जुग जुग जियो फिल्म समीक्षा: न मजेदार कॉमेडी, न जोरदार ड्रामा

समय ताम्रकर
शुक्रवार, 24 जून 2022 (14:21 IST)
जुग जुग जियो कॉमेडी ड्रामा है, लेकिन फिल्म में न तो जोरदार कॉमेडी है जो हंसा-हंसा कर लोटपोट कर दे और न ही ड्रामा ऐसा है कि जो हिला कर रख दे। फिल्म को कहां कॉमिक होना है और कहां गंभीर, ये बात फिल्म से जुड़े लोग नहीं समझ पाए इससे फिल्म का टोन निखर कर नहीं आता। 
 
कहानी में एक सीनियर कपल और एक जूनियर कपल है। भीम सैनी (अनिल कपूर) अपनी पत्नी गीता सैनी (नीतू कपूर) से शादी के 35 साल बाद तलाक चाहते हैं क्योंकि भीम का मानना है कि गीता में रोमांस ही नहीं बचा है। अभी तक उन्होंने यह बात गीता को नहीं बताई है।

भीम अपनी बेटी गिन्नी (प्राजक्ता कोहली) की शादी में कनाडा से अपने बेटे कुक्कू (वरुण धवन) और बहू नैना (कियारा अडवाणी) को पटियाला बुलाते हैं, जिनकी शादी को 5 साल हो गए हैं। कुक्कू और नैना के रिश्ते में कोई गरमाहट बाकी नहीं रही है और वे दोनों भी तलाक चाहते हैं। 
 
चूंकि गिन्नी की शादी है इसलिए सभी चुप हैं, लेकिन शराब पीने-पिलाने के दौर में बात खुल जाती है। अपने माता-पिता और भाई-भाभी की शादी के यह हाल देख खुद गिन्नी सोच में पड़ जाती है वह शादी करे या नहीं। 
 
फिल्म की कहानी अनुराग सिंह ने लिखी है और स्क्रीनप्ले ऋषभ शर्मा, अनुराग सिंह, सुमित बठेजा और नीरज उधवानी ने लिखा है। शादी, शादी में प्यार और समझौता, तलाक जैसी बातें तो कहानी में कही गई हैं, लेकिन ये कहीं उभर कर नहीं आती। स्क्रीनप्ले ठीक से लिखा नहीं गया है। 


 
भीम और गीता को देख कर लगता ही नहीं कि इनके वैवाहिक जीवन में कोई समस्या है। भीम फिल्म में बहुत भला किस्म का इंसान लगता है, लेकिन उसे स्वार्थी और ठर्की कहा गया है। यह बात उसके व्यवहार में बहुत ही कम झलकती है। माना कि उसका मीरा (टिस्का चोपड़ा) से रोमांस चल रहा है, लेकिन यह रोमांस इतने फनी तरीके से दिखाया गया है बात की गंभीरता ही खत्म हो जाती है। 
 
भीम आखिर तलाक ले ही क्यों रहा है, ये सवाल परेशान करता है। गीता को जब पता चलता है कि भीम उससे तलाक ले रहा है तो वह कोई प्रश्न क्यों नहीं पूछती? 
 
मीरा और भीम एक-दूसरे को बेहद चाहते हैं, लेकिन जब मीरा के यहां भीम रहने के लिए जाता है तो वह उसे घर में नहीं घुसने देती। मीरा का यह व्यवहार समझ ही नहीं आता। इस व्यवहार के पीछे जो तर्क दिए गए हैं वो बचकाने हैं। अपनी बेटी के शादी के ऐन पहले भीम का घर छोड़ कर चले जाना भी समझ से परे है। 
 
भीम अपने बेटे को बताता है कि मीरा ने उसे नहीं बल्कि उसने मीरा को ठुकराया है। इस झूठ का कोई मतलब ही नहीं है और यह बात लेखकों ने सिर्फ अपनी सहूलियत के लिए लिखी है ताकि क्लाइमैक्स में ड्रामेबाजी पैदा की जा सके। 
 
अंत में जो कुक्कू-नैना और भीम के हृदय परिवर्तन दिखाए हैं वो फिल्म खत्म करने के लिए किए गए हैं जबकि किरदारों के पास इसकी कोई ठोस वजह नजर नहीं आती। 
 
स्क्रिप्ट में खामियां हैं और जो बात लेखक कहना चाहते हैं उसमें उनसे चूक हुई है क्योंकि किरदार फिल्म की स्क्रिप्ट से अलग व्यवहार करते कई बार नजर आते हैं जिससे ड्रामे का पैनापन ही खत्म हो गया है। 
 
फिल्म का शुरुआती आधा घंटा बोरिंग है। इसके बाद कुछ हल्के-फुल्के क्षण आते हैं, लेकिन इंटरवल के बाद मामला फिर गड़बड़ा जाता है। फिल्म की लंबाई से शिकायत नहीं है, लेकिन जब यह लंबाई अखरने लगती है तो शिकायत होना स्वाभाविक है। 
 
निर्देशक राज मेहता, जिन्होंने कि इसके पहले गुड न्यूज जैसी बेहतरीन फिल्म बनाई थी, कहानी को ठीक तरीके से कह नहीं पाए। कहां हंसी-मजाक किया जाए और कहां गंभीर रहा जाए, वे तय नहीं कर पाए। फिल्म इतनी मनोरंजक भी नहीं है कि सारी कमजोरिया स्वीकार ली  जाए। 
 
अनिल कपूर का किरदार ठीक से लिखा नहीं गया है, लेकिन उनका अभिनय अच्छा है। नीतू कपूर ने उनका साथ अच्छे से निभाया है। वरुण धवन एक जैसी एक्टिंग कर रहे हैं और कई दृश्यों में उनकी सीमाएं नजर आती हैं। एक्टिंग के मामले में कियारा अडवाणी औसत रहीं। मनीष पॉल ने जरूर राहत दी और कई दृश्यों में उनके कारण हंसी आती है।
 
कुल मिला कर जुग जुग जियो एक औसत फिल्म है। कुछ अलग होने की कोशिश करती है, लेकिन बात नहीं बन पाती। 

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