अंजाना अंजानी : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर
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बैनर : नाडियाडवाला ग्रेंडसन एंटरटेनमेंट, इरोज़ एंटरटेनमेंट
निर्माता : साजिद नाडियाडवाला
निर्देशक : सिद्धार्थ आनंद
संगीत : विशाल शेखर
कलाकार : रणबीर कपूर, प्रियंका चोपड़ा, जायद खान
सेंसर सर्टिफिकेट : यू/ए * 2 घंटे 5 मिनट
रेटिंग :2/5

कहानी को अगर ज्यादा लंबा खींचा जाए तो वो अपना असर खो बैठती है। ऐसा ही कुछ हुआ है ‘अंजाना अंजानी’ के साथ। इस फिल्म को ज्यादा से ‍ज्यादा 90 मिनट में खत्म कर देना था, लेकिन 125 मिनट का वक्त लिया गया। जिससे न केवल फिल्म की गति धीमी हो गई है बल्कि कई लंबे दृश्यों की वजह से यह उबाऊ भी लगती है।

आकाश (रणबीर कपूर) और कियारा (प्रियंका चोपड़ा) एक ब्रिज पर मिलते हैं, जहाँ से दोनों आत्महत्या करने वाले हैं। आकाश को बिज़नेस में जबरदस्त नुकसान हुआ है और कियारा के प्रेमी कुणाल (जायद खान) ने उसे धोखा दिया है, इसलिए वे कायराना कदम उठा रहे हैं।

आत्महत्या की कोशिश असफल होती है। कुछ देर बाद उनकी फिर मुलाकात होती है और वे पाँच बार अपने आपको खत्म करना चाहते हैं, लेकिन हर बार बच जाते हैं। आखिरकार दोनों बीस दिन बाद 31 दिसंबर को आत्महत्या करने की प्लानिंग करते हैं।

इन बीस दिनों में वे वो सब कुछ करना चाहते हैं जो हमेशा से वे करना चाहते थे। एक लंबे सफर पर वे निकलते हैं और एक-दूसरे को वे चाहने लगते हैं। हालाँकि इस बात को वे स्वीकारते नहीं हैं।

31 दिसंबर के पहले आकाश को लगता है कि कियारा को अपने प्रेमी को माफ करना चाहिए और वह उसे अपने घर लौटने पर मजबूर करता है। किस तरह बिछड़ने के बाद उन्हें महसूस होता है कि वे आपस में प्यार करने लगे हैं, ये फिल्म का सार है।

फिल्म की कहानी अच्छी है और इसमें भरपूर इमोशन और एंटरटेनमेंट की गुंजाइश थी, लेकिन इस पर आधारित स्क्रीनप्ले बेहद कमजोर हैं। सीन कुछ इस तरह लिखे गए हैं कि वो बेजान लगते हैं।

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शुरुआत के आधे घंटे तक फिल्म बेहद उबाऊ है जब आकाश और कियारा अलग-अलग तरीके से आत्महत्या की कोशिश करते दिखाए गए हैं। सब कुछ इस तरह फिल्माया गया है मानो वे मजाक कर रहे हों। इसके बाद जब आकाश और कियारा बीस दिनों तक जिंदगी का मजा लूटने का प्लान बनाते हैं, तब भी फिल्म में मौज-मस्ती नदारद नजर आती है।

कियारा और आकाश के किरदार भी ठीक से लिखे नहीं गए हैं। आकाश जब भी कियारा के नजदीक आने की कोशिश करता है तो वह उसे बताती है कुणाल को वह भूला नहीं पा रही है। जब वह उसे कुणाल के पास भेज देता है तो उसे आकाश की याद सताने लगती है।

साथ ही दोनों के आत्महत्या करने की कोशिश के पीछे जो कारण बताए गए हैं वो बेहद कमजोर हैं। इतनी छोटी-सी बातों के लिए क्यों कोई अपनी मूल्यवान जिंदगी गँवाना चाहेगा?

किसी भी प्रेम कहानी में इमोशन और कैमेस्ट्री का बहुत महत्व रहता है। ‘अंजाना अंजानी’ की कहानी में वो इमोशन नहीं हैं कि दर्शकों को कियारा और आकाशा से हमदर्दी हो।

रणबीर और प्रियंका की कैमेस्ट्री भी परदे पर दिखाई नहीं देती। जहाँ तक अभिनय का सवाल है तो दोनों ने बेहतरीन काम किया है। खासकर प्रियंका चोपड़ा को अपने किरदार में कई शेड्स दिखाने का मौका मिला और उन्होंने बखूबी अपने पात्र को जिया। रणबीर कपूर कुछ ज्यादा ही उदास नजर आएँ। छोटे से रोल में जायद खान भी ठीक हैं।

निर्देशक सिद्धार्थ आनंद को लगातार बड़े मौके मिले हैं। यशराज फिल्म्स के लिए उन्होंने तीन फिल्में बनाईं और अब साजिद नाडियाडवाला जैसा निर्माता, लेकिन उनके द्वारा बनाई गई फिल्मों से दर्शक जुड़ नहीं पाता है।

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जहाँ तक फिल्म के सकारात्मक पक्ष का सवाल है तो कुछ दृश्य ऐसे हैं जो मनोरंजन करते हैं। गुदगुदाते हैं। फिल्म का संगीत पक्ष बहुत मजबूत है। विशाल-शेखर द्वारा संगीतबद्ध ‘अंजाना अंजानी’, ‘आस पास है खुदा’, ‘तुझे भूला दिया’ सुनने लायक हैं।

निर्माता साजिद नाडियाडवाला ने जमकर पैसा खर्च किया है। न्यूयॉर्क, लास वेगास और सेन फ्रांसिस्को में फिल्म को फिल्माया गया है और फिल्म में भव्यता नजर आती है। लेकिन पूरी फिल्म की बात की जाए तो ‘अंजाना अंजानी’ से अंजान बने रहना ही बेहतर है।

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