अमित (शरमन जोशी) शैतान है तो जय (मनीष नागपाल) शर्मीला और सीधा-सादा। छोटे शहर से आए ये दोनों बंदे मुंबई के धारीवाल कॉलेज में दाखिला लेते हैं। कॉलेज में पहले ही दिन नेहा (राइमा सेन) और निशा (रिया सेन) को अमित परेशान कर देता है और सीधे उसे प्रिंसीपल (शालिनी देवी) के पास ले जाया जाता है। अमित इस मामले में जय को भी फंसा देता है। शालिनी देवी तो उन्हें कॉलेज से निकालना चाहती है, लेकिन किसी तरह उनके गुस्से को शांत करने में दोनों कामयाब होते हैं।
कॉलेज से निकलने से तो वे बच जाते हैं, लेकिन होस्टल उन्हें छोड़ना पड़ता है। एक रियल एस्टेट एजेंट की मदद से वे सस्ता घर ढूंढने में कामयाब होते हैं। मकान मालिक की शर्त है कि वह कपल को ही घर किराए से देगा।
इसका हल अमित निकालता है और जय को वह जया बना देता है। पति-पत्नी बन वे जब मकान मालिक के पास पहुंचते हैं तो वहां प्रिंसीपल शालिनी देवी को पाते हैं। मासूम बन वे शालिनी देवी को पिघला देते हैं और उन्हें घर किराए से मिल जाता है। शालिनी देवी की दो भतीजियां हैं, नेहा और निशा, ये वही लड़कियां हैं जिन्हें अमित ने कॉलेज में परेशान किया था।
अब शुरू होता है प्यार और कन्फ्यूज का खेल। नेहा पर अमित मर मिटता है, लेकिन नेहा उसे शादीशुदा मान दिलचस्पी नहीं लेती। निशा को जय से प्यार हो जाता है और उसे यह पता नहीं है कि जय ही जया है। जय उसमें कोई दिलचस्पी नहीं लेता क्योंकि वह पढ़ाई कर अपने माता-पिता का नाम ऊंचा करना चाहता है।
शालिनी देवी अपने कड़क मिजाज के लिए पूरे कॉलेज में मशहूर है। उनका मिजाज नरम करने के लिए अमित और जय अपने प्लान में प्रोफेसर वर्मा को शरीक करते हैं। वे चाहते हैं कि शालिनी देवी से प्रोफेसर वर्मा अफेयर चलाएं ताकि प्यार में पड़कर शालिनी देवी अपनी सोच बदले और नरम दिल हों।
इसके बाद धमाचौकड़ी होती है। क्लाइमैक्स में दिखाया गया है कि किस तरह नेहा का दिल अमित जीतता है, जय को निशा प्यार के मायने बताती है और प्यार के खेल में शालिनी देवी कैसे भीगी बिल्ली बन जाती है। थ्री बैचलर्स के जरिये कॉमेडी, रोमांस और कन्फ्यूजन की कहानी गढ़ी गई है।