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War 2 रिव्यू: लचर स्क्रिप्ट और निर्देशन के कारण रितिक और एनटीआर हारे युद्ध, पढ़ें पूरी समीक्षा

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समय ताम्रकर

, गुरुवार, 14 अगस्त 2025 (14:20 IST)
रितिक रोशन और टाइगर श्रॉफ की‍ वॉर (2019) सफल जरूरी थी, लेकिन औसत दर्जे की फिल्म थी। आदित्य चोपड़ा के  ‘स्पाई यूनिवर्स’ में अब वॉर का दूसरा भाग सामने आया है। पिछली बार रितिक-टाइगर श्रॉफ की जोड़ी थी तो इस बार रितिक का साथ दिया है दक्षिण भारत के लोकप्रिय सितारे जूनियर एनटीआर ने। निर्माता आदित्य चोपड़ा ने एनटीआर को इसलिए जोड़ा कि फिल्म दक्षिण भारत में भी अच्छा व्यवसाय करे और उनके स्पाई यूनियवर्स की पहुंच और बढ़े।  
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आदित्य चोपड़ा ने वॉर 2 की कहानी लिखी है। कबीर (रितिक रोशन) देश के खिलाफ हो गया है और खतरनाक चाल चल रहा है। उसे उसकी टक्कर का आदमी ही रोक सकता है और इसके लिए चुना जाता है विक्रम (एनटीआर) को। विक्रम के साथ काव्या (कियारा आडवाणी) भी इस मिशन में शामिल होती है क्योंकि उसे भी कबीर से हिसाब चुकाना है। कबीर देश के खिलाफ क्यों हो गया है? दुश्मनों से क्यों हाथ उसने मिलाया है? क्या विक्रम उसे रोक पाएगा? इन प्रश्नों के जवाब धीरे-धीरे सामने आते हैं। 
 
श्रीधर राघवन की स्क्रिप्ट है, जिसमें उन्होंने कहानी को फैलाव दिया है। एक्शन दृश्यों के लिए जगह बनाई है। दर्शकों को बांधने के लिए उतार-चढ़ाव दिए हैं। लेकिन कहना होगा कि स्क्रिप्ट राइटर और निर्देशक दोनों ही अपने काम को ठीक से नहीं कर पाए हैं इसलिए वॉर 2 समग्र रूप से दर्शकों पर अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाती। 
 
फिल्म एक एक्शन फिल्मों के टेम्पलेट की तरह शुरुआत करती है। रितिक रोशन की एंट्री एक एक्शन सीन से होती है जहां वे एक जापानी को सैकड़ों अंगरक्षकों के बीच मार डालते हैं। इसी तरह से एनटीआर भी एक लंबे एक्शन सीन से फिल्म में धांसू एंट्री लेते हैं। 
 
शुरुआत में कुछ मिनट फिल्म लड़खड़ाते हुए चलती है, लेकिन इसके बाद फिल्म को पंख लग जाते हैं और धड़धड़ाते हुए आगे बढ़ती है। तेजी से घटनाक्रम घटते हैं और कुछ शानदार एक्शन सीन देखने को मिलते हैं। 
 
स्पेन की सड़कों पर एक जोरदार चेज़ सीक्वेंस देखने को मिलता है जो बढ़िया फिल्माया गया है। हवा में उड़ते प्लेन में से किसी को किडनैप करने वाला आइडिया भी जोरदार है यह सीक्वेंस भी रोमांच पैदा करता है। हालांकि इन सीक्वेंस में अविश्वसनीय बातें हैं जैसे कार का चलती ट्रेन पर आ गिरना, प्लेन के ऊपर दो हीरो का आमना-सामना होना। लार्जर देन लाइफ के नाम पर कुछ ज्यादा ही छूट ली गई है, लेकिन इसके बावजूद ये सीक्वेंस दर्शकों में रोमांच इसलिए पैदा करते हैं क्योंकि आपको सोचने के लिए ज्यादा समय नहीं मिलता। इंटरवल के दौरान शानदार ट्विस्ट भी दिया गया है। कुछ और राज खुलते हैं जो दर्शकों की फिल्म में रूचि पैदा करते हैं। 
 
लेकिन सेकंड हाफ में जैसे ही ड्रामा पर फोकस किया गया है फिल्म पटरी से उतर जाती है। इसकी दो वजह हैं, एक तो ये कि ये सीन बहुत दमदार नहीं हैं और दूसरा ये कि इन्हें जरूरत से ज्यादा लंबा रखा गया है या कहे रबर की तरह खींचा गया है। मिसाल के तौर पर रितिक और एनटीआर के बचपन की कहानी, जो 80 के दशक की फिल्मों की याद दिलाती है। इस कहानी को इतना फैलाया गया है कि बोरियत हावी होने लगती है। क्लाइमैक्स में रितिक और एनटीआर की डायलाग बाजी भी उबाऊ है। दोस्ती और दुश्मनी के बीच का प्लॉट फिल्म का आधार है, लेकिन इसको ठीक से लेखक और निर्देशक उभार नहीं सके हैं। 
 
सेकंड हाफ में जब एक्शन सीन आते हैं तो लगता है गाड़ी हाईवे पर भाग रही है, लेकिन जब ड्रामैटिक सीन आते हैं तो लगता है कि गाड़ी कच्चे में उतर गई है। साथ ही सेकंड हाफ के एक्शन सीन इतने प्रभावशाली नहीं हैं। क्लाइमैक्स बेदम है। पीएम को बचाने वाला पूरा सीक्वेंस इतना हड़बड़ी में दिखाया गया है कि रोमांच ही जाता रहा। सेकंड हाफ पूरी फिल्म की लुटिया डूबो देता है।  
निर्देशक के रूप में अयान मुखर्जी औसत रहे हैं। वेक अप सिड और ये जवानी है दीवानी जैसी फिल्में, जो रियल लाइफ के करीब थीं, उनमें अयान निर्देशक के रूप में अपनी चमक बिखरने में सफल रहे थे। लेकिन लार्जर देन लाइफ फिल्मों को वे ठीक से संभाल नहीं पाए। ‘ब्रह्मास्त्र’ में हमने ये देखा और ‘वॉर 2’ दूसरा उदाहरण है। कहानी को अस्पष्ट तरीके से पेश किया गया है। कंफ्यूजन भी होता है। बातें स्पष्ट नहीं हो पाती। इस तरह की फिल्मों में चमक और ग्लैमर अनिवार्य अंग है जिसकी कमी फिल्म में महसूस होती है।   
 
रितिक रोशन और एनटीआर में कौन भारी पड़ा? इसका जवाब उनके फैंस जानना चाहते हैं, तो जवाब ये है कि एनटीआर के मुकाबले रितिक फीके रहे। रितिक रोशन अपने रोल में स्पार्क पैदा नहीं कर पाए। बुझे-बुझे नजर आए। एनटीआर ने अपने रोल में आग पैदा कर दी और त्रीवता के साथ अपना रोल निभाया। एक्शन दृश्यों में दोनों बराबरी पर रहे और डांस के मामले में भी मुकाबला बराबरी पर छूटा। लेकिन स्क्रिप्ट की कमियों का असर इनके अभिनय पर भी पड़ा। 
 
कियारा आडवाणी को जितना मौका मिला उन्होंने अपना असर छोड़ा। अनिल कपूर का रोल ठीक से शेप नहीं ले पाया। अचानक उनकी एंट्री हो जाती है और उनके रोल में कंटीन्यूटी नजर नहीं आती। आशुतोष राणा औसत रहें। 
 
फिल्म में कुछ गाने भी हैं, जिनके लिए ठीक से सिचुएशन नहीं बनाई गई। वीएफएक्स ज्यादातर जगह कमजोर हैं। एक्शन उम्दा है, लेकिन ठोस कहानी के अभाव में उनका असर कम नजर आता है। सिनेमाटोग्राफी ए-वन है। संवादों में दम है, लेकिन कहानी की जटिलता को ठीक से समझाया नहीं गया है। फिल्म की एडिटिंग लूज है और इस तरह की गई है कि कई बार दृश्यों में तालमेल नजर नहीं आता। 
 
कुल मिलाकर वॉर 2 एक हारी हुई लड़ाई है। लचर स्क्रिप्ट और कमजोर निर्देशन ने यह युद्ध हरवा दिया।   
  • निर्देशक: अयान मुखर्जी 
  • फिल्म: WAR 2 (2025) 
  • गीत: अमिताभ भट्टाचार्य 
  • संगीत: संचित बालहरा और अंकित बालहरा 
  • कलाकार: रितिक रोशन, कियारा आडवाणी, एनटीआर, अनिल कपूर, आशुतोष राणा 
  • सेंसर सर्टिफिकेट : यूए (16 वर्ष से अधिक उम्र के लिए) * 2 घंटे 59 मिनट 49 सेकंड
  • रेटिंग : 2/5

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