जेम्स बॉण्ड : क्वांटम ऑफ सोलास

समय ताम्रकर
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निर्माता : बार्बरा ब्रोक्कोली, माइकल जी विल्सन
निर्देशक : मार्क फोस्टर
कलाकार : डेनियल क्रेग, ओल्गा कुर्लेंको, जूडी डेंच, जेमा आर्टेरटन
अवधि : 106 मिनट * यू/ए

जेम्स बॉण्ड की फिल्म देखने जाने वाले दर्शक यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि वे लार्जर देन लाइफ फिल्म देखने जा रहे हैं, जिसमें कुछ जबर्दस्त एक्शन और जेम्स बॉण्ड के हैरत-अंगेज कारनामे होंगे।

‘कसीनो रॉयल’ की सीक्वल ‘क्वांटम ऑफ सोलास’ की शुरुआत एक शानदार कार चेजिंग दृश्य से होती है और‍ फिल्म से और उम्मीद बढ़ जाती है। लेकिन फिल्म खत्म होने के बाद लगता है ‍कि जो अपेक्षाएँ थीं, वे पूरी नहीं हो पाईं। कहीं कसर बाकी रह गई।

इस बार जेम्स बॉण्ड (डेनियल क्रेग) का मिशन थोड़ा पर्सनल है। वह अपनी प्रेमिका वेस्पर लिंड की मौत के पीछे कौन है, इस राज को जानना चाहता है। अपने इस मिशन में उसे कई राज पता चलते हैं और वह दुश्मनों की हत्या करते हुए आगे बढ़ता है।

लगातार लोगों को मारने की वजह से उससे एमआई-6 के लोग भी नाराज हो जाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि जेम्स बॉण्ड बजाय फर्ज निभाने के अपना व्यक्तिगत बदला लेने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहा है। इससे बॉण्ड पर कोई फर्क नहीं पड़ता।

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एम (जूडी डेंच) भले ही उसके साथ सख्ती से पेश आती है, लेकिन उसका पूरा विश्वास जेम्स पर बना रहता है। जेम्स का सामना डोमिनिक ग्रीन (मैथ्‍यू एमार्लिक) से होता है, जो पूरी पृथ्वी पर पानी और तेल जैसी चीजों पर अपना एकाधिकार जमाना चाहता है।

जेम्स की मुलाकात खूबसूरत कैमिले (ओल्गा कुर्लेंको) से होती है, जो ग्रीन के एक साथी से बदला लेना चाहती है। कैमिले के पिता, बहन और माँ की उसने हत्या कर दी थी। जेम्स और कैमिले किस तरह अपने मिशन में कामयाब होते हैं, यह फिल्म का सार है।

इस बदला लेने वाली कहानी को रोमांचक घटनाक्रमों और एक्शन दृश्यों के सहारे निर्देशक मार्क फोस्टर ने परदे पर उतारा है। कहानी में ज्यादा दम नहीं है, लेकिन निर्देशक ने घटनाक्रम को इतना तेज रखा है कि दर्शकों को सोचने के लिए समय ही नहीं मिले। कहानी को इस तरह लिखा गया है कि इसमें एक्शन दृश्यों का समावेश किया जा सके। ऑस्ट्रिया, इटली, लंदन, हैती जैसे कई देशों की उन्होंने यात्रा करवाई है। फिल्म का अंत कुछ इस अंदाज में किया गया है कि जरूरत पड़ने पर इसका अगला भाग भी बनाया जा सके। ग्रीन को जेम्स रेगिस्तान में अकेला छोड़ देता है, हालाँकि बाद में एम बताती है- वह मारा गया है।

निर्देशक ने कई दृश्य उम्दा तरीके से फिल्माए हैं। फिल्म के आरंभ में सिएना में आयोजित घोड़ों की दौड़ की पृष्ठभूमि में फिल्माया गया दृश्य। ब्रोंगेज़ ऑपेरा हाउस वाला दृश्य जिसमें ऑपेरा चलता है और सारे खलनायक बैठकर मीटिंग करते हैं। जब सभी को पता चलता है कि उनकी सारी बातें जेम्स बॉण्ड ने सुन ली है तो वे घबरा जाते हैं। प्लेन क्रेशिंग और पैराशूट के सहारे कूदने वाले दृश्य भी लाजवाब हैं।

जेम्स बॉण्ड के किरदार को थोड़ा मूडी और सनकी दिखाया गया है। उसका रोमांटिक अंदाज भी गायब है। एम के साथ उसकी नोकझोंक उम्दा है। नीली आँखों वाले डेनियल क्रेग ने लगातार दूसरी बार जेम्स बॉण्ड का किरदार बखूबी निभाया है। एक्शन दृश्यों में वे जमे हैं।

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डोमिनिक ग्रीन के रूप में मैथ्यू एमलरिक ने ठंडे और तेज दिमाग वाले खलनायक की भूमिका को कुशलता से निभाया है। एम के रूप में जूडी डेंच ने अपने संवादों के जरिए हँसाया है। ओल्गा कुर्लेंको को जेमा आर्टेरटन के मुकाबले ज्यादा अवसर मिला है।

फिल्म के संपादक को काफी मेहनत करना पड़ी, खासतौर से एक्शन दृश्यों में। फिल्म का पार्श्वसंगीत और लोकेशन उम्दा है। जिन्होंने ‘कसीनो रॉयल’ नहीं देखी है, उन्हें इस फिल्म के साथ तालमेल बैठाने में थोड़ी तकलीफ हो सकती है।

कुल मिलाकर बॉण्ड के प्रशंसकों को यह फिल्म पिछली फिल्मों के मुकाबले फीकी लगेगी।
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