वर्ष 2000 तक निर्माता-निर्देशक के रूप में उनका नाम हो चुका था और अपने बेटे रितिक रोशन को लेकर उन्होंने ‘कहो ना... प्यार है’ बनाई थी। फिल्म में नए कलाकार थे और अपने बेटे की सफलता को लेकर राकेश सुरक्षित खेलना चाहते थे, इसलिए कोई अच्छी-सी रिलीज डेट ढूंढ रहे थे। बॉलीवुड में यदि पहली फिल्म असफल हो जाए तो कड़ा संघर्ष करना पड़ता है ये बात राकेश अच्छी तरह जानते थे।
सन् 2000 के जनवरी के पहले हफ्ते यानी सात जनवरी को आमिर खान की ‘मेला’ रिलीज करने की घोषणा हो चुकी थी। इसके ठीक दो सप्ताह बाद यानी कि 21 जनवरी को शाहरूख खान की ‘फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी’ रिलीज होने वाली थी। राकेश रोशन इन फिल्मों के सामने अपनी फिल्म तो रिलीज नहीं कर सकते थे, लेकिन बीच वाला 14 जनवरी वाला वीक खाली था। काफी सोच-विचार करने के बाद उन्होंने फैसला लिया कि वे इस दिन अपनी फिल्म रिलीज करेंगे।
बॉलीवुड के स्वयंभू पंडितों ने राकेश रोशन के फैसले का मजाक उड़ाया। कहा कि दो सुपरस्टार्स की फिल्मों के बीच उनकी फिल्म सैंडविच बन जाएगी और यह निर्णय उनके बेटे रितिक पर भारी पड़ेगा, लेकिन राकेश को अपनी फिल्म पर विश्वास था।
तमाम अटकलों के विपरीत, ‘मेला’ और ‘फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’, जो सितारों से सजी थीं, फ्लॉप हुईं और नए-नवेले रितिक-अमीषा की फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर साबित हुई। नवोदित रितिक ने स्टार आमिर और शाहरूख को मात देकर अपना सिक्का जमा दिया।