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रेड 2 मूवी रिव्यू: रेड की परछाई में भटकी अजय देवगन की एक औसत फिल्म

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समय ताम्रकर

रेड 2 सिर्फ और सिर्फ रेड की कामयाबी का फायदा उठाने के लिए बनाई गई है क्योंकि रेड 2 में कुछ भी नया, अनोखा या मनोरंजक नहीं है जो दर्शकों को बांध सके। निर्देशक राजकुमार गुप्ता की रेड ने अपने अनूठे कंटेंट के कारण दर्शकों को चौंकाया था, लेकिन रेड 2 में उनके पास दिखाने के लिए कुछ नहीं था। यहां तक की वे अपने आपको ठीक से दोहरा भी नहीं पाए और दर्शकों का मनोरंजन करने में विफल रहे। 
 
अपनी ईमानदारी के कारण कई ट्रांसफर झेल चुका अमय पटनायक (अजय देवगन) के निशाने पर इस बार दादा भाई (रितेश देशमुख) है जिसकी छवि एक बहुत सादगी पसंद नेता की है। जो जनकल्याण के लिए अपना पूरा समय लगा देता है। संस्कारी इतना कि रोजाना अपनी मां के चरणों को धोता है। दादा भाई के यहां अमय रेड मारता है, लेकिन घर, ऑफिस, फॉर्म हाउस से कुछ नहीं मिलता और इस चक्कर में अमय सस्पेंड हो जाता है। 
 
ऑफिस के बाहर से अमय ऐसा चक्रव्यूह रचता है कि दादा भाई का सारा काला धन और काले कारनामे दुनिया के सामने आ जाते हैं। 
 
फिल्म की कहानी की बात की जाए तो ये बेहद साधारण है। भ्रष्ट नेता और ईमानदार अफसर आमने-सामने है, ये मोटी बात है, लेकिन भ्रष्ट को भ्रष्ट साबित करने में जो जरूरी दांवपेच कहानी में होना चाहिए वो नदारद है। 
 
फिल्म का स्क्रीनप्ले बिलकुल फ्लैट है। इसमें जरूरी उतार-चढ़ाव नहीं है। थ्रिल नहीं है। अमय जिस तरह से दादा भाई का नकाब उतारने के लिए कोशिश करता है उसमें सफाई और रोमांच नहीं है। सीन उतने बढ़िया तरीके से लिखे नहीं गए हैं। अमय और दादा भाई के आमने-सामने वाले सीन बेदम है, लिहाजा पूरी फिल्म में मनोरंजन का अभाव महसूस होता है। 
 
फिल्म की शुरुआत बहुत ही बोझिल है। अमय की रेड दिखा कर फिल्म की शुरुआत की गई है, लेकिन बात नहीं बन पाई। फिर उसके परिवार को लेकर कुछ सीन गढ़े गए हैं जो बेहद उबाऊ हैं। अमय का रिश्वत मांगने वाला ट्रैक दर्शकों को सिर्फ चौंकाने भर की कोशिश की गई है। 
 
इंटरवल तक फिल्म ऊबाती है। थोड़ा रोमांच सेकंड हाफ में आता है, लेकिन जल्दी ही फिल्म पटरी से उतर जाती है। चालाक दादा भाई बच्चों जैसी गलतियां करता है और पकड़ा जाता है, यह दर्शकों को जमता नहीं है। क्लाइमैक्स भी सपाट है। 
 
फिल्म के लेखक और निर्देशक एक ओर फिल्म को वास्तविकता के निकट रखते हुए मेलोड्रामा से परहेज करते हैं तो दूसरी ओर दादा भाई के मां के पैर धोना और 80 के दशक की फिल्मों की तरह विलेन का हॉट सांग पर जश्न मनाना जैसे एलिमेंट फिल्म का टोन सेट नहीं कर पाते। 
 
सौरभ शुक्ला को रख कर पहले भाग से फिल्म को जोड़ने की कोशिश की है, लेकिन सौरभ के दमदार किरदार की कमी रेड 2 में महसूस होती है। सौरभ ने जिस बेहतरीन तरीके से अपने रोल को निभाया था, वो काम रितेश नहीं कर पाए। न ही उनके कैरेक्टर में उतने रंग हैं। 
 
रितेश शाह, राजकुमार गुप्ता, जयदीप यादव और करण व्यास, चार लोगों ने मिल कर स्टोरी-स्क्रीनप्ले-डायलॉग लिखे हैं, लेकिन कुछ संवादों को छोड़ दिया जाए तो राइटिंग डिपार्टमेंट से कुछ भी ठोस और एंटरटेंनिंग निकल कर नहीं आया। 
 
निर्देशक के रूप में राजकुमार गुप्ता का काम औसत दर्जे का है। वे अपनी तरफ से बिखरी हुई कहानी में किसी भी तरह की कोई कसावट नहीं ला पाए। 
 
अजय देवगन इन दिनों हर फिल्म में एक जैसे नजर आते हैं। कैसा भी किरदार हो, चेहरे के एक्सप्रेशन्स में कोई बदलाव नहीं। रेड 2 में उनकी एक्टिंग में कोई रेंज नजर नहीं आती। रितेश देशमुख का काम भी औसत दर्जे का है। उनका रोल पॉवरफुल है, लेकिन यही बात उनकी एक्टिंग के लिए नहीं की जा सकती। 
 
रेड में अजय की पत्नी इलियाना डीक्रूज थीं, यहां पर वे बदल गई हैं और वाणी कपूर ने उनकी जगह ली है। वाणी में भी कोई सुधार नजर नहीं आता। 
 
छोटे रोल में सौरभ शुक्ला गहरा असर छोड़ते हैं। ऐसा ही कुछ काम अमित सियाल का भी है। रजत कपूर, सुप्रिया पाठक, यशपाल शर्मा और बृजेन्द्र काला जैसे प्रतिभाशाली कलाकार भी हैं, जिन्हें अपनी चमक बिखरने का ज्यादा अवसर नहीं मिला। तमन्ना भाटिया इन दिनों आइटम सांग में ही नजर आ रही हैं। जैकलीन फर्नांडिस को भी यही काम इसी फिल्म में मिला है। 
 
अमित त्रिवेदी का बैकग्राउंड म्यूजिक उम्दा है, लेकिन सिनेमाटोग्राफी और एडिटिंग औसत है। 
 
कुल मिलाकर, 'रेड 2' पहली फिल्म की छाया में खोई एक अधपकी फिल्म है जिसमें न थ्रिल है, न टकराव, और न ही कंटेंट का वजन।
 
  • निर्देशक: राज कुमार गुप्ता  
  • फिल्म : RAID 2 (2025)
  • गीतकार: जानी, कौसर मुनीर, मनोज मुंतशिर, यो यो हनी सिंह
  • संगीतकार: व्हाइट नॉइज़ कलेक्टिव्स, सचेत-परंपरा, रोचक कोहली, यो यो हनी सिंह 
  • कलाकार: अजय देवगन, वाणी कपूर, रितेश देशमुख, सौरभ शुक्ला, अमित सियाल, रजत कपूर, बृजेन्द्र काला, यशपाल शर्मा, तमन्ना भाटिया, जैकलीन फर्नांडिस   
  • सेंसर सर्टिफिकेट: यूए * 2 घंटे 19 मिनट 28 सेकंड
  • रेटिंग : 1.5/5 

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