माई एक ऐसी वृद्ध महिला की कहानी है जिसकी संतानें उसकी जिम्मेदारी लेने से बचती है। अल्जाइमर से पीड़ित माई की तीन बेटियां और एक बेटा है। बेटे से माई तब नाउम्मीद हो जाती हैं जब वह अपनी मां को असहाय छोड़ कर विदेश नौकरी के लिए चला जाता है। माई की दो छोटी बेटियां भी जिम्मेदारी से कतराती हैं। ऐसे कठिन समय में माई की बड़ी बेटी मधु आगे आती है और माई की देखभाल करती है। माई की हालत दिनों-दिन खराब होती जाती है और मधु के लिए हालात मुश्किल हो जाते हैं। घर और ऑफिस में तालमेल बैठाना उसके लिए मुश्किल होता है और आखिरकार उसे नौकरी छोड़ना पड़ती है। माई को लेकर उसके अपने पति के साथ संबंध भी तनावपूर्ण हो जाते हैं।