एवेंजर्स - एज ऑफ अल्ट्रॉन : मूवी रिव्यू

समय ताम्रकर
एवेंजर्स : एज ऑफ अल्ट्रॉन को हिंदी में 'एवेंजर्स : कलयुग का महायुद्ध' नाम से रिलीज किया गया है और फिल्म की थीम पर यह नाम बिलकुल सटीक बैठता है। मार्वल कॉमिक्स के सुपरहीरो पर आधारित फिल्म का नाम भी कॉमिक्स जैसा ही होना चाहिए।

अंग्रेजी के साथ-साथ इसे तमिल, तेलुगु और हिंदी में डब किया गया है और यूएस से एक सप्ताह पहले ही भारतीय दर्शकों को यह फिल्म देखने को मिल रही है। डबिंग आर्टिस्टों ने भी कुछ नया करने की कोशिश की है और फिल्म में दो अंग्रेज किरदारों को हरियाणवी स्टाइल में हिंदी बोलते देखना बड़ा ही मजेदार है। इसके पहले 'फ्यूरियस 7' में भी एक किरदार मुंबइया स्टाइल में हिंदी बोलता है। 
 
एवेंजर्स सीरिज की फिल्में मनोरंजन से भरपूर रहती हैं और 'द एवेंजर्स' (2012) का यह सीक्वल भी पहले भाग की तरह उम्दा है। सुपरहीरोज़ फिल्मों की कहानी के बारे में तो सभी को पता रहता है कि ये अच्छाई बनाम बुराई के इर्दगिर्द रहती है, लेकिन संघर्ष का रोमांच और नवीनता दर्शकों को खास आकर्षित करता है। साथ ही तकनीक का साथ फिल्म को और ऊंचाइयों पर ले जाता है। 
 
अल्ट्रॉन का एक ही मकसद है, विश्व की तबाही , लेकिन उसके रास्ते में एवेंजर्स टीम है। आयरन मैन (रॉबर्ट डाउनी जूनियर), कैप्टन अमेरिका (क्रिस इवांस), थॉर (क्रिस हेम्सवर्थ), ब्लैक विडो (स्कॉरलेट जोहानसन), हल्क (मार्क रफेलो), हॉक आई (जेरेमी  रेनर) अपनी खूबियों के साथ विश्व को बचाने के लिए अपनी जान और परिवार की परवाह किए बिना अल्ट्रॉन से भिड़ जाते हैं। राह इतनी आसानी नहीं है। इस मिशन को कामयाब बनाने के लिए उनको जम कर मशक्कत करना होती है और उनका संघर्ष फिल्म को देखने लायक बनाता है। 
एवेंजर्स में भले ही सुपरमैन, स्पाइडरमैन जैसे बड़े सुपरहीरो नहीं हैं, बावजूद इसके आयरन मैन सहित सारे सुपरहीरो के कारनामे रोमांचित करते हैं और आपके अंदर मौजूद बचपन को गुदगुदाते हैं। सभी सुपरहीरो को महत्व दिया गया है, लेकिन आयरन मैन पर निर्देशक की कृपा दृष्टि ज्यादा रही है। वहीं बलशाली हल्क को कम फुटेज मिले हैं। अपनी फड़कती भुजाओं से दुश्मनों को मसल देने वाले हल्क को ज्यादा समय तक देखने की हसरत दर्शकों में रहती है। 
 
जॉस व्हेडॉन ने फिल्म को लिखा और निर्देशित किया है। एवेंजर्स और अल्ट्रॉन के महायुद्ध के बीच कुछ पारिवारिक दृश्य भी उन्होंने डाले हैं जो इमोशन से भरपूर हैं। आखिरकार सुपरहीरो को भी परिवार की जरूरत महसूस होती है और उनके दिल में भी भावनाओं के ज्वार उमड़ते हैं।
 
हल्क और ब्लैक विडो के एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होने को भी बखूबी दिखाया गया है। दोनों के अपने दर्द हैं और भले ही वे अद्वितीय शक्तियों से लैस हों, लेकिन आम इंसान की तरह जीने की तड़प उनमें भी नजर आती है। ब्लैक विडो का दु:ख उस समय उभर कर आता है जब वह हल्क को बताती है कि वह मां नहीं बन सकती क्योंकि ट्रेनिंग के दौरान उसे बांझ बना दिया गया है। 
 
फिल्म का एक और महत्वपूर्ण ट्वीस्ट यह है कि अल्ट्रॉन एवेंजर्स टीम के सदस्यों को आपस में भी लड़ाने की कोशिश करता है। हल्क और आयरन मैन के बीच एक बेहतरीन फाइटिंग सीक्वेंस है जो तालियां बजाने पर मजबूर कर देता है। क्लाइमैक्स की फाइट भी जबरदस्त है। 
 
जॉस व्हेडॉन ने फिल्म को उन दर्शकों के अनुरूप बनाने की कोशिश की है जो सुपरहीरोज़ को पसंद करते हैं, हालांकि फिल्म में बीच में ऐसा वक्त भी आता है जब फिल्म ठहरी हुई लगती है। इस तेज गति से भागती फिल्म में कुछ दृश्य स्पीड ब्रेकर का काम करते हैं। फिल्म के अंत में कुछ नए सुपरहीरो की झलक भी दिखाई गई है जो शायद अगले भाग में अपने कारनामे दिखाएंगे। 
 
आयरन मैन के रूप में रॉबर्ट डाउनी जूनियर सभी पर भारी पड़े हैं और उन्हें जोरदार संवाद भी मिले हैं। गुस्से से हरा होने वाला हल्क का डॉ. बेनर के रूप में दूसरा रूप भी देखने को मिलता है और इसे मार्क रफेलो ने बेहतरीन तरीके से अदा किया है। कैप्टन अमेरिका के रूप में क्रिस इवांस बेहद फिट नजर आए। स्कॉरलेट जोहानसन ने ‍ब्लैक विडो का किरदार निभाया है। बाइक वाला स्टंट उन्होंने बखूबी किया है और वे सेक्सी भी नजर आईं। क्रिस हेम्सवर्थ, जेरेमी रेनर भी अपनी चमक बिखेरते हैं। सुपरह्यूमन स्पीड वाले टेलर जॉनसन और उनकी बहन स्कॉरलेट विच के किरदार भी प्रभावी हैं। 
 
तकनीकी रूप से फिल्म शानदार हैं। स्पेशल इफेक्ट्स इतनी सफाई से पेश किए गए हैं कि बिलकुल वास्तविक लगते हैं। बैकग्राउंड म्युजिक, सिनेमाटोग्राफी, एडिटिंग सहित फिल्म के सारे डिपार्टमेंट मजबूत है। थ्री-डी इफेक्ट्स फिल्म को प्रभावी बनाता है। 
 
पॉपकॉर्न और कोला के साथ फिल्म का मजा ‍लीजिए। 
 
निर्देशक : जॉस व्हेडॉन
कलाकार : रॉबर्ट डाउनी जू., क्रिस हेम्सवर्थ, मार्क रफेलो, क्रिस इवांस, स्कॉरलेट जोहानसन, जेरेमी रेनर
रेटिंग : 3.5/5 

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