दिल की मजेदार कबड्डी

समय ताम्रकर
IFM
निर्माता : शैलेन्द्र आर. सिंह
निर्देशक : अनिल सीनियर
कलाकार : राहुल बोस, कोंकणा सेन शर्मा, इरफान खान, राहुल खन्ना, सोहा अली खान, पायल रोहतगी

वूडी एलन की फिल्म ‘हसबैंड्‍स एंड वाइव्स’ से प्रेरित होकर निर्देशक अनिल सीनियर ने ‘दिल कबड्डी’ नामक फिल्म बनाई है। फिल्म में पति-पत्नी की दो जोडि़यों ऋषि-सिमी (राहुल बोस-कोंकणा सेन शर्मा) और समित-मीत (इरफान खान-सोहा अली खान) के बनते-बिगड़ते रिश्ते को दिखाया गया है।

बात गंभीरता से नहीं बल्कि हास्य से भरे अंदाज में की गई है। इसे ‘एडल्ट कॉमेडी’ कहा जा सकता है। ऐसा लगता है कि जैसे कैमरा इन जोडि़यों के बेडरूम में लगा है, जिसमें वे सेक्स से लेकर वो सारी बातें करते हैं, जो आमतौर पर पति-पत्नी के बीच होती हैं।

फिल्म के आरंभ में दिखाया गया है कि समित और मीत की शादी को कुछ वर्ष हो गए हैं और दोनों आपस में खुश नहीं हैं। पत्नी को कला फिल्म पसंद है, तो पति को मसाला फिल्म। छोटी-छोटी बातों पर वे लड़ते रहते हैं। दोनों के बीच सेक्स हुए भी कई महीने हो गए हैं और इस वजह से पति अपनी पत्नी से नाराज है। उसका कहना है कि इस कारण दिमाग और शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है। दोनों अलग होने का फैसला करते हैं।

ऋषि और सिमी इनके अच्छे दोस्त हैं। दोनों के आपसी संबंध सिर्फ ठीक-ठाक है। ऋषि की चाहत कुछ और थी, इस वजह से पत्नी में उसे कमी दिखाई देती है। उसे अपनी गर्लफ्रेंड की याद आती है जो बहुत सेक्सी थी। समित और मीत के अलगाव का असर उनके रिश्तों पर भी होता है। घटनाक्रम कुछ ऐसे घटते हैं कि फिल्म के अंत में समित और मीत एक हो जाते हैं और ऋषि-सिमी अलग हो जाते हैं।

जहाँ एक ओर पुरुषों को लंपट दिखाया गया है, जिन्हें अपनी पत्नी के बजाय दूसरी औरतें ज्यादा आकर्षक और हॉट लगती हैं, क्योंकि सेक्स को लेकर सबकी अलग-अलग कल्पनाएँ हैं। वहीं पत्नियाँ अपने पति पर बहुत ज्यादा रोक-टोक लगाती हैं और हक जमाती हैं। पति-पत्नी के रिश्तों में शादी के कुछ वर्षों बाद ठहराव आ जाता है। रोमांस गायब हो जाता है। वे एक-दूसरे से बोर हो जाते हैं और वैवाहिक जिंदगी की सीमाएँ लाँघते हैं। इन सारी बातों को गुदगुदाते अंदाज में दिखाया गया है।


पूरी फिल्म में इन दोनों जोडि़यों की जिंदगी से कुछ प्रसंग उठाए गए हैं, जिन्हें निर्देशक ने एक नए अंदाज में पेश किया है। सारे किरदार कई बार कैमरे की ओर मुखातिब होकर सवालों के जवाब उसी अंदाज में देते हैं, जैसे इंटरव्यू के दौरान दिए जाते हैं।

घटनाओं का क्रम निर्धारित नहीं है, कोई-सा भी प्रसंग कभी भी आ जाता है, लेकिन इसके बावजूद फिल्म रोचक लगती है। कई दृश्य हँसाते हैं। मध्यांतर तक फिल्म में पकड़ है, लेकिन इसके बाद फिल्म थोड़ी लंबी खिंच गई है।

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फिल्म के कलाकार इसका सबसे सशक्त पहलू है। इरफान खान का किरदार ‘मेट्रो’ फिल्म में उनके द्वारा निभाए गए किरदार का विस्तार लगता है। उन्होंने बेहतरीन अभिनय किया है। सोहा अली खान के चरित्र में कई शेड्स हैं और उन्होंने हर रंग को बखूबी परदे पर पेश किया है। राहुल बोस और कोंकणा सेन हमेशा की तरह शानदार हैं। पायल रोहतगी ने ओवर एक्टिंग की है।

एडल्ट कॉमेडी और सेक्स को लेकर हिंदी फिल्मकार परहेज करते रहे हैं, लेकिन बिना फूहड़ और अश्लील हुए भी एडल्ट कॉमेडी पर फिल्म बनाई जा सकती है। कुल मिलाकर ‘दिल कबड्डी’ हँसाती ज्यादा है, बोर कम करती है।

रेटिंग : 3/5
1- बेकार/ 2- औसत/ 3- अच्छी/ 4- शानदार/ 5- अद्‍भुत

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