भूल भुलैया 3 मूवी रिव्यू: हॉरर और कॉमेडी का तड़का, मनोरंजन से दूर भटका

समय ताम्रकर
भूल भुलैया 3 इस सीरिज की सबसे कमजोर फिल्म है, जो सिर्फ नाम को भुनाने के लिए बनाई गई है, जिसमें दर्शक ऐसे उलझते हैं कि फिल्म खत्म होने का इंतजार करते हैं। अमर कौशिक द्वारा लिखी गई कहानी और स्क्रीनप्ले में ढेर सारी खामियां हैं, जिसके कारण अनीस बज्मी का निर्देशन भी लडखड़ा गया और फिल्म दर्शकों पर पकड़ ही नहीं बना पाई। 
 
रूह बाबा को एक हवेली में मंजूलिका का भूत भगाने के लिए बुलाया जाता है, जहां जाकर उसे पता चलता है कि वह 200 साल पहले एक राजा का बेटा देविंदरनाथ था और मंजूलिका उसकी बहन। वह ही अपनी बहन की शैतानी आत्मा से हवेली को मुक्त करा सकता है। 
 
इसके बाद कई राज सामने आते हैं। मंदिरा (माधुरी दीक्षित) और मल्लिका (विद्या बालन) जैसे किरदारों की कहानी में एंट्री होती है और आखिर में सारे रहस्य उजागर होते हैं। 
 
भूल भुलैया 3 का उद्देश्य दर्शकों का मनोरंजन करना है। इसके लिए हॉरर और कॉमेडी को आधार बनाया गया है। लेकिन फिल्म का हास्य दो-चार सीन को छोड़ दिया जाए तो इस स्तर का नहीं है जो हंसा सके। कुछ डरावने सीन डराते हैं या चौंकाते हैं, लेकिन स्क्रीनप्ले की कमजोरियां इनके असर को कम कर देती है। 



 
200 साल पुराने देविंदर और रूहानी बाबा की मिलती-जुलती शक्ल को गांव वाले पहचान लेते हैं, यह सोचकर ही लेखकों पर तरस आता है क्योंकि किसी गांव वाले ने देविंदर की फोटो तक नहीं देखी थी।  
 
देविंदर और उसकी बहन को उनके पिता छोटी गलतियों के लिए इतनी कड़ी सजा देते हैं कि हैरत होती है। 
 
रहस्य उजागर करने के पहले कई ऐसे सीन दिखाए गए हैं जिससे दर्शक असलियत जान न सकें और अंत में इसको लेकर स्पष्टीकरण भी दिया गया है, लेकिन ये गले नहीं उतरता और दर्शकों को महसूस होता है कि उन्हें जानबूझ कर गलत दिशा में धकेला गया है। कई ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब नहीं मिलते। 

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फिल्म की कहानी दमदार नहीं है। उसे बहुत ज्यादा खींचा गया है। अंत में जब राज सामने आता है तो ऐसा नहीं है जो दर्शकों को चौंका दें। किसी तरह फिल्म को खत्म किया गया है। 
 
रूह बाबा का किरदार जो पार्ट 2 में मजेदार था, तीसरे भाग में उतना मनोरंजन नहीं है। संजय मिश्रा, अश्विनी कलसेकर और राजपाल यादव के किरदार जितने भाग 2 में हंसाते थे, तीसरे भाग में उनके लिए करने को कुछ नहीं था। 

 
निर्देशक अनीस बज्मी का निर्देशन औसत है। वे कहानी को ठीक से कह नहीं पाए और न ही फिल्म को एंटरटेनिंग बना पाए। स्क्रिप्ट की खामियों की ओर भी उन्होंने ध्यान नहीं दिया। 
 
कार्तिक आर्यन कुछ सीन में अक्षय कुमार की नकल करते देखे गए। तृप्ति डिमरी और उनका अभिनय औसत रहा। विद्या बालन के किरदार को और बढ़ाया जा सकता था। स्पेशल अपियरेंस में माधुरी दीक्षित के पास करने के लिए कुछ खास नहीं था।
 
संजय मिश्रा, राजपाल यादव, अश्विनी कल्सेकर, राजेश शर्मा, विजय राज जैसे कलाकारों को निर्देशक ने बरबाद किया।
 
डायलॉग्स में इतना दम नहीं है कि दर्शकों को गुदगुदा सके। गाने पुराने ही अच्छे हैं, नए में हिट वाली बात नहीं है। हां, उनका फिल्मांकन जरूर अच्छा है। 
 
कुल मिला कर भूल भुलैया 3 मनोरंजन की दृष्टि पर खरी नहीं उतरती।    
 

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