Sky Force review: एयर फोर्स के जांबाज योद्धाओं की कहानी

समय ताम्रकर
शुक्रवार, 24 जनवरी 2025 (13:10 IST)
स्काई फोर्स फिल्म भारत के असली हीरो की कहानी है। ये एयर फोर्स के उन जांबाज योद्धाओं की दास्तां है जिन्होंने 1965 में लड़ाकू विमानों से पाकिस्तान में घुस कर तबाही मचाई थी। लेकिन बात यही तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बहादुर पायलट टी विजया (वास्तविक नाम एबी देवैया) के एक ऐसे कारनामे को भी दर्शाती है जिसे उजागर होने में बरसों लगे और देश ने उन्हें वर्षों बाद सम्मान दिया।
 
टी विजया ने कितना बड़ा काम किया था, इसकी खोज विंग कमांडर केओ आहूजा (वास्तविक नाम ओपी तनेजा) ने की और सरकार के पास पूरा रिसर्च वर्क भेजा था। फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित है, तो इन बहादुरों के नाम बदलने की क्या जरूरत थी? बेहतर होता इन असली हीरो के रियल नेम से ही फिल्म में किरदारों को संबोधित किया जाता।
 
फिल्म शुरू होती है 1971 में, जब एक पाकिस्तानी पायलट (शरद केलकर) को पकड़ लिया जाता है। यहां पाकिस्तानी होने के कारण उसे गालियां नहीं दी जाती बल्कि उतना सम्मान दिया जाता है जो एक सैनिक को दिया जाता है। पूछताछ कर रहे है आहूजा कहते हैं कि हमारी वर्दी के रंग अलग है, लेकिन हम हैं तो सैनिक ही। पूछताछ के दौरान आहूजा को 1965 में अपने खोए हुए भारतीय पायलट के बारे में उस पाकिस्तानी सैनिक से जानकारी मिलती है और फिर वह उस दिशा में आगे बढ़ते हैंळ  
 
फिल्म दो भागों में बंटी हुई है, एयर स्ट्राइक और लापता पायलट की तलाश। इंटरवल के पहले वाला हिस्सा एयरस्ट्राइक को समर्पित है, जब 1965 में पाकिस्तान के सरगोधा एअरबेस पर भारतीय वायुसेना ने एयर स्ट्राइक की थी‍। उन जांबाजों के प्रति मन में सम्मान तब और बढ़ जाता है जब पता चलता है कि भारतीय विमान के मुकाबले, पाकिस्तान के पास कहीं शक्तिशाली लड़ाकू विमान थे। उनकी मारक क्षमता ज्यादा थी और ये लड़ाकू विमान अमेरिका ने पाकिस्तान को मुहैया कराए थे। सरगोधा पाकिस्तान के मध्य में स्थित है। इतनी दूर जाना और हमला करना सुसाइड मिशन जैसा था, लेकिन आहूजा और उनके जांबाज लड़कों ने ये कर दिखाया। 
 
फिल्म की शुरुआत धीमी है, लेकिन एयर स्ट्राइक वाले मुद्दे पर जब फिल्म आती है तो भागती है। इंटरवल के बाद जब टी विजया के लापता वाला ट्रैक सामने आता है तब फिल्म देश प्रेम की भावनाओं में गोते लगवाती है। 

 
निर्देशक संदीप केलवानी और अभिषेक अनिल कपूर के हाथ में एक बेहतरीन कहानी थी और उस पर उन्होंने देखने लायक फिल्म बनाई, लेकिन इस फिल्म को और बेहतर बनाने की ढेर सारी गुंजाइश थी। 
 
एयर स्ट्राइक वाली घटना के ज्यादा गहराई में फिल्मकार नही गए और फुटेज भी कम दिए। चूंकि फिल्म एक ऐतिहासिक एयर स्ट्राइक पर आधारित है, इसलिए दर्शकों का मन इस तथ्य को और ज्यादा देखने का रहता है। 
 
दूसरी कमी ये लगती है कि काश टी विजया, जिसका रोल शिखर पहाड़िया ने निभाया है, उस किरदार को लीड में लेकर यह फिल्म बनाई जाती, तो फिल्म का कलेवर ही कुछ और होता। शायद अक्षय कुमार बड़े स्टार हैं, इसलिए उन्हें लीड रोल में रख कर ये फिल्म बनाई गई है, लेकिन टी विजया ने जो काम किया है, जिसने स्टार स्ट्राइकर विमानों को चकमा दिया, जिसके कारण फाइटर विमान की तकनीक में परिवर्तन हुए, उस किरदार को आगे रख कर यह फिल्म बननी चाहिए थी। इस किरदार के बारे में ज्यादा जानकारी फिल्म नहीं देती और आहूजा के रिसर्च वर्क को भी गहराई से नहीं दिखाया गया। 
 
निर्देशक जोड़ी संदीप केलवानी और अभिषेक कपूर ने फिल्म को लाउड नहीं होने दिया है, जो आमतौर पर देशभक्ति की भावनाओं से ओत-प्रोत फिल्मों में होता है। उन्होंने नियंत्रण रखते हुए कहानी को पेश किया है और दर्शकों को बांध कर रखा है।
 
अक्षय कुमार ने अपने किरदार को अच्छे से निभाया है, वे लाउड नहीं हुए, ये सबसे बढ़िया बात रही। वीर पहाड़िया ने पूरे आत्मविश्वास के साथ अपना सफर शुरू किया है, लेकिन फिल्म उन्हें ज्यादा फुटेज नहीं देती, ये वीर के साथ अज्जमादा बी. देवैया के साथ भी अन्याय है जिनका किरदार वीर ने निभाया है। सारा अली खान और निमरत कौर के पास करने को कुछ नहीं था, लेकिन जितना भी मौका मिला सारा प्रभावित करती हैं। शरद केलकर, मनीष चौधरी, वरुण बडोला सक्षम कलाकार हैं और अपने-अपने रोल में छाप छोड़ते हैं। 
 
फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक बहुत ज्यादा लाउड है, जिसके कारण कई बार संवाद भी ठीक से समझ नहीं आते। अक्षय कुमार पर फिल्माए गए गाने की कतई जरूरत नहीं थी। बैकग्राउंड में सुनाए गीत बढ़िया हैं। पंडित प्रदीप द्वारा लिखा और लता मंगेशकर द्वारा गया बरसों पुराना गाना ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ आज भी उतना ही असरदायक है और फिल्म के अंत में इसका अच्छाा उपयोग किया गया है। 
 
कुल मिला कर ‘स्काई फोर्स’ की कहानी बहुत बढ़िया है, इस पर एक बेहतरीन फिल्म बन सकती थी, लेकिन जो बनी है वो भी देखी जा सकती है। 
 

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