखी नजरों ने योगेश की अंदर छिपी प्रतिभा को पहचान लिया। ऋषिदा की फिल्मों में योगेश ने कई गीत लिखे। दुर्भाग्य की बात रही कि अन्य फिल्म निर्माता, निर्देशक, संगीतकारों ने योगेश की प्रतिभा का ज्यादा उपयोग नहीं किया।