रस्किन बांड की कहानी ‘सुसानाज सेवन हस्बेंड्स’ पर ‘सात खून माफ’ आधारित है। प्रियंका चोपड़ा ने इसमें एक ऐसी महिला का किरदार निभाया है जो उम्र के अलग-अलग पड़ावों पर सात शादियाँ करती हैं क्योंकि उसके पतियों की रहस्यमय पस्थितियों में मौत हो जाती है। प्रियंका को एक चैलेंजिंग किरदार निभाने को मिला है और ‘कमीने’ के बाद विशाल के साथ यह उनकी दूसरी फिल्म है।
सुसाना एना मेरी जोहानेस (प्रियंका चोपड़ा) एक ऐसी खूबसूरत महिला है, जिसे पाने के लिए हर आदमी किसी भी हद तक जा सकता है। पिछले 35 वर्ष में उसने सात बार विवाह रचाया क्योंकि उसके आधा दर्जन पतियों की असामयिक और रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई है। शक की सुई प्रमुख रूप से सुसाना की ओर इशारा करती है।
खूबसूरत और युवा सुसाना ने पहली शादी एडविन रॉड्रिक्स (नील नितिन मुकेश) से की थी, जो एक मेजर था। मेजर के प्यार में वह लट्टू हो गई थी, हालाँकि मेजर और उसकी उम्र में थोड़ा ज्यादा फासला था। यूनिफॉर्म में मेजर बेहद हैंडसम नजर आता था और वह हमेशा हुक्म देना पसंद करता था। लेकिन सुसाना तो प्यार में अंधी थी। दूसरी बार और बहुत जल्दी सुसाना ने जिमी स्टेटसन (जॉन अब्राहम) से शादी। दिखने में जिमी बहुत आकर्षक था। संगीत का वह जादूगर था और इसी वजह से सुसाना उसकी ओर खिंची चली गई, लेकिन उसे नहीं पता था कि आगे उसके जीवन में क्या घटने वाला है।
कविताएँ सुसाना को बहुत पसंद है और इसी कारण उसने वसीउल्लाह खान (इरफान खान) से ब्याह रचाया। वसीउल्लाह उर्फ मुसाफिर रोमांटिक किस्म के इंसान थे। दिन में दिल को छू लेने वाले उम्दा कविताएँ हुई और रात में कुछ और ही घटित हो गया। सुसाना की उम्र बढ़ रही थी, लेकिन समझदारी नहीं। मास्को के निकोलई व्रोंस्की (एलेक ड्याचेंको) के साथ उसने अगली शादी की।
इन सारे पतियों की मौत के बाद पुलिस को इस केस में मजा आने लगा, खासतौर पर ऑफिसर कीमत लाल (अन्नू कपूर) को। वह सुसाना की कुछ ज्यादा ही मदद करने लगा। शादी के लिए दबाव डालने लगा। उसने ऐसी स्थितियाँ पैदा कर दी कि सुसाना ‘ना’ नहीं कह सकती थी। कीमत लाल के बाद डा. मधुसूदन तरफदार (नसीरुद्दीन शाह) की बारी थी। मधुसूदन के जाने के बाद सुसाना ने सातवीं शादी की, अपनी बेहतरी के लिए।
क्या ये सारे पति मर जाने के काबिल थे? क्या इनकी हत्या करना आवश्यक था या इनकी हत्याएँ खून-खराबे का खेल खेलने के लिए की गई थी? क्या सुसाना को कभी सच्चा प्यार मिला था? इन प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे ‘सात खून माफ’ में।
निर्देशक के बारे में : संगीतकार से निर्देशक बने विशाल भारद्वाज की गिनती वर्तमान के प्रतिभाशाली निर्देशकों में होती है। लीक से हटी कहानियों का वे चुनाव करते हैं और उसे अपने मुताबिक स्क्रीन पर पेश करते हैं। उनकी फिल्मों का ट्रीटमेंट, अभिनय और संगीत हमेशा उल्लेखनीय रहता है। मकबूल (2004), ओंकारा (2006) और कमीने (2009) के अलावा उन्होंने बच्चों के लिए भी दो फिल्में मकड़ी (2002) और ब्लू अम्ब्रेला (2007) बनाई हैं।