जिद : फिल्म समीक्षा

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थ्रिलर फिल्में ऐसी होनी चाहिए कि दर्शक अपनी पलक भी मूंद नहीं सके। ऐसी फिल्में बनाना आसान नहीं है और ज्यादातर बॉलीवुड थ्रिलर मूवीज़ निराश ही करती है। इस सप्ताह रिलीज 'जि़द' भी अपवाद नहीं है। कहने को तो यह थ्रिलर है, लेकिन इस फिल्म को देखते समय बोरियत ज्यादा होती है।
 
थ्रिलर मूवी में आगे क्या होने वाला है इसका अंदाजा आप ठीक-ठीक लगा सकते हैं तो फिल्म देखने में मजा नहीं आता। 'जिद' में अगले पल क्या होने वाला है इसकी भविष्यवाणी करना मुश्किल नहीं है। जर्मन फिल्म 'द गुड नेबर' से यह प्रेरित है, लेकिन विवेक अग्निहोत्री और रोहित मल्होत्रा से भी यह काम ठीक से नहीं हो पाया जिन्होंने 'जिद' की स्क्रिप्ट लिखी है। 
 
रोहन (करणवीर शर्मा) एक अखबार में बतौर क्राइम रिपोर्टर के काम करता है। गोआ में वह एक घर किराये पर लेता है। मकान मालिक की बेटी उसे दिल दे बैठती है। दोनों हिट एंड रन मामले में फंसते हैं और उनकी जिंदगी मुश्किलों से भर जाती है।  
 
फिल्म की कहानी में इतना दम तो है कि इस पर एक बेहतरीन थ्रिलर बनाई जा सकती है, लेकिन स्क्रिप्ट लिखते वक्त दिमाग ही नहीं लगाया गया है इसलिए सारा मामला गड़बड़ा गया है। फिल्म देखते समय आपके दिमाग में कई प्रश्न उठते हैं जिनके जवाब आपको नहीं मिलेंगे। कुछ देर बाद आप दिमाग लगाना भी बंद कर देंगे और फिल्म में रूचि खत्म होने में देर भी नहीं लगेगी। क्लाइमैक्स में जरूर चौंकाने की कोशिश की गई है, लेकिन तब तक दर्शक इस बात का इंतजार करता रहता है कि कब फिल्म खत्म हो। 
 
निर्देशन, लेखन, अभिनय बेहद खराब है। थ्रिल की बजाय निर्देशक ने सेक्स के नाम पर दर्शकों को बांधने की कोशिश की है और यही बात साबित करती है कि उन्हें अपनी काबिलियत पर ही विश्वास नहीं है। फिल्म में किसिंग और लव मेकिंग दृश्यों को परोसा गया है, लेकिन घटिया स्क्रिप्ट के कारण ये ठूंसे हुए लगते हैं।

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विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में बिलकुल भी दम नहीं है। इस सस्पेंस थ्रिलर से वे दर्शकों को जोड़ पाने में नाकाम साबित हुए हैं। प्रेम त्रिकोण, हत्या, रहस्य, सेक्सी सीन के बावजूद वे बांध नहीं पाते। उनका उद्देश्य सिर्फ गरमा-गरम सीन परोसना था।
 
करणवीर शर्मा का अभिनय निराशाजनक है। मनारा ने जमकर अंग प्रदर्शन किया है और उन्हें वजन कम करने की जरूरत है। उन्होंने जमकर ओवर एक्टिंग की है। श्रद्धा दास ने भी अंग प्रदर्शन करने में कोई कंजूसी नहीं की है। 
 
गोआ की लोकेशन का अच्छा उपयोग किया गया है। कैमरामेन यश भट्ट ने कई सीन अच्छे शूट किए हैं। शरीब-तोषी द्वारा संगीतबद्ध किए कुछ गाने मधुर हैं। लेकिन ये बातें इतनी पर्याप्त नहीं है कि 'जिद' देखने के लिए टिकट खरीदा जाए।   
 
बैनर : अनुभव सिन्हा प्रोडक्शन्स प्रा. लि., बनारस मीडिया वर्क्स
निर्माता : अनुभव सिन्हा 
निर्देशक : विवेक अग्निहोत्री
संगीत : शरीब साबरी, तोषी साबरी
कलाकार : करणवीर शर्मा, मनारा, श्रद्धा दास, मोहन कपूर
सेंसर सर्टिफिकेट : केवल वयस्कों के लिए
रेटिंग : 1/5

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