मशहूर एक्शन सीरीज Mission Impossible की यह आखिरी किस्त दर्शकों के लिए एक इमोशनल, टेक्नोलॉजी से लिपटी और थ्रिल से भरपूर यात्रा है। टॉम क्रूज एक बार फिर ईथन हंट के रूप में धमाकेदार अंदाज में लौटे हैं और निर्देशक क्रिस्टोफर मैकक्वेरी ने इसे एक क्लासिक विदाई देने की भरपूर कोशिश की है।
द फाइनल रेकनिंग की शुरुआत ही कुछ ऐसे सीन्स से होती है, जो इस फ्रैंचाइज़ी के फैन्स के दिलों को छू जाते हैं। पुरानी फिल्मों के ऑइकॉनिक दृश्य और अहम किरदारों की झलक देखकर यह अहसास होता है कि एक युग अब समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। यह इमोशनल टच दर्शकों को सीरीज से फिर से जोड़ देता है।
कहानी वहीं से आगे बढ़ती है जहां पिछली फिल्म खत्म हुई थी। इस बार खलनायक कोई इंसान नहीं, बल्कि एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है, जो दुनिया भर के न्यूक्लियर हथियारों पर कब्जा करना चाहता है। टेक्नोलॉजी के इस युग में यह प्लॉट एकदम सटीक और डरावना लगता है। इस विनाशकारी खतरे से दुनिया को बचाने का जिम्मा ईथन हंट और उसकी टीम के कंधों पर आ जाता है।
ईथन हंट एक बार फिर अपनी जान हथेली पर लेकर मिशन पर निकलता है। चाहे वह हजारों फीट आसमान में उड़ान हो या समुंदर की गहराइयों में घुसकर खतरे से टकराना, हर पल टॉम क्रूज ने यह साबित किया कि वे अब भी एक्शन के बेताज बादशाह हैं।
उनका किरदार का दृढ़ संकल्प, हार न मानने वाला जज़्बा और टीम के लिए समर्पण फिल्म की आत्मा बनकर उभरता है। 20 से 25 मिनट का पानी के नीचे का सीन जिसमें संवाद तक नहीं हैं – यह साबित करता है कि अभिनय सिर्फ शब्दों का खेल नहीं, बल्कि बॉडी लैंग्वेज, आंखों और एक्सप्रेशन का भी नाम है। यहां सिनेमाटोग्राफर और एडिटर का काम भी कमाल का है। यह सीक्वेंस निश्चित ही साल के सबसे शानदार दृश्यों में गिना जाएगा।
इस बार फिल्म में एक्शन की जगह संवाद और ड्रामा को ज़्यादा स्पेस दिया गया है। पुराने फैन्स को शायद यह थोड़ी निराशा दे, क्योंकि यह सीरीज एक्शन के लिए ही जानी जाती रही है। कुछ सब-प्लॉट अधूरे लगते हैं और कुछ किरदारों की पृष्ठभूमि अस्पष्ट है, जिससे फिल्म की गति थोड़ी धीमी पड़ती है। निर्देशक कई चीजों को समेटने की कोशिश में फिल्म की टाइटनेस थोड़ी खो देते हैं।
हालांकि, क्लाइमैक्स इस धीमेपन की भरपाई कर देता है। जब पैरेलल घटनाएं चल रही होती हैं, ईथन हज़ारों फीट ऊपर मानव जाति को बचाने के लिए जूझ रहा है, नीचे बम डिफ्यूज करने की रेस चल रही है और एक ऑपरेशन भी हो रहा है, उस समय सिनेमाघर में सन्नाटा छा जाता है और दर्शक सीट से चिपक जाते हैं।
क्रिस्टोफर मैकक्वेरी ने इस फिल्म को एक परिपक्व, ठहराव लिए हुए लेकिन टेंशन से भरपूर अनुभव बना दिया है। वे जानते हैं कि कहानी कैसे गढ़ी जाए और कैसे दर्शकों को थामे रखा जाए। लंबे दृश्यों और ओल्ड स्कूल स्टाइल का उनका अंदाज इस फिल्म को खास बनाता है। हालांकि, कुछ सीक्वेंस और एक्शन की अधिकता होती तो यह और यादगार बन सकती थी क्योंकि एक्शन को इस तरह नजरअंदाज करना अखरता है। दर्शक इंतजार करते ही रह जाते हैं।
टेक्नीकली फिल्म बेहद मजबूत है। सिनेमाटोग्राफर ने रोशनी और कैमरा मूवमेंट से हर सीन को प्रभावशाली बनाया है। पानी के नीचे और हवा में शूट किए गए दृश्य तकनीक और दृष्टि दोनों में उच्च कोटि के हैं।
टॉम क्रूज की उम्र चेहरे पर दिखने लगी है, लेकिन जोश, जुनून और करिश्मा में कोई कमी नहीं आई। उनका फिजिकल ट्रांसफॉर्मेशन, दौड़ना, छलांग लगाना और हर सीन में परफेक्शन लाना, वह इस फ्रेंचाइज़ी की आत्मा हैं और रहे।
हेले एटवेल ने अपने किरदार को बहुत ही ग्रेस के साथ निभाया है। विंग रेम्स, साइमन पेग, एसाई मोरालेस, पोम क्लेमेंटिएफ़ और हेनरी कज़र्नी ने अपने-अपने हिस्से को विश्वसनीयता के साथ प्रस्तुत किया है।
मिशनः इम्पॉसिबल – द फाइनल रेकनिंग एक ग्रैंड विदाई की झलक है। निश्चित रूप से विदाई एक बेहतरीन फिल्म की हकदार थी, जिसकी कमी यहां महसूस होती है। बावजूद इसके फिल्म में जहां एक ओर नॉस्टैल्जिया और इमोशन है, वहीं दूसरी ओर टेंशन और थ्रिल भी है।
पूरी सीरिज की बात की जाए टॉम क्रूज का यह मिशन न सिर्फ इम्पॉसिबल था, बल्कि इसे यादगार भी बना दिया गया है।
अगर आप इस सीरीज के प्रशंसक हैं, तो उन्हें यह फिल्म एक नॉस्टैल्जिक थ्रिल देगी। और अगर नहीं भी हैं, तो यह एक ऐसा अनुभव है जो आपको मिशन इम्पॉसिबल की दुनिया से प्यार करा देगा।
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निर्देशक: क्रिस्टोफर मैकक्वेरी
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फिल्म : Mission: Impossible – The Final Reckoning (2025)
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संगीतकार: मैक्स अरुज, एल्फी गॉडफ्रे
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कलाकार: टॉम क्रूज़, हेले एटवेल, विंग रेम्स, साइमन पेग, एसाई मोरालेस, पोम क्लेमेंटिएफ़, हेनरी कज़र्नी
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2 घंटे 50 मिनट
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रेटिंग : 3.5/5