घटनाक्रम कुछ ऐसे घटते हैं कि क्रिसमस की पूर्व संध्या पर दोनों फिर मिलते हैं। बात ‘कुछ’ ड्रिंक्स साथ पीने की होती है, लेकिन ये ‘कुछ’ बहुत ‘ज्यादा’ में तब्दील हो जाता है। रात साथ गुजारने के बाद दोनों जब सुबह उठते हैं तो अपने आपको विवाहित पाते हैं। राहुल के लिए मुश्किल और बढ़ जाती है। अब उसे जॉब के साथ-साथ शादी की बात भी अपने पैरेंट्स से छिपाना है।
इस शादी से दोनों छुटकारा पाना चाहते हैं और कोर्ट इन्हें दस दिन बाद का समय देती है। अगले दस दिनों में वे हंसते हैं, लड़ते हैं, तर्क करते हैं और न चाहते हुए भी दोस्ती जैसा रिश्ता उनमें बन जाता है। क्या ये दोस्ती प्यार में बदलेगी? क्या रियाना की निर्भयता से राहुल कुछ सीखेगा? क्या उसमें साहस आएगा कि वह अपने माता-पिता से बेखौफ बात कर सके? क्या नशे में की गई गलती (शादी) दो लोगों के जीवन में बदलाव लाएगी? ऐसे कई प्रश्नों के उत्तर रोमांटिक-कॉमेडी फिल्म में मिलेंगे।