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आर्यन खान की 'बैड्स ऑफ बॉलीवुड' – जेन-G का कचरा डिब्बा, जहाँ गालियाँ उड़ती हैं और दिमाग सो जाता है

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WD Entertainment Desk

, बुधवार, 24 सितम्बर 2025 (12:57 IST)
अरे भाई, बॉलीवुड में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी सुपरस्टार का बेटा कैमरे के पीछे से डेब्यू कर रहा है। और वो भी 'द बॉस्टर्ड ऑफ बॉलीवुड' जैसी सीरीज़ से, जो शायद 'बैड्स ऑफ बॉलीवुड' का ही हिंदी वर्ज़न है, क्योंकि नाम तो सेंसर बोर्ड ने काट दिया होगा, वरना पूरा टाइटल 'बॉलीवुड के हरामखोरों की कहानी' होता। आर्यन खान, शाहरुख का लाडला, डायरेक्टर बन गया है। वाह रे बॉलीवुड! क्या हम सबने ये सीरीज इसलिए देखी क्योंकि नाम आर्यन खान है? अगर ये किसी अनजान टैलेंटेड न्यूबी का काम होता, तो क्या हम कॉफ़ी पीते हुए स्किप कर देते? मैं तो जरूर करता। तुम? सोच लो।
 
ये सीरीज़ जेन-G के लिए बनाई गई है, यार वो जनरेशन जो इंस्टाग्राम रील्स पर ज़िंदा है, टिकटॉक पर मरता है, और नेटफ्लिक्स पर गालियाँ सुनते हुए हँसता है। हर एपिसोड में गालियों का तूफान है: जैसे कोई रैपर का लिरिक्स शीट हो, लेकिन बिना बीट्स के। जेन-G को लगेगा, वाह! रियल टॉक। लेकिन असल में ये बस एक बड़ा सा 'ट्रिगर वार्निंग' है, देखो तो सही, लेकिन दिमाग मत लगाओ। 
 
प्लॉट: मॉम-एंड-पॉप शो, लेकिन खान परिवार का
कहानी? अरे, कौन सी कहानी? ये एक फास्ट-पेस्ड 'फैमिली बिज़नेस' ड्रामा है, जहाँ बॉलीवुड के 'खान खानदान' के दोस्त-रिश्तेदार कैमियो मारते हैं। पापा-मम्मी का शो, लेकिन ट्विस्ट ये कि पापा शाहरुख हैं, मम्मी गौरी, और बाकी सब उनके चमचे। हर सीन में इन-जोक्स उछाले जाते हैं – जैसे 'किंग खान' का कोई पुराना डायलॉग ट्विस्ट करके फेंक दिया जाए। नॉज-नॉज, विक-विक! अगर तुम बॉलीवुड के इनसाइडर हो, तो हँसी आएगी। लेकिन बिलासपुर या कोल्हापुर का लड़का? वो तो सोचेगा, "ये क्या बकवास है? मैं तो 'मिर्ज़ापुर' देखने आया था, ये क्या 'मिर्ची लगी तो' चल रहा है?"
 
पैरॉडी का दावा है, लेकिन भाई, पैरॉडी करना आसान नहीं। ये सीरीज बॉलीवुड को चिढ़ा रही है, लेकिन खुद ही उसी की कॉपी है। हीरो का बेटा डेब्यू कर रहा है? चेक। फैमिली कनेक्शन्स? चेक। सेल्फ-रेफरेंसिंग वाइसक्रैक्स? चेक। बस, एक चीज़ मिसिंग है – ओरिजिनैलिटी। ये जैसे 'फॅमिली मैन' का बॉलीवुड वर्ज़न है, लेकिन मैन की जगह 'मेनस्ट्रीम स्टारडम'। हर एपिसोड 20 मिनट का, लेकिन लगता है घंटा भर का – क्योंकि गालियाँ तो भरपूर हैं, लेकिन प्लॉट? वो तो 'कहानी खत्म' बटन दबाने लायक है।
 
कैरेक्टर्स: नार्सिसिस्टिक गे जेनिटल्स का मेला
अब चार कन्क्लूज़न्स, जैसा कि हर रिव्यू में होना चाहिए, लेकिन सटायरिकल ट्विस्ट के साथ:
 
1. बॉलीवुड जेनिटल्स (गुप्तागों) से ऑब्सेस्ड है: हर डायलॉग में प्राइवेट पार्ट्स का जिक्र – जैसे स्क्रिप्ट राइटर ने थिसॉरस खोला ही न हो। जेन-G को लगेगा कूल, लेकिन असल में अब गालियां बॉलीवुड की आदत बन गई है। आर्यन ने तो बस इसे जेन-G स्टाइल में पैक किया: इमोजी के साथ।
 
2. बॉलीवुड प्रीडॉमिनेंटली गे है: कैरेक्टर्स के बीच की केमिस्ट्री? ब्रोमांस से ज़्यादा लगती है। मेल लीड्स एक-दूसरे को घूरते हैं, हग करते हैं, और गालियाँ देते हुए हँसते हैं। कोई स्ट्रेट रोमांस? न भूलो। ये जेन-जेड की 'फ्लुइड सेक्शुअलिटी' को सेलिब्रेट करने का बहाना है, लेकिन लगता है जैसे पूरा कास्ट 'ब्रोकबैक माउंटेन' का बॉलीवुड रीमेक कर रहा हो। वेलकम टू द रेनबो साइड ऑफ बॉलीवुड, डार्लिंग!
 
3. हाइपर-नार्सिसिस्टिक: हर कैरेक्टर खुद की ही पूजा करता है। हीरो का बेटा डायरेक्ट कर रहा है? चेक। फैमिली कैमियोज? चेक। सेल्फी-स्टाइल शॉट्स? चेक। ये सीरीज़ नहीं, आर्यन का मिरर है – जहाँ बॉलीवुड खुद को देखकर ताली बजाता है। जेन-G को लगेगा 'मेटा', लेकिन बाकियों को? 'मिरर, मिरर ऑन द वॉल, कौन सा स्टार सबसे बोरिंग ऑफ ऑल?'
 
4. बॉलीवुड – होल्ड योर ब्रेथ – बोरिंग है: हाँ, यही सबसे बड़ा पंचलाइन। फास्ट-पेस्ड होने का दावा, लेकिन एक्शन? ज़ीरो। डायलॉग्स? गालियों से भरे, लेकिन प्लॉट? स्लो मोशन में सोता हुआ। जेन-जेड के लिए परफेक्ट – शॉर्ट अटेंशन स्पैन, लॉन्ग स्वेयरिंग। लेकिन अगर तुम्हें 'सैक्रेड गेम्स' जैसी डेप्थ चाहिए, तो ये 'सैक्रेड गालियाँ' ही लगेगी।

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डायरेक्शन और एक्टिंग: आर्यन का डेब्यू – स्टार पावर vs टैलेंट
आर्यन खान की डायरेक्शन? एनर्जेटिक है, लेकिन रॉ। कैमरा वर्क शार्प, एडिटिंग क्विक – जेन-जेड स्टाइल, जैसे रील्स का एपिसोडिक वर्ज़न। लेकिन स्टोरीटेलिंग? वो तो 'पठान' की तरह – एक्शन के बहाने, फैमिली प्रोमोशन। एक्टर्स? कास्ट स्टार-स्टडेड है: खान फैमिली के चमचे, कुछ न्यूकमर्स। सब अच्छे लगते हैं, लेकिन परफॉर्मेंस? ओवर-द-टॉप, जैसे बॉलीवुड अवॉर्ड शो। गालियाँ बोलते हुए चेहरे चमकते हैं, लेकिन इमोशन्स? वो तो सेंसर हो गए।
 
सिनेमेटोग्राफी क्रिस्प है, म्यूज़िक? कूल बीट्स, लेकिन लिरिक्स में फिर वही – स्वेयरिंग। प्रोडक्शन वैल्यू हाई, क्योंकि पापा का पैसा है। लेकिन क्या ये आर्ट है या PR? सोचो ज़रा।
 
थीम्स: पैरॉडी या सेल्फ-लव?
मेन थीम: बॉलीवुड की इनसाइड स्टोरी। नेपोटिज़म, स्टारडम, सेक्शुअलिटी – सबका मज़ाक उड़ाया गया है। लेकिन पैरॉडी? अधूरी। ये बॉलीवुड को चिढ़ाती है, लेकिन खुद ही उसी का हिस्सा है। जेन-जेड को टारगेट करके, ये कहती है: 'हम कूल हैं, हम रिबेल हैं।' लेकिन रिबेलियन? वो तो बस गालियों का मास्क है। असल में, ये एक बड़ा सा 'फॅमिली रीयूनियन' है, जहाँ हर कोई खुद की तारीफ करता है। रिलेटेबल? सिर्फ अगर तुम मुंबई के पॉश इलाके में रहते हो। बाकी इंडिया? वो तो 'महाभारत' देखना बेहतर समझेगा।
 
वर्डिक्ट: वॉच इट फॉर द लाफ्स, स्किप इट फॉर द सेंस
कुल मिलाकर, 'बैड्स ऑफ बॉलीवुड' एक वन-टाइम वॉच है – जेन-जेड के लिए परफेक्ट पार्टी स्टार्टर, जहाँ गालियाँ उड़ें और हँसी आए। लेकिन कॉम्प्रिहेंसिव? नो। सटायर? हाफ-बेक्ड। अगर आर्यन अगली बार कुछ ओरिजिनल लाए, तो शायद हम सब बिना नाम के भी देखें। अभी के लिए, ये बस एक स्टारसन का डेब्यू है, चमकदार, लेकिन खोखला। 
 
  • निर्देशक: आर्यन खान
  • गीत: शाश्वत सचदेव, कुमार, जस्मिन संदीयाज़, अक्षत वर्मा, विशाल डडलानी, देव सिंह, आर्यन खान, राजा कुमारी, करण आहूजा
  • संगीत: शाश्वत सचदेव, अनिरुद्ध रविचंदर, उज्वल गुप्ता, करण आहूजा 
  • कलाकार: बॉबी देओल, लक्ष्य, राघव जुयाल, सहर बम्बा, अन्या सिंह, मनोज पाहवा, मनीष चौधरी, रजत बेदी, गौतमी कपूर, मोना सिंह, कैमियो- शाहरुख खान, करण जौहर, रणवीर सिंह, दिशा पाटनी 
  • प्लेटफॉर्म: नेटफ्लिक्स 
  • रेटिंग : 2.5/5 

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