निर्माता : अशोक कुमार नंदा, विद्या डी. कामत निर्देशक : अशोक कुमार नंदा कलाकार : मेघना नायडू, आलोक नाथ, दीप्ति नवल, मनोज वमा, रीमा लागू, विजय राज, यशपाल शर्मा
भारत के ग्रामीण इलाके में रहने वाली बेला उस समुदाय की है जो लड़की की उम्र के अठारह वर्ष पूरे होने को उत्सव की तरह मनाता है। इसमें पैसे वाले लोग, नेता आदि इकठ्ठा होते हैं। लड़की के मां-बाप को वे पैसा देते हैं और बदले में लड़की को उनके साथ सोना पड़ता है। अपना कौमार्य खोना पड़ता है।
इसके बाद वह अपना शरीर बेचकर पैसा कमाती है। अपने माता-पिता को पालती है। जब उसकी जवानी ढलने लगती है, ग्राहक आना कम हो जाते हैं तब वह किसी बूढ़े से शादी कर घर बसा लेती है। उस लड़की के बारे में, उसके सपनों के बारे में कोई नहीं सोचता। सभी के लिए वह केवल एक जिस्म है, जिसकी बाजार में ऊंची कीमत लगती है।
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बेला की मुलाकात राहुल से होती है। दोनों में प्यार होता है और दोनों के सुहाने सपने हैं। बेला की मां कहती है कि उसे यह सब भूलना होगा और समुदाय के रिवाज के मुताबिक चलना होगा।
बेला के पिता उसके अठारह वर्ष पूरे होने की बाट जोह रहे हैं ताकि उनकी आमदमी शुरू हो। बेला के जिस्म के खरीददार उस पर पैसा लगाने लगे हैं। समुदाय का मुखिया किसी भी शर्त पर यह रिवाज तोड़ने के लिए तैयार नहीं है।
‘रिवाज’ दकियानुसी परंपराओं में कैद एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसे सपने देखने को कोई हक नहीं है।