हो गया दिमाग का दही अक्सर ऐसी बात के बारे में कहा जाता है जिसका कोई मतलब नहीं निकलता हो। यह लाइन ऐसे लोगों के लिए सही साबित होती है जिन्हें आवश्यकता से अधिक दुलार मिला हो। जो भविष्य को लेकर गंभीर न हों।
फिल्म एक व्यंग्य कॉमेडी है। फिल्म की कहानी रिश्तों पर बुनी है जहां जिंदगी को सिर्फ अनुभवों के आधार पर समझा जा सकता है। फिल्म का कथानक टॉम एंड जेरी जैसा है। जिसमें दोनों एक दूसरे पर नजर रखते हैं। फिल्म के पात्र मुश्किल भरी परंतु हास्य पैदा करने वाली परिस्थितियों में डाल दिए जाते हैं। इसमें वे बाहर निकलने की कोशिश में हकीकत से रूबरू होते हैं।