Baby John Review: बेबी जॉन से भाई जान तक

WD Entertainment Desk
बुधवार, 25 दिसंबर 2024 (12:37 IST)
फिल्म का नाम बेबी जॉन इसलिए है कि इसमें एक बेबी है और एक जॉन। जॉन हट्टा-कट्टा है और दर्जन, चार दर्जन गुंडों को पल भर में धूल चटा सकता है, लेकिन उसका फेस बेबी जैसा है, इसलिए भी फिल्म का नाम बेबी जॉन रखने का कारण हो सकता है। 
 
बेबी जॉन का सफर अंत में भाई जान के साथ खत्म होता है। भाई जान यानी कि सलमान खान, जो क्लाइमैक्स में फाइटिंग करते नजर आते हैं और फिर वरुण के साथ भारत देश में मनाए जाने वाले त्योहार, ईद से ओणम से लेकर तो दिवाली तक की बधाई देते नजर आते हैं। तो, बेबी जॉन से सफर शुरू होकर आखिर में भाई जान पर खत्म होता है, लेकिन इस सफर में दर्शक बहुत ‘सफर’ करते हैं।
 
इन दिनों बॉलीवुड के हीरो को कुछ सूझ नहीं रहा है। उनकी फिल्में फ्लॉप पर फ्लॉप हो रही है और दक्षिण भारतीय फिल्मों की झोली दर्शक रुपयों से भर रहे हैं। हिंदी फिल्मों के हीरो का विश्वास हिंदी फिल्म बनाने वाले निर्देशकों से उठ गया है और वे दक्षिण भारतीय फिल्म निर्देशकों पर भरोसा जता रहे हैं। शाहरुख ने ‘जवान’ के जरिये यह फॉर्मूला अपनाया और कामयाब रहे। सलमान ‘सिकंदर’ नामक मूवी एआर मुरुगदास के साथ कर रहे हैं तो भला वरुण धवन क्यों पीछे रहे। 
 
साउथ के एटली द्वारा निर्मित और कालीस द्वारा निर्देशित बेबी जॉन उन्होंने की है। आमतौर पर वरुण को हल्के-फुल्के किरदारों में पसंद किया जाता रहा है, लेकिन इन दिनों एक्शन का बोलबाला है तो भला वरुण पर भी एक्शन का भूत सवार है। वेबसीरिज ‘सिटाडेल’ में उन्होंने एजेंट बन कर खूब एक्शन किया और अब डीसीपी बन कर बेबी जॉन में वो मारधाड़ करते नजर आए हैं। 
 
वरुण ने बिग स्क्रीन पर वैसा ही एक्शन किया है जो प्रभास, अल्लू अर्जुन, सलमान खान आदि करते हैं। वरुण ने बॉडी बनाई है। एक्शन सीन में खूब दम मारा है। सफाई से एक्शन किया है, लेकिन वे दर्शकों को विश्वास नहीं दिला पाए हैं। फिल्म देखते समय ये यकीन नहीं होता कि वरुण धवन ऐसा सब कुछ कर सकते हैं और ये यकीन का न होना ही फिल्म देखते समय सबसे ज्यादा परेशान करता है। वरुण धवन फिल्म में संवाद बोलते हैं- ‘मेरे जैसे कई आए हैं, लेकिन मैं पहली बार आया हूं।‘ पर बात नहीं बन पाती।  
 
बेबी जॉन 2016 में रिलीज तमिल फिल्म ‘थेरी’ का हिंदी रीमेक है। ओटीटी पर कुछ लोगों ने यह फिल्म देख रखी होगी। बेबी जॉन में कुछ सीन और सीक्वेंस साउथ की अन्य फिल्मों से भी ले रखे हैं जो ओटीटी पर देखी गई फिल्मों की याद दिलाते हैं। 
 
बेबी जॉन देखते समय यदि आपका मन बार-बार थिएटर से बाहर निकलने का करता है तो इसका श्रेय आप निर्देशक कालीस को दे सकते हैं। उन्होंने इसे ‘सी’ ग्रेड फिल्म बनाने मं  कोई कसर नहीं छोड़ी है। सिंपल सी कहानी को भी वे ठीक से पेश नहीं कर पाए। फिल्म को तेजी से दौड़ाने के चक्कर में वे फिल्म का सत्यानाश कर बैठे। फिल्म एक सीन से दूसरे सीन पर जंप करती रहती है। आपस में दृश्यों का कोई तालमेल नहीं है। कहीं से भी गाना टपक पड़ता है, कहीं से किरदार का एकदम अलग ही रंग देखने को मिलता है। दर्शक सिर्फ अंदाजा लगाता रहते हैं कि ऐसा क्यों हो गया, कैसे हो गया? फिल्म का दूसरा हाफ तो ऐसा बनाया गया है जैसे बिना ड्राइवर के गाड़ी चल रही हो। कुछ भी काट-पीट कर जोड़ दिया गया है। 

 
फिल्म की कहानी आउटडेटेट है और इसमें जरा भी रोमांच नहीं है। एक-दो बार मौका ऐसा आता है जब इमोशनल सीन अपना असर छोड़ते है, लेकिन रोमांस और कॉमेडी के लिए ये बात भी नहीं कही जा सकती। 
 
कीर्ति सुरेश और वामिका गब्बी अच्छी एक्ट्रेस हैं, लेकिन उनके पास करने को ज्यादा कुछ नहीं था। बेबी खुशी के रूप में ज़ारा ज़ायना क्यूट लगीं। विलेन के रूप में जैकी श्रॉफ का लुक, मेकअप बहुत ज्यादा खराब था। सान्या मल्होत्रा ने इतने से रोल के लिए हां क्यों की ये सवाल वे खुद से पूछ रही होंगी। सलमान खान का स्पेशल अपियरेंस कहानी के साथ बिलकुल मेल नहीं खाता।  
 
फिल्म के गाने और संवाद औसत से भी कम है। बैक ग्राउंड म्यूजिक के नाम पर कानों को खूब कष्ट दिया गया है। कुल मिला कर वर्ष 2024 का समापन बेबी जॉन ने एक खराब फिल्म के रूप में किया है। 

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