कितने समय से कोशिश हो रही है कि आमिर खान, सलमान खान और शाहरुख खान एक साथ एक ही मूवी में अभिनय करें, लेकिन यह बरसों की यह कोशिश अब तक कामयाब नहीं हो पाई। तीनों कलाकारों का अहंकार आड़े आ जाता है। असुरक्षा की भावना सिर उठा लेती है कि ये कलाकार मुझसे बीसा साबित न हो जाए। इसलिए तीनों सुपरस्टार्स को लेकर अब तक कोई फिल्म नहीं बन पाई।
सत्तर और अस्सी के दशक में सुपरस्टार्स के बीच इस तरह की भावना नहीं थी। अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र, जीतेन्द्र, विनोद खन्ना, शशि कपूर, ऋषि कपूर को साथ में काम करने पर कोई ऐतराज नहीं था। यही कारण है कि उस दौर में अनेक मल्टीस्टारर फिल्में बनी। एक ही फिल्म में कई कलाकारों को देखना दर्शकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण था। उसे महसूस होता था कि एक ही टिकट में उसने इतने सारे सुपरस्टार्स साथ में देख लिए।
अमिताभ बच्चन जहां उत्तर भारत या हिंदी फिल्मों के सुपरस्टार थे तो रजनीकांत और कमल हासन के नाम का डंका दक्षिण भारतीय फिल्मों में बजता था। इन तीनों को लेकर 'गिरफ्तार' नामक फिल्म बनाई गई थी जो 13 सितम्बर 1985 को रिलीज हुई थी। जब यह फिल्म बनाने की घोषणा की गई थी तब से ही दर्शकों में इसको लेकर उत्साह था। तब तक कमल हासन और रजनीकांत को भी हिंदी भाषी दर्शक जानने लगे थे। हालांकि रजनीकांत का रोल छोटा था, लेकिन तीनों कलाकारों को एक ही फिल्म में देखने का मौका दर्शकों को मिला।
इस फिल्म को दक्षिण भारत के दिग्गज फिल्म निर्माता एस. रामानाथन ने प्रोड्यूस किया था। यह उनका साहस ही था जो उन्होंने इतनी महंगी फिल्म बनाने का जिम्मा उठाया और फिल्म को पूरा भी किया। प्रयाग राज ने फिल्म को लिखा और निर्देशित भी किया। यह फिल्म रिलीज होकर सुपरहिट रही। लगभग 32 करोड़ रुपये का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन इस फिल्म ने 1985 में किया। विदेश में भी फिल्म को भारी सफलता मिली।
अमिताभ, रजनीकांत और कमल हासन के अलावा भी फिल्म में नामी कलाकारों का मेला था। हीरोइन के रूप में माधवी और पूनम ढिल्लन थीं। चरित्र कलाकारों के रूप में सत्येन कप्पू, निरुपा रॉय, रंजीत, कादर खान, शक्ति कपूर, कुलभूषण खरबंदा, अरुणा ईरानी, ओम शिवपुरी, पिंचू कपूर, शरत सक्सेना, जीवन, जगदीश राज, बॉब क्रिस्टो, माणिक ईरानी जैसे कलाकार थे।
बप्पी लाहिरी का संगीत फिल्म की कमजोर कड़ी साबित हुआ। 'धूप में निकला न करो रूप की रानी' ही हिट हुआ।