एबीसीडी – एनी बडी केन डांस : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर
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थ्री-ड ी
बैनर : यूटीवी स्पॉट बॉय
निर्माता : सिद्धार्थ रॉय कपूर, रॉनी स्क्रूवाला
निर्देशक : रेमो डिसूजा
संगीत : सचिन जिगर
कलाकार : प्रभुदेवा, लॉरेन गॉटलिएब, केके मेनन, धर्मेश येलंडे, मयूरेश, गणेश आचार्य, सलमान युसूफ खान, पुनीत
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 23 मिनट

अंडर डॉग पर आधारित फिल्मों में ऐसे इमोशन्स की बहुत संभावनाएं होती हैं जो सीधे दिल को छू सके। ‘लगान’ और ‘चक दे इंडिया’ इसके ताजा उदाहरण हैं। इन फिल्मों में ऐसी टीमें थीं, जो सुविधा विहीन थी, लेकिन जीत का जज्बा खिलाड़ियों में पैदा किया गया और इसी जज्बे के कारण वे विजेता बनीं।

रैमो डिसूजा द्वारा निर्देशित फिल्म ‘एबीसीडी - एनी बडी केन डांस’ में खेल का स्थान डांस ने ‍ले लिया। झोपड़ पट्टी में रहने वाले छोरे-छोकरियों को एक डांस टीचर विष्णु (प्रभुदेवा) डांस सीखाता है और वे रियलिटी शो में चैम्पियन बन जाते हैं। विष्णु की भी अपनी कहानी है। उसे खुद की बनाई एकेडेमी से उसका पार्टनर बाहर कर देता है और उस पर भी खुद को साबित करने का दबाव है।

रैमो डिसूजा खुद लंबा संघर्ष कर यहां तक पहुंचे हैं इसलिए उन्होंने अपने अनुभवों को भी इसमें शामिल किया होगा, लेकिन यह बात फिल्म में उभर कर नहीं आती है। हॉलीवुड मूवी ‘स्टेप अप’ से प्रेरित ‘एबीसीडी’ कई मामलों में कमजोर है।

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कहानी ऐसी है कि आगे क्या होने वाला है ये कोई भी बता दे। स्क्रिप्ट में जो घटनाक्रम डाले गए हैं, वे बेवजह के लगते हैं। ऐन फाइनल के पहले लीड डांसर की मौत के जरिये भावनाएं उपजाने की कोशिश निरर्थक लगती है।

इसी तरह के कई किस्से जैसे बस्ती के लोगों का डांसर्स के खिलाफ होना, एक पिता का अपने बेटे का डांसर बनने की बात पसंद नहीं करना, डांसर्स का आपसी विवाद बहुत बनावटी हैं, जिससे फिल्म के साथ दर्शक जुड़ नहीं पाता है।

फिल्म में डांस के लिए सिचुएशन बनाई गई हैं और कुछ डांस सीक्वेंस बेहतरीन बन पड़े हैं। प्रभुदेवा का सोलो डांस, रेन डांस और क्लाइमेक्स में शो के फाइनल में किया गया डांस देखने लायक हैं। थ्री-डी में होने के कारण इनका प्रभाव और बढ़ जाता है।

फिल्म का संगीत निराशाजनक है। चूंकि फिल्म डांस पर आधारित है, इसलिए हिट गीतों का होना जरूरी है, लेकिन ‘एबीसीडी’ में एकाध गीत को छोड़ दिया जाए तो कोई भी गीत याद नहीं रहता।

डांस में लड़के-लड़कियों दोनों का महत्व बराबर होता है, लेकिन फिल्म में लड़की का एक भी किरदार ऐसा नहीं है जो उभर कर सामने आए। केवल ‘गरम मसाला’ जैसे संवाद सुनते समय ही लड़कियां परदे पर नजर आती हैं।

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एक्टिंग डिपार्टमेंट में फिल्म बेहद निराश करती है। प्रभुदेवा इमोशनल सीन में कमजोर एक्टर साबित हुए, लेकिन उनका सोलो परफॉर्मेंस इस कमी को पूरा करता है। गणेश आचार्य जरूर ठीक-ठाक कहे जा सकते हैं। इनके अलावा ज्यादातर वे डांसर हैं, जो रियलिटी शो में अक्सर नजर आते हैं। धर्मेश, सलमान, पुनीत नि:संदेह बेहतरीन डांसर्स हैं, लेकिन एक्टिंग करना उनके बस की बात नहीं है। केके मेनन कलाकारों की भीड़ में अलग नजर आते हैं।

कुल मिलाकर ‘एबीसीडी - एनी बडी केन डांस’ सिर्फ डांस डिपार्टमेंट में ही प्रभावित करती है।

रेटिंग : 2/5

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