Brahmastra Movie Review: रणबीर-आलिया का ब्रह्मास्त्र टारगेट से रहा दूर

समय ताम्रकर
Brahmastra Movie Review: मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स का जवाब अयन मुकर्जी ने अस्त्रवर्स रच कर 'ब्रह्मास्त्र' के जरिये देने की कोशिश की है। अयन के पास हॉलीवुड फिल्मों जितना बजट तो नहीं है, लेकिन बॉलीवुड में 410 करोड़ रुपये में फिल्म (तीन भाग) बनाने का मौका सभी को नहीं मिलता। अयन के प्रयास की सराहना की जा सकती है कि उन्होंने हॉलीवुड की तर्ज पर फिल्म बनाई है।  

 
'ब्रह्मास्त्र' अस्त्रों का अस्त्र है, इससे बड़ा कोई अस्त्र नहीं है और इसका वार कभी खाली नहीं जाता है। इस अस्त्र के इर्दगिर्द कहानी बुनी गई है। शिवा (रणबीर कपूर) अनाथ है। पिता का उसे पता नहीं है और मां तब चल बसी जब वह एक साल का था। आग उसे जलाती नहीं है, क्यों? ये बात उसे भी नहीं पता। उसे अजीब सपने भी दिखाई देते हैं।  
 
ईशा (आलिया भट्ट) को वह पहली बार देखते ही दिल दे बैठता है। एक वैज्ञानिक (शाहरुख खान) की हत्या हो जाती है और यह घटना शिवा सपने में देख लेता है। जुनून (मौनी रॉय) और उसके साथी एक आर्टिस्ट (नागार्जुन) की हत्या करना चाहते हैं और शिवा उसे बचाने के लिए वाराणसी जाता है। 
 
शिवा को ब्रह्मांश और ब्रह्मास्त्र संबंधी कुछ बातें पता चलती है। अपने पिता और मां के बारे में गुरुजी (अमिताभ बच्चन) से कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती है। जुनून क्यों हत्या करना चाहती है? ब्रह्मास्त्र से शिवा का क्या संबंध है? इनके जवाब फिल्म खत्म होने पर मिलते है। चूंकि यह फिल्म तीन भाग में हैं, इसलिए कई बातों को दूसरे और तीसरे भाग के लिए भी छोड़ा गया है। 

 
फिल्म की कहानी अयन मुकर्जी ने लिखी है। साफ नजर आता है कि उन्होंने एमसीयू फिल्मों से प्रेरणा ली है। कुछ किरदार और कुछ दृश्य भी आपको एमसीयू की याद दिलाएंगे। अयन ने किरदारों को पौराणिक और धार्मिक टच देते हुए कहानी को भारतीय बनाने की कोशिश की है और देसी सुपरहीरो का किरदार रचा है। कहानी बहुत अनोखी नहीं है। ब्रह्मास्त्र के तीन टुकड़े हैं और इन टुकड़ों को जुनून ढूंढ रही है इस तरह की कहानियां कई हॉलीवुड मूवी में दिखाई जा चुकी है।  
 
फिल्म का स्क्रीनप्ले बहता हुआ नहीं है। फिल्म में जब वीएफएक्स इफेक्ट्‍स आते हैं तो यह हाईवे पर दौड़ती है, लेकिन जब रियल लाइफ सीन आते हैं तो कच्चे रास्ते पर उतर जाती है। 
 
शिवा और ईशा की मुलाकात और ईशा का शिवा को दिल दे बैठने वाले सीक्वेंस औसत दर्जे के हैं और समझ ही नहीं आता कि आखिर ईशा क्यों अचानक शिवा को चाहने लगी है? ईशा के बारे में ज्यादा जानकारी भी नहीं दी गई है और इनके रोमांटिक सीन कुछ ज्यादा ही लंबे खींचे गए हैं। 

 
दूसरी ओर मौनी रॉय वाले सीन उम्दा बन पड़े हैं और शाहरुख-मौनी की टक्कर भी देखने लायक है। शिवा को जब पता चलता है कि उसके पास अग्नि की ताकत है वो सीक्वेंस भी अच्छे बन पड़ा है। 
 
पहला हाफ बेहतर है। निर्देशक ने कहानी को दुर्गा पूजा, दशहरा और दिवाली वाले समय में सेट किया है। बैकड्रॉप में मनते त्योहार के कारण हर फ्रेम बहुत खूबसूरत लगती है। इंटरवल भी एक खास जगह लाकर किया गया है। 
 
इंटरवल के बाद फिल्म में बोरिंग लम्हें हावी हो जाते हैं। शिवा का गुरुजी के आश्रम में जाना वाला सीक्वेंस बहुत ही लंबा खींचा गया है। यहां पर अमिताभ और रणबीर कपूर के सीन उबाऊ और लंबे हैं। क्लाइमैक्स में अयन मुकर्जी ने फिल्म वीएफएक्स के तकनीशियनों के हवाले कर दी है और खुद दर्शक बन गए हैं। 
 
स्क्रीनप्ले की कमियां रह-रह कर सतह पर आती रहती हैं। फिल्म की शुरुआत में शिवा के संवादों में 'टपोरीपन' रहता है जो बाद में एकदम गायब हो जाता है। ईशा के बारे में बहुत ही कम जानकारी दी गई है। सुपर शक्तियों से लैस कैरेक्टर्स बंदूक क्यों निकाल लेते हैं? ब्रह्मास्त्र के टुकड़े बहुत ही साधारण लगते हैं, इनमें कुछ तो इफेक्ट्स दिए जाने थे। 
 
निर्देशक के रूप में अयन ने फिल्म की गति को तेज रखा है और ड्रामे को विज्युल इफेक्ट्स से सजा कर पेश किया है। कहानी को इस तरह से पेश किया है कि दर्शकों को समझने में ज्यादा परेशानी न हो। बेहतर होता कि वे लेखक के रूप में कुछ अलग सोचते क्योंकि कुछ किरदार और दृश्य हॉलीवुड मूवीज़ से उठा लिए गए हैं। फिल्म में एंटरटेनिंग दृश्यों की भी कमी है। 
 
रणबीर कपूर और आलिया भट्ट की जोड़ी बेहतरीन लगी है। दोनों ही कलाकारों ने उम्दा अभिनय किया है। अमिताभ बच्चन के सीन दमदार नहीं हैं। उनका लुक कुछ इस तरह का है कि वे बेहद थके लगे हैं। मौनी रॉय की अदाकारी जबरदस्त है। जब भी वे स्क्रीन पर आती हैं छा जाती हैं। शाहरुख खान कैमियो में प्रभाव छोड़ जाते हैं। नागार्जुन फीके रहे। डिम्पल कपाड़िया ने इस रोल के लिए हां क्यों कहा, समझ से परे है। 
 
फिल्म के दो हिट गीत 'केसरिया' और 'देवा देवा' बिग स्क्रीन पर देखने लायक हैं। इन्हें बहुत अच्छे से शूट किया गया है और निर्देशक ने फिल्म में बार-बार इनका अच्छा उपयोग किया है। बैकग्राउंड म्यूजिक शानदार है। 
 
टेक्नीकल टीम का काम वर्ल्ड क्लास है। कम्प्यूटर ग्राफिक्स, वीएएक्स और थ्री-डी इफेक्ट्स कमाल के हैं। यदि आप फिल्म देखने के इच्छुक हैं तो इसे थ्री-डी इफेक्ट्स में ही देखें। सिनेमाटोग्राफी कमाल की है। 
 
ब्रह्मास्त्र का पहला पार्ट शिवा रिलीज हुआ है और दूसरा पार्ट देवा नाम से आएगा। पहला पार्ट बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं करता, उम्मीद की जानी चाहिए कि राइटिंग डिपार्टमेंट दूसरे भाग में कमियों को दूर करेगा।
 

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