बकवास और बोरियत से भरा ‘धूम-धड़ाका’

समय ताम्रकर
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निर्माता-निर्देशक : शशि रंजन
संगीत : रूप कुमार राठौड़
कलाकार : अनुपम खेर, सतीश शाह, शाद रंधावा, समीर दत्तानी, आरती छाबरिया, शमा सिकंदर, सतीश कौशिक, दीपशिखा, गुलशन ग्रोवर, जैकी श्रॉफ
यू/ए * 14 रील
रेटिंग : 0/5

पता नही ‘धूम धड़ाका’ जैसी फिल्में क्यों बनाई जाती हैं? इस फिल्म के जरिये न कोई सार्थक बात सामने आती है और न मनोरंजन होता है। शिक्षा जरूर मिलती है कि ऐसी फिल्मों से दूर रहा जाए।

निर्माता-निर्देशक शशि रंजन ने सिर्फ अपने शौक की खातिर यह फिल्म बनाई है। कहने को तो यह हास्य फिल्म है, लेकिन दर्शक इस‍ फिल्म को देखने के बाद अपने आपको कोसते हुए बाहर निकलता है कि वह क्यों यह फिल्म देखने आया?

फिल्म का हास्य इतना गया गुजरा है कि न समझदार दर्शक को हँसी आती है और न ही फूहड़ हास्य पसंद करने वालों को। ओवर एक्टिंग से भरी इस घटिया नौटंकी से छुटकारा 14 रील खत्म होने के बाद मिलता है, कुछ समझदार दर्शकों ने तो मध्यांतर को ही फिल्म का अंत मान लिया।

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मुँगीलाल (अनुपम खेर) एक डॉन है, जिसे एएबीएम (ऑल एशियन भाई मीट) में परिस्थितिवश कहना पड़ता है कि उसका वारिस है। जबकि उसकी शादी भी नहीं हुई है। वर्षों पहले उसने अपनी बहन को घर से निकाल दिया था।

उसे पता चलता है कि उसने कमल नामक संतान को जन्म दिया है। वह उस वारिस की तलाश करता है तो उसके पास कई कमल नाम के लड़के-लड़कियाँ आ जाते हैं। क्या उसके पास आए सारे कमल असली हैं, इसकी वह पड़ताल करता है।

फिल्म की कहानी में हास्य की गुंजाइश थी, लेकिन पटकथा बेहद घटिया है। दृश्यों को इतना लंबा रखा गया है कि संवाद लेखक के पास संवाद खत्म हो गए। फिल्म देखते समय कई सवाल दिमाग में उठते हैं, जिनका जवाब अंत तक नहीं मिलता।

सारे पात्र जोकरनुमा हैं और उनसे ओवरएक्टिंग करवाई गई है। दु:ख की बात तो यह है कि इस फिल्म में अनुपम खेर और सतीश शाह जैसे कलाकारों ने काम किया है। अनुपम खेर की यह फिल्म इसलिए याद रहेगी क्योंकि इसमें उन्होंने अपनी जिंदगी का सबसे घटिया अभिनय किया है।

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शाद रंधावा, आरती छाबरिया, शमा सिकंदर और समीर दत्तानी जैसे कलाकारों को काम क्यों नहीं मिलता, यह उनका अभिनय देखकर समझ में आ जाता है। गुलशन ग्रोवर, सतीश कौशिक, जैकी श्रॉफ और दीपशिखा जैसे थके हुए चेहरे बोर करते हैं। फिल्म का एक भी पक्ष उल्लेखनीय नहीं है।

फिल्म में पैसा लगाया गया है, लेकिन वो पानी में बहाने के समान है। फिल्म तो दूर इसके तो पोस्टर से भी दूर रहना चाहिए।
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